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     29-09-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन 
      
    "मीठे बच्चे - इस अन्तिम जन्म में गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनो, एक बाप को याद करो, यही गुप्त मेहनत है'' 
 प्रश्नः- 
  
    ज्ञान का तीसरा नेत्र मिलते ही कौन सा कान्ट्रास्ट स्पष्ट अनुभव होता है?                    
  उत्तर:- 
  
    
      भक्ति में भगवान को पाने के लिए कितना दर-दर भटक रहे थे, कितनी ठोकरें खा रहे थे। 
      अभी हमें वह मिल गया।  
      2- साथ-साथ रहम आता मनुष्य बिचारे अभी तक भी भटक रहे हैं, रास्ता ढूँढ रहे हैं।  
      बाबा ने हमें भटकने से छुड़ा दिया। 
       हम बाबा के साथ जाने की तैयारी कर रहे हैं। 
       
       
    
   
गीत:-
आज अन्धेरे में हैं इंसान...
    
   
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    - 
            
 
     
      -    ओम् शान्ति।
 
      -  एक तरफ भक्त याद कर रहे हैं। 
        
          - दूसरे तरफ में आत्माओं को तीसरा नेत्र मिल चुका है अर्थात् आत्माओं को बाप की पहचान मिल चुकी है।
 
          -  वह कहते हैं हम भटक रहे हैं। 
 
          - अभी तुम तो नहीं भटकते हो।
 
          -  कितना फ़र्क है। 
 
          - बाप तुम बच्चों को साथ ले जाने के लिए तैयार कर रहे हैं। 
 
          - मनुष्य गुरूओं पिछाड़ी, तीर्थ यात्रा, मेले मलाखड़े आदि पिछाड़ी कितना भटक रहे हैं।
 
          -  तुम्हारा भटकना अब छूट गया है।
 
          -  बच्चे जानते हैं इस भटकने से छुड़ाने के लिए बाप आया हुआ है।
 
          -  जैसे कल्प पहले बाप ने आकर पढ़ाया था वा राजयोग सिखाया था, हूबहू ऐसे पढ़ा रहे हैं। 
 
         
       
      - बच्चे जानते हैं हम 5 विकारों पर जीत पा रहे हैं।
        
          -  कहा जाता है माया जीते जगत जीत।
 
          -  माया 5 विकारों रूपी रावण को कहा जाता है। 
 
          - माया दुश्मन ठहरी।
 
          -  माया धन सम्पत्ति को नहीं कहा जाता।
 
          -  लिखना भी है 5 विकारों रूपी रावण वा माया...तो मनुष्य कुछ अर्थ समझें। 
 
          - नहीं तो समझ नहीं सकते हैं।
 
          -  माया जीते जगत जीत। 
 
          - इसमें यादवों और कौरवों वा असुरों और देवताओं की कोई बात नहीं। 
 
          - स्थूल लड़ाई होती नहीं है। 
 
          - गाया जाता है योगबल से माया रावण पर जीत पाने से जगत जीत बनते हैं।
 
          -  तुम बच्चे जानते हो - जगत कहा जाता है विश्व को।
 
          -  विश्व पर जीत पहनाने लिए विश्व का मालिक ही आते हैं। 
 
          - वही सर्वशक्तिमान् है।
 
         
       
      -  यह तो बच्चों को समझाया गया है - बाप को याद करने से ही पाप भस्म हो जाते हैं।
        
          -  मुख्य बात है याद की।
 
          -  याद करने से तुम्हारे से कोई विकर्म नहीं होगा और खुशी में रहेंगे। 
 
          - पतित-पावन बाप आये हैं पावन बनाने, तो फिर हम विकर्म क्यों करें।
 
          -  अपनी सम्भाल करनी है।
 
          -  बुद्धि तो मनुष्य को है ना। 
 
          - इसमें और कुछ लड़ने आदि की बात नहीं है, सिर्फ 5 विकारों को जीतने लिए बाप को याद करना बहुत सहज है। 
 
          - हाँ इसमें मेहनत लगती है, टाइम लगता है। 
 
          - माया दीवा बुझाने लिए घड़ी-घड़ी तूफान लाती है। 
 
          - बाकी इसमें लड़ाई की कोई बात नहीं है। 
 
         
       
      - वहाँ है ही देवताओं का राज्य।
        
      
 
      -  हम हैं ब्राह्मण, ब्रह्मा मुख वंशावली।
        
          -  जो ब्राह्मण कुल के हैं वही अपने को ब्राह्मण समझते हैं। 
 
         
       
      - रूहानी बाप हम रूहों को बैठ ज्ञान देते हैं।
        
          -  ज्ञान सागर, पतित-पावन सद्गति दाता एक ही है।
 
          -  वही स्वर्ग स्थापन करने वाला है।
 
          -  तुम बच्चों को तो बहुत खुशी होनी चाहिए। 
 
          - विलायत वालों को भी पता पड़ेगा, यह तो वही सिन्ध वाले ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हैं जो कहते हैं पैराडाइज श्रीमत पर स्थापन कर दिखायेंगे। 
 
          - आत्मा कहती है ना - शरीर द्वारा। 
 
          - आत्मा सुनती है और डायरेक्शन पर चलती है। 
 
          - कल्प-कल्प बाप ही आकर युक्ति बतलाते हैं।
 
          -  बाप है गुप्त, किसको भी पता नहीं पड़ता है।
 
          -  कितने ढेर मनुष्यों को समझाते हैं फिर भी कोटो में कोई ही समझते हैं।
 
          -  तुम बच्चे अब समझते हो हमारा आलराउन्ड पार्ट है।
 
         
       
      -  बाप ने समझाया है तुम ही राज्य लेते हो और कोई ले न सके, सिवाए तुम भारतवासियों के, जो अभी अपने को हिन्दू कहलाते हैं।
        
          -  आदमशुमारी में भी हिन्दू लिख देते हैं। 
 
          - हम भल कुछ भी नाम दें, हम वास्तव में आदि सनातन देवी-देवता धर्म के थे।
 
          -  वह दैवी धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट हो जाने कारण अपने को हिन्दू कह देते हैं।
 
          - हिन्दू नाम क्यों पड़ा - यह भी कोई नहीं जानते।
 
          -  पूछना चाहिए भला यह तो बताओ तुम्हारा हिन्दू धर्म किसने स्थापन किया! 
 
          - यह तो हिन्दुस्तान का नाम है।
 
          -  कोई बता नहीं सकेंगे। 
 
         
       
      - तुम बच्चे जानते हो अब ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय धर्म की स्थापना हो रही है।
        
          -  कहते हैं ब्राह्मण देवी-देवता नम:। 
 
          - ब्राह्मण हैं सर्वोत्तम नम्बरवन। 
 
         
       
      - वास्तव में स्वर्ग सतयुग को कहा जाता है।
        
          -  रामचन्द्र के राज्य को भी स्वर्ग नहीं कहा जाता। 
 
          - आधाकल्प है रामराज्य, आधाकल्प है आसुरी राज्य।
 
          -  यह सब दिल में धारण करना है। 
 
          - अभी हमको स्वर्ग में जाने के लिए क्या करना है? 
 
          - पवित्र तो जरूर रहना ही है। 
 
         
       
      - बाप कहते हैं - बच्चे काम महाशत्रु है, इन पर जीत पाकर पवित्र रहना है इसलिए कमल फूल की निशानी भी दिखाई है। 
        
          - गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान बनना है।
 
          -  यह दृष्टान्त तुम्हारे लिए है। 
 
         
       
      - हठयोगी तो गृहस्थ व्यवहार में कमल फूल समान रह न सकें।
        
          -  वह अपना निवृत्ति मार्ग का पार्ट बजाते हैं।
 
          -  गृहस्थ व्यवहार में रह नहीं सकते, इसलिए घर बार छोड़ चले जाते हैं। 
 
          - तुम दोनों संन्यास की भेंट कर सकते हो।
 
          -  प्रवृत्ति मार्ग में रहने वालों का गायन है।
 
          - बाप कहते हैं - गृहस्थ व्यवहार में रहते सिर्फ यह एक अन्तिम जन्म हिम्मत कर कमल फूल समान पवित्र रहो।
 
          -  भल अपने गृहस्थ व्यवहार में रहो। 
 
          - वह संन्यासी तो घरबार छोड़ जाते हैं।
 
          -  ढेर संन्यासी हैं जिन्हों को भोजन देना पड़ता है।
 
          -  पहले वह भी सतोप्रधान थे, अभी तमोप्रधान बन गये हैं। 
 
          - यह भी ड्रामा में उनका पार्ट है।
 
          -  फिर भी ऐसे ही होगा।
 
         
       
