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      - ओम् शान्ति।
 
      -  यह भक्तिमार्ग वालों का गीत है। 
        
          - ज्ञान मार्ग में गीत आदि नहीं गाया जाता है, न बनाया जाता है, न जरूरत है क्योंकि गाया हुआ है - बाप से सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा मिलता है। 
 
          - उसमें गीत आदि की कोई बात ही नहीं। 
 
          - तुम जानते हो हमें बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है। 
 
          - जो भक्ति मार्ग की रसम-रिवाज है, वह इसमें नहीं आ सकती। 
 
          - बच्चे कविता आदि बनाते हैं वह भी औरों को सुनाने के लिए। 
 
          - वह भी जब तक तुम नहीं समझाओ तब तक कोई समझ न सके। 
 
         
       
      - अब तुम बच्चों को बाप मिला है तो खुशी का पारा चढ़ना चाहिए। 
        
          - बाप ने 84 जन्मों के चक्र का नॉलेज भी सुनाया है। 
 
          - खुशी होनी चाहिए कि अभी हम स्वदर्शन चक्रधारी बने हैं। 
 
          - बाप से विष्णुपुरी के मालिक बन रहे हैं। 
 
          - निश्चयबुद्धि ही विजयन्ती। 
 
          - जिसको निश्चय होता वह सतयुग में जायेंगे ही। 
 
          - तो बच्चों को सदैव खुशी रहनी चाहिए, फालो फादर। 
 
         
       
      - बच्चे जानते हैं निराकार बाबा जब से इस तन में प्रवेश हुआ है, तो इनके पास भी बड़े हंगामें हुए। 
        
          - भाईयों के झगड़े, शहर के झगड़े, सारे सिन्ध के झगड़े चले। 
 
          - बच्चे बड़े हुए कहेंगे, जल्दी शादी करो। 
 
          - शादी बिगर काम कैसे चलेगा।
 
          -  गीता पढ़ना मिस नहीं करते थे, जब मालूम पड़ गया कि गीता का भगवान शिव है तो वह गीता पढ़ना छूट गई। 
 
          - फिर नशा चढ़ गया कि हम तो विश्व के मालिक बनते हैं।
 
          -  यह तो शिव भगवानुवाच है तो उस गीता को छोड़ दिया और फिर पवित्रता पर बड़ा हंगामा हुआ। 
 
          - भाई, काके, चाचे आदि कितने थे।
 
          -  इसमें बहादुरी चाहिए ना।
 
          -  तुम हो ही महावीर महावीरनी।
 
          -  सिवाए एक के और कोई की परवाह नहीं।
 
          -  पुरुष है रचता। 
 
          - रचता खुद पावन बनता है तो रचना को भी पावन बनाना है। 
 
          - पवित्र हंस और अपवित्र बगुले, इकट्ठे कैसे रह सकते हैं। 
 
          - क्रियेटर तो झट हुक्म करेगा हमारी मत पर चलना है तो चलो, नहीं तो निकल जाओ। 
 
          - तुमको पता है लौकिक बच्ची शादी की हुई थी। 
 
          - उनको मिला ज्ञान, तो बोले वाह! 
 
          - बाप कहते हैं पवित्र बनो तो हम क्यों नहीं बनेंगे। 
 
          - जवाब दे दिया पति को कि हम विष नहीं देंगे। 
 
          - बस इस बात पर ही बहुतों का झगड़ा चला। 
 
          - बड़े-बड़े घरों से बच्चियाँ निकल आई, कोई भी परवाह नहीं की।
 
          -  जिनकी तकदीर में नहीं है तो समझ भी न सकें। 
 
          - पवित्र रहना है तो रहो, नहीं तो जाकर अपना प्रबन्ध करो। 
 
          - इतनी हिम्मत भी तो चाहिए ना। 
 
          - बाप के सामने कितने हंगामें हुए। 
 
          - बाबा को कभी रंज हुआ देखा!
 
          -  अमेरिका तक अखबारों में निकल गया। 
 
          - नथिंग न्यु। 
 
          - यह तो कल्प पहले मुआफिक होता है, इसमें डर की बात क्या है। 
 
          - हमको तो अपने बाप से वर्सा लेना है। 
 
          - अपनी रचना को बचाना है। 
 
         
       
      - बाप जानते हैं सारी क्रियेशