-  ओम् शान्ति। 
 
      - यह किसकी महिमा सुनी?
        
          -  बेहद के बाप की।
 
          -  ऊंच ते ऊंच बाप परमपिता परमात्मा ही है।
 
          -  लौकिक बाप के लिए तो सब नहीं कहेंगे।
 
         
       
      -  बच्चे जानते हैं सब आत्माओं का पारलौकिक बाप - वह है ऊंच ते ऊंच।
        
          -  उनका नाम ही है शिव।
 
          -  बिगर नाम रूप के तो कोई चीज़ होती नहीं। 
 
           
       
      - इस समय सबको राहू का ग्रहण लगा हुआ है, इसलिए इनको आइरन एजेड वर्ल्ड कहा जाता है।
        
          -  दशायें भी होती हैं। 
 
          - ब्रहस्पति की दशा, चक्र की दशा... अब तुम्हारे ऊपर है ब्रहस्पति की दशा।
 
          -  जिसकी महिमा सुनी, ऊंच ते ऊंच भगवान शिवबाबा।
 
           
       
      -  उनका असुल नाम है शिव।
        
          -  बाकी किसम-किसम के अनेक नाम रख दिये हैं। 
 
          - असुल नाम है शिवबाबा।
 
          -  बाप समझाते हैं मैं बीजरूप, चैतन्य हूँ।
 
          -  सत चित कहते हैं फिर कहते हैं वह सुख का सागर है, आनंद, शान्ति का सागर है।
 
          -  महिमा सारी उस एक की ही है।
 
           
       
      -  भारतवासी महिमा गाते हैं परन्तु समझते कुछ भी नहीं।
        
          -  एकदम पत्थरबुद्धि हो गये हैं।
 
          -  पत्थरबुद्धि किसने बनाया? 
 
          - रावण ने।
 
           
       
      -  सतयुग में भारतवासी पारसबुद्धि थे, आज से 5 हजार वर्ष पहले यह भारत पारसपुरी था, जिसमें देवी-देवता रहते थे। 
        
          - भारत ही अविनाशी खण्ड गाया हुआ है।
 
          -  भारत में ही पारसबुद्धि देवता थे, इस समय पत्थरबुद्धि पतित रहते हैं।
 
          -  पतित कैसे बनते हैं, यह भी बाप ने समझाया है।
 
          -  द्वापर से जब काम चिता पर बैठे हैं तो काले बन जाते हैं।
 
          -  काम अग्नि में सब भस्म हो गये हैं।
 
          -  उसमें भी खास भारत की बात है।
 
          -  भारत में पारसबुद्धि देवताओं का राज्य था, उनको विष्णुपुरी, रामराज्य भी कहा जाता था। 
 
          - यह बाप आकर बताते हैं।
 
          -  मीठे-मीठे लाडले बच्चों जब तुम सतयुग में थे, सर्वगुण सम्पन्न थे।
 
          -  यह तुम्हारी महिमा है।
 
          -  वहाँ विकार होते नहीं। 
 
          - द्वापर से रावण, 5 विकारों का राज्य शुरू हुआ है।
 
          -  तो रामराज्य बदलकर रावण राज्य होता है। 
 
           
       
      - अभी ग्रहण लगा हुआ है।
        
          -  बिल्कुल ही भारत काला हो गया है।
 
          -  ब्रहस्पति की दशा सबसे अच्छी होती है।
 
          -  भारत पर ब्रहस्पति की दशा सतयुग में थी।
 
          -  फिर त्रेता में शुक्र की दशा तो दो कला कम हो गई।
 
          -  उसको कहा ही जाता है सिल्वर एज।
 
          -  फिर द्वापर, कलियुग आया। 
 
          - सीढ़ी उतरते आये, शनीचर की दशा हुई।
 
          -  इस समय सब पर राहू की दशा है।
 
          -  सूर्य को ग्रहण लगता है तो कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण।
 
           
       
      - अब रूहानी बाप बच्चों को समझाते हैं - यह है रूहानी ज्ञान। 
        
          - यह कोई शास्त्रों का ज्ञान नहीं है।
 
          -  शास्त्रों के ज्ञान को भक्ति मार्ग कहा जाता है।
 
          -  सतयुग-त्रेता में भक्ति होती नहीं। 
 
          - ज्ञान और भक्ति, फिर है वैराग्य अर्थात् इस पुरानी दुनिया को छोड़ना होता है।
 
          -  यह है शूद्र वर्ण।
 
          -  विराट रूप दिखाते हैं ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय, वैश्य... यह भारत की ही कहानी है।
 
          -  विराट रूप बनाते भी हैं, परन्तु पत्थरबुद्धि समझते नहीं।
 
          -  पत्थरबुद्धि क्यों हैं?
 
          -  क्योंकि पतित हैं। 
 
          - भारतवासी ही पारसबुद्धि थे, सम्पूर्ण निर्विकारी थे।
 
          -  आज से 5 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था और कोई खण्ड नहीं था, यह बाप समझाते हैं।
 
           
       
      -  यह राजयोग कौन सिखाते हैं?
        
          -  शिवाचार्य।
 
          -  यह है ज्ञान का सागर।
 
          -  कोई मनुष्य को ज्ञान का सागर, सर्व का पतित-पावन नहीं कह सकते हैं।
 
           
       
      -  सर्व का लिबरेटर एक ही बाप है।
        
          -  बाप खुद ही आते हैं - दु:ख में रावण से लिबरेट करने, फिर गाइड बन ले जाते हैं।
 
          -  उनको रूहानी पण्डा कहा जाता है। 
 
          - बाप कहते हैं - मैं तुम सर्व आत्माओं का पण्डा हूँ, सबको वापिस ले जाऊंगा।
 
          -  मेरे जैसा गाइड कोई होता नहीं। 
 
          - कहते भी हैं गॉड फादर इज़ लिबरेटर, गाइड, ब्लिस-फुल... सबके ऊपर रहम करते हैं क्योंकि सब सागर के बच्चे काम चिता पर बैठ जल मरे हैं।
 
          -  उसमें भी खास भारत की बात है।
 
           
       
      -  बाप कहते हैं - तुम 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी थे।
        
          -  अब काम चिता पर बैठ तुम क्या बन गये हो!
 
          -  अब फिर बाप आये हैं।
 
          -  वृक्षपति बाप आकर मनुष्य मात्र पर ब्रहस्पति की दशा बिठाते हैं।
 
          -  खास भारत, आम विश्व पर इस समय राहू का ग्रहण लगा हुआ है।
 
          -  बाप कहते हैं - मैं ही आकर भारत की खास, दुनिया की आम गति-सद्गति करता हूँ।
 
          -  तुम यहाँ आये ही हो पारसबुद्धि बनने।
 
           
       
      -  मोस्ट बिलवेड बाप हुआ - सब आशिकों का माशूक एक ही है।
        
          -  सब नेशन में लिंग जरूर बनाते हैं क्योंकि सबका बाप है ना।
 
          -  शिव के मन्दिर भारत में बहुत हैं, जिसको शिवालय कहते हैं, रहने का स्थान।
 
           
       
      -  सतयुग में हैं देवी-देवता धर्म के मनुष्य, परन्तु वह धर्म कब था, उन्हों का राज्य कब था... यह पता नहीं है।
        
          -  सतयुग की आयु लम्बी लिख दी है।
 
          -  बाप बैठ समझाते हैं तुम्हारे ऊपर अब ब्रहस्पति की दशा बैठ रही है - 21 जन्मों के लिए।
 
          -  वृक्षपति है ज्ञान का सागर पतित-पावन, जिसको सब पुकारते हैं।
 
          -  तुम मात-पिता हम बालक तेरे, सब उनकी महिमा करते हैं। 
 
          - बरोबर सतयुग त्रेता में सुख घनेरे थे।
 
            
       
      -  जबकि बाप हेविनली गॉड फादर है, स्वर्ग का रचयिता है तो जरूर हम भी स्वर्ग में होने चाहिए।
        
          -  बाप समझाते हैं तुम सब स्वर्गवासी थे, अब नर्कवासी बने हो।
 
          -  भारत का ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म है। 
 
          - जैसे क्रिश्चियन धर्म के हैं, वह क्रिश्चियन धर्म के ही चले आते हैं।
 
          -  बाप कहते हैं - तुम देवी-देवता धर्म वाले अपने धर्म को क्यों भूल गये हो! 
 
          - जबकि तुम देवी-देवता धर्म के थे।
 
          - बाप स्मृति दिलाते हैं - तुम्हारा सबसे श्रेष्ठ धर्म, कर्म था। 
 
          - अभी तुम नीच, पापी, कंगाल बन गये हो, तुम हो ही देवताओं के पुजारी, फिर अपने को हिन्दू क्यों कहलाते हो?
 
          -  भारत का यह क्या हाल हो गया है।
 
          -  जो देवता धर्म के हैं वह विकारी बनने के कारण अपने को देवता कहलाते नहीं। 
 
           
       
      - बाप कहते हैं - अभी इस पतित दुनिया का अन्त है, महाभारत लड़ाई भी खड़ी है।
        
          - भगवानुवाच - हम तुमको सतयुग के लिए राजयोग सिखाता हूँ।
 
           
       
      -  भगवान तो एक ही है, हम उनके बच्चे सालिग्राम हैं।
        
          -  बाप कहते हैं - तुम जो पूज्य थे वही पुजारी भगत बन गये हो। 
 
          - अब फिर ज्ञान लेते हो पूज्य देवता बनने के लिए।
 
          -  फिर द्वापर से पूज्य सो पुजारी बन जायेंगे।
 
          -  तुम पूरे 84 जन्म लेते हो। 
 
          - जिन्होंने 84 जन्म लिए हैं वही आकर ब्रह्माकुमार कुमारी बनेंगे।
 
           
       
      -  ब्रह्मा द्वारा आदि सनातन धर्म की स्थापना - यह भी गाया हुआ है।
        
          -  प्रजापिता है तो बहुत बच्चे भी होंगे। 
 
          - वह तो जरूर यहाँ ही चाहिए।
 
          -  कितनी ढेर प्रजा है। 
 
          - इन ब्राह्मणों को ही फिर देवता बनना है।
 
          -  बाप आकर शूद्र से बदल ब्राह्मण धर्म की स्थापना करते हैं।
 
          -  इस संगमयुग पर ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना होती है। 
 
          - यह है कल्याणकारी संगमयुग।
 
          -  इस लड़ाई को ही कल्याणकारी कहा जाता है। 
 
          - इस विनाश के बाद ही फिर स्वर्ग के गेट खुलते हैं।
 
          -  तुम यहाँ आये हो स्वर्गवासी बनने वा विष्णुपुरी में चलने।
 
           
       
      -  तुम बच्चों पर अब अविनाशी ब्रहस्पति की दशा है। 
        
          - 16 कला सम्पूर्ण कहा जाता है।
 
          -  फिर दो कला कम होती हैं तो शुक्र की दशा कहा जाता है।
 
          -  सतयुग में ब्रहस्पति की दशा है फिर त्रेता में शुक्र की दशा।
 
          -  फिर नीचे गिरते आये हो, मंगल की, शनीचर की, राहू की दशा भी होती है।
 
          -  जन्म-जन्मान्तर उल्टी दशायें फिरती आई हैं।
 
          -  अब बाप द्वारा ब्रहस्पति की दशा बैठी है।
 
           
       
      -  यह है बेहद का बाप ज्ञान का सागर, पतित-पावन। 
        
          - वही तुम्हारा बाप भी है, शिक्षक भी है, सतगुरू भी है।
 
          -  बाकी सब हैं झूठे, किसकी सद्गति कर नहीं सकते।
 
           
       
      -  इसको कहा जाता है विशश वर्ल्ड।
        
          -  वह है वाइसलेस वर्ल्ड। 
 
          - अब विशश वर्ल्ड में सभी बहुत दु:खी हैं।
 
          -  लड़ाई मारामारी क्या-क्या हो रहा है, इसको कहा जाता है - खूने नाहेक... बिगर कोई कसूर के क्या-क्या करते रहते हैं। 
 
          - एक ही बाम ऐसा गिरायेंगे जो झट सारे खलास हो जायें। 
 
          - यह वही संगमयुग का समय है।
 
          -  तुम देवताओं के लिए फिर नई दुनिया चाहिए। 
 
           
       
      - तो अब बाप कहते हैं - मीठे-मीठे बच्चे मनमनाभव।
        
          -  यह कौनसे बाप ने कहा?
 
          -  शिवबाबा ने। 
 
          - वह तो है निराकार।
 
          -  यूँ निराकार तो तुम भी हो।
 
          -  परन्तु तुम पुनर्जन्म में आते हो, मैं नहीं आता हूँ।
 
           
       
      -  इस समय सब पतित हैं, एक भी पावन नहीं।
        
          -  पतित बनना ही है।
 
          -  सतो-रजो-तमो में उतरना पड़े।
 
          - इस समय सारा झाड़ जड़जड़ी-भूत अवस्था को पाया हुआ है।
 
          -  दुनिया बिल्कुल पुरानी हो गई है।
 
          -  अब फिर से उनको नया बनाना पड़े।
 
          -  पतित दुनिया में देखो मनुष्य कितने हैं।
 
          -  पावन दुनिया में बहुत थोड़े राज्य करते हैं।
 
          -  एक ही धर्म था और कोई धर्म नहीं था।
 
          -  भारत को ही हेविन कहा जाता है। 
 
          - गाया जाता है - घट ही में सूर्य, घट ही में चन्द्रमा...। 
 
           
       
      - सतयुग में 9 लाख होंगे, पीछे फिर वृद्धि होती है।
        
          -  पहले बहुत छोटा फूलों का झाड़ होता है, कांटों का कितना बड़ा फारेस्ट है।
 
          -  देहली में मुगल गॉर्डन देखो कितना अच्छा है। 
 
          - उससे बड़ा कोई गॉर्डन नहीं।
 
          -  फारेस्ट देखो कितना बड़ा होता है।
 
          -  सतयुगी गॉर्डन भी बहुत छोटा है।
 
          -  फिर वृद्धि को पाते-पाते बड़ा होता जाता है।
 
          -  अभी तो कांटों का जंगल हो गया है।
 
          -  रावण के आने से कांटे बन जाते हैं।
 
           
       
      -  यह है कांटों का जंगल।
        
          -  आपस में लड़ते हैं तो एक दो को मारते हैं।
 
          -  कितना क्रोध है, बन्दर से भी बदतर कहा जाता है।
 
           
       
      -  तो बाप कहते हैं - मेरे लाडले बच्चे तुम्हारे ऊपर अभी वृक्षपति की दशा है। 
        
          - अब दे दान तो छूटे ग्रहण।
 
          -  सम्पूर्ण निर्विकारी अब यहाँ बनना है।
 
           
       
      -  फिर यह शरीर छोड़ जाकर शिवालय में आ जायेंगे।
        
          -  शिवालय में बहुत सुख होता है।
 
          -  देवी-देवताओं का राज्य है।
 
          -  सतयुग को कहा जाता है शिवालय, कलियुग को कहा जाता है वेश्यालय। 
 
          - यह वेश्यालय रावण ने स्थापन किया है।
 
           
       
      -  अब बाप कहते हैं - पतित से पावन बनना है, कैसे बनेंगे?
        
          -  क्या त्रिवेणी में, गंगा में स्नान करने से पावन बन जायेंगे?
 
          -  यह तो जन्म-जन्मान्तर करते आये हो।
 
          -  करोड़ों मनुष्य जाकर स्नान करते हैं। 
 
          - बहुत नदियां, नाले तलाब आदि हैं, जहाँ पानी देखते हैं जाकर स्नान करते हैं क्योंकि अपने को पतित समझते हैं। 
 
          - अब पारसनाथ तुम्हारी पारस बुद्धि बना रहे हैं।
 
          -  तो ऐसे पारसनाथ बाप को कितना प्यार से याद करना चाहिए। 
 
           
       
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      -  धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) इस कांटों की दुनिया से फूलों के बगीचे में जाने के लिए जो भी कांटे (विकार) हैं, उन्हें निकाल देना है।
        
          -  पारस बनाने वाले बाप को बड़े प्यार से याद करना है।
 
         
       
      - 2) इस कल्याणकारी संगमयुग पर शूद्र से ब्राह्मण सो देवता बनने का पुरुषार्थ करना है।
        
          -  राहू के ग्रहण को उतारने के लिए विकारों को दान देना है।
 
           
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021) 
 
      - संगठन में एकमत और एकरस स्थिति द्वारा सफलता प्राप्त करने वाले सच्चे स्नेही भव
 
      -  संगठन में एक ने कहा दूसरे ने माना - यह है सच्चे स्नेह का रेसपान्ड।
 
      -  ऐसे स्नेही बच्चों का एग्जाम्पल देख और भी सम्पर्क में आने के लिए हिम्मत रखते हैं।
 
      -  संगठन भी सेवा का साधन बन जाता है।
 
      -  जहाँ माया देखती है कि इनकी युनिटी अच्छी है, घेराव है तो वहाँ आने की हिम्मत नहीं रखती।
 
      -  एकमत और एक-रस स्थिति के संस्कार ही सतयुग में एक राज्य की स्थापना करते हैं।
 
      - स्लोगन:-
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      -  कर्म और योग का बैलेन्स रखने वाले ही सफल योगी हैं।
 
     
     
   
    
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