      -  बाप समझाते हैं इस पतित दुनिया का विनाश तो होना ही है।
        
          -  थोड़ी-थोड़ी बात में ही एक दो को धमकी देते रहते हैं। 
 
          - अगर ऐसा नहीं होगा तो बड़ी लड़ाई लग जायेगी।
 
          -  तुम बच्चे समझते हो कल्प पहले भी ऐसे हुआ था। 
 
          - शास्त्रों में लिखा है पेट से मूसल निकले, यह हुआ..... फिर होली में स्वांग बनाते हैं। 
 
          - वास्तव में हैं यह मूसल, जिससे विनाश करते हैं।
 
          -  यह भी बच्चे जानते हैं जो कुछ पास्ट हो चुका है वह फिर भी होना है। 
 
          - बनी बनाई बन रही....... अभी तुम्हारी बुद्धि में सारा राज़ है।
 
          -  सिर्फ कहने की बात नहीं।
 
          -  किसको भी दोष नहीं दे सकते।
 
          -  ड्रामा में पार्ट है।
 
          -  तुमको सिर्फ बाप का पैगाम सुनाना है।
 
          -  यह ड्रामा तो अनादि अविनाशी है।
 
          -  भावी क्या चीज़ है, वह भी तुम समझ गये हो। 
 
         
       
      - यह कलियुग अन्त और सतयुग आदि का संगम नामी-ग्रामी है। 
        
          - इनको ही पुरूषोत्तम युग कहा जाता है।
 
          -  आजकल बच्चों को पुरूषोत्तम युग पर अच्छी रीति समझा रहे हैं।
 
          -  यह युग है उत्तम पुरुष बनने का। 
 
          - सभी सतोप्रधान उत्तम बन जायेंगे। 
 
          - अभी हैं तमोप्रधान कनिष्ट।
 
          -  इन अक्षरों को भी तुम समझते हो। 
 
          - कलियुग पूरा हो सतयुग आयेगा फिर जय-जयकार हो जायेगा।
 
         
       
      -  कहानी सुनाई जाती है ना।
        
          -  यह है सहज ते सहज। 
 
          - झूठी कहानियाँ तो बहुत हैं।
 
         
       
      -  अब बाप खुद बैठ समझाते हैं, भक्ति मार्ग में तुम मेरी महिमा गाते आये हो।
        
          -  अब प्रैक्टिकल में तुमको रास्ता बताता हूँ - सुखधाम और शान्तिधाम का।
 
          -  सद्गति को सुख गति, दुर्गति को दु:ख गति कहेंगे। 
 
          - कलियुग में है दु:ख, सतयुग में है सुख।
 
          -  समझाने से सब समझेंगे।
 
          -  आगे चल समझते जायेंगे। 
 
          - समय बहुत थोड़ा है, मंजिल बहुत ऊंची है।
 
         
       
      -  कॉलेज में जाकर तुम समझायेंगे तो इस नॉलेज को अच्छी रीति समझेंगे। 
        
          - बरोबर यह ड्रामा का चक्र फिरता रहता है और कोई दुनिया नहीं है।
 
          -  वह समझते हैं ऊपर में कोई दुनिया है इसलिए सितारों आदि तरफ जाते हैं।
 
          -  वास्तव में वहाँ कुछ है नहीं।
 
          -  गाड इज़ वन, क्रियेशन इज़ वन।
 
          -  मनुष्य सृष्टि यही है।
 
          -  मनुष्य, मनुष्य ही हैं, सिर्फ देह के अनेक धर्म हैं।
 
          -  कितनी वैराइटी है। 
 
          - सतयुग में एक ही धर्म था, उसको कहा जाता है सुखधाम।
 
          -  कलियुग है दु:खधाम।
 
         
       
      -  सुख और दु:ख का खेल है ना। 
        
          - बाप थोड़ेही बच्चों को कब दु:ख देंगे। 
 
          - बाप तो आकर दु:ख से लिबरेट करते हैं। 
 
          - जो दु:ख हर्ता है, वह फिर किसको दु:ख थोड़ेही देंगे। 
 
          - अभी है रावण राज्य।
 
          -  मनुष्यों में 5 विकार प्रवेश हैं इसलिए रावण राज्य कहा जाता है। 
 
          - वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी का राज़ अभी तुम बच्चों की बुद्धि में आ गया है। 
 
          - रोज़ सुनते हो, यह बहुत बड़ी पढ़ाई है।
 
         
       
      -  तो बाप समझाते हैं अभी बाकी थोड़ा समय है।
        
          - उसमें बाप से पूरा वर्सा लेना है। 
 
         
       
      - धीरे-धीरे मनुष्य भी समझेंगे बरोबर ईश्वर का रास्ता तो यही समझाते हैं।
        
          -  दुनिया में और कोई भी ईश्वर को पाने का रास्ता नहीं बतलाते हैं।
 
          -  ईश्वर का रास्ता ईश्वर ही बताते हैं। 
 
          - तुम तो उनके बच्चे पैगाम देने वाले हो।
 
          -  कल्प पहले भी जो निमित्त बने होंगे वही अब बनेंगे और बनाते जायेंगे। 
 
         
       
      - बच्चों को विचार सागर मंथन करना है। 
 
      - राय देनी चाहिए - बाबा हम समझते हैं यह चित्र होने चाहिए, इनसे मनुष्य अच्छा समझ सकते हैं। 
        
          - बाबा कम चित्र इसलिए कहते हैं क्योंकि कई सेन्टर्स बहुत छोटे-छोटे हैं।
 
          -  5-7 चित्र भी मुश्किल रख सकते हैं।
 
          -  बाबा कहते हैं घर-घर में गीता पाठशाला हो। 
 
          - ऐसे भी बहुत हैं एक कमरे में सब कुछ चलाते हैं।
 
          -  मुख्य चित्र रखे हों तो मनुष्यों को समझ मिले। 
 
         
       
      - आखरीन भगवान किसको कहा जाता है, उनसे क्या मिलता है?
        
          -  भगवान को बाबा कहा जाता है।
 
          -  बबुलनाथ बाबा नहीं कहेंगे।
 
          -  रूद्र बाबा नहीं कहेंगे।
 
          -  शिवबाबा नामीग्रामी है।
 
         
       
      -  बाबा कहते हैं यह वही कल्प पहले वाला ज्ञान यज्ञ है।
        
          -  बेहद के बाप शिव ने यज्ञ रचा है।
 
          -  ब्राह्मणों की रचना की है ब्रह्मा द्वारा। 
 
          - ब्रह्मा में प्रवेश हो स्थापना की है।
 
          -  यह है ज्ञान - राजयोग का।
 
          -  और फिर यज्ञ भी है, जिसमें सारी पुरानी दुनिया की आहुति पड़ती है। 
 
          - एक वह ही बाप भी है, टीचर भी है, गुरू भी है, ज्ञान सागर भी है। 
 
          - ऐसा और कोई है नहीं।
 
          -  आजकल यज्ञ रचते हैं तो चारों तरफ शास्त्र रखते हैं। 
 
          - एक आहुति का कुण्ड भी बनाते हैं।
 
          -  वास्तव में है - यह ज्ञान यज्ञ, जिससे उन्होंने कॉपी की है। 
 
          - यहाँ कोई स्थूल चीज़ आदि तो है नहीं।
 
          -  अभी तुम बच्चों को बेहद का बाप मिला है, बेहद का ज्ञान मिला है और कोई यह जानते नहीं। 
 
          - बेहद की आहुति पड़नी है, यह तुम जानते हो।
 
          -  पुरानी दुनिया खत्म हो जायेगी। 
 
          - वह तो खुशी होती रहती कि रामराज्य स्थापन हो, यह तो बहुत अच्छा है। 
 
          - परन्तु वह तो जो स्थापन करेंगे वह अपने लिए ही करेंगे ना। 
 
          - मेहनत सब अपने लिए करेंगे।
 
          - तुम जानते हो यह महाभारत लड़ाई भी इस यज्ञ से प्रज्जवलित हुई है।
 
          -  कहाँ वह हद की बातें, कहाँ यह बेहद की बातें।
 
          -  तुम अपने लिए ही पुरुषार्थ करते हो।
 
         
       
      -  जब तक बाप को न जाने, वर्सा मिल न सके। 
        
          - बाप ही आकर आत्माओं को शिक्षा देते हैं। 
 
          - तुम्हारा है सब गुप्त।
 
         
       
      -  आत्मा जो हिंसक बन गई है, उनको अहिंसक बनना है।
        
          -  किसी पर क्रोध भी नहीं करना है। 
 
          - 5 विकार जब दान दें तब ग्रहण छूटे, इनसे ही काले हो गये हैं। 
 
          - अब फिर सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण कैसे बनें - यह बाप बैठ समझाते हैं।
 
         
       
      -  इन लक्ष्मी-नारायण को ऐसा किसने बनाया?
        
          -  कोई गुरू मिला?
 
          - यह तो विश्व के मालिक थे।
 
          -  जरूर पास्ट जन्म में अच्छे कर्म किये हैं तब अच्छा जन्म मिला।
 
          -  अच्छे कर्मो से अच्छा जन्म मिलता है। 
 
         
       
      - ब्रह्मा और विष्णु का कनेक्शन भी जरूर है।
        
          -  ब्रह्मा सो विष्णु एक सेकेण्ड में। 
 
         
       
      - मनुष्य से देवता बनते हैं, सेकेण्ड में जीवनमुक्ति इसको कहा जाता है। 
        
          - बाप के बने और जीवनमुक्ति का वर्सा पा लिया। 
 
          - जीवनमुक्त तो राजा प्रजा सब हैं।
 
          -  जो भी आने हैं उनको जीवनमुक्त बनना है। 
 
         
       
      - बाप तो समझाते हैं सबको।
        
          -  फिर है पुरुषार्थ करना, ऊंच पद पाने के लिए।
 
          -  सारा मदार है पुरुषार्थ पर।
 
          -  क्यों न पुरुषार्थ करते-करते हम ऊंच पद पायें। 
 
         
       
      - बाप को बहुत याद करने से बाप की दिल पर अर्थात् तख्त पर चढ़ जायेंगे।
        
          -  बाप कोई मेहनत नहीं देते हैं।
 
          -  अबलाओं से और क्या मेहनत करायेंगे।
 
          -  बाप की याद है भी गुप्त। 
 
          - ज्ञान तो प्रत्यक्ष हो जाता है। 
 
          - कहा जाता है इनका भाषण तो बहुत अच्छा है, परन्तु योग में कहाँ तक हैं? 
 
          - बाप को याद करते हैं?
 
          -  कितना समय याद करते हैं?
 
          -  याद से ही जन्म-जन्मान्तर के विकर्म विनाश होंगे।
 
         
       
      -  यह स्प्रीचुअल नॉलेज कल्प-कल्प रूहानी बाप शिव ही आकर देते हैं।
        
          -  और कोई भी ज्ञान दे नहीं सकते। 
 
         
       
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बाप दादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) अविनाशी ड्रामा के राज़ को बुद्धि में रख किसी को भी दोषी नहीं बनाना है। 
        
          - पुरुषोत्तम बनने का पुरुषार्थ करना है।
 
          -  इस थोड़े समय में बाप से पूरा वर्सा लेना है।
 
         
       
      -  2) डबल अहिंसक बनने के लिए कभी किसी पर क्रोध नहीं करना है।
        
          -  विकारों का दान दे सर्वगुण सम्पन्न बनने का पुरुषार्थ करना है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
       - ( All Blessings of 2021) 
 
      -  विश्व परिवर्तन के श्रेष्ठ कार्य में अपनी अंगुली देने वाले महान सो निर्माण भव
 
      -  जैसे कोई स्थूल चीज़ बनाते हैं तो उसमें सब चीजें डालते हैं, कोई साधारण मीठा या नमक भी कम हो तो बढ़िया चीज़ भी खाने योग्य नहीं बन सकती।
 
      -  ऐसे ही विश्व परिवर्तन के इस श्रेष्ठ कार्य के लिए हर एक रत्न की आवश्यकता है। सबकी अंगुली चाहिए।
 
      -  सब अपनी-अपनी रीति से बहुत-बहुत आवश्यक, श्रेष्ठ महारथी हैं इसलिए अपने कार्य की श्रेष्ठता के मूल्य को जानो, सब महान आत्मायें हो। 
 
      - लेकिन जितने महान हो उतने निर्माण भी बनो।
 
      - स्लोगन:-        
 
     - (All Slogans of 2021)
 
      - अपनी नेचर को इज़ी (सरल) बनाओ तो सब कार्य इज़ी हो जायेंगे।
 
     
        
           
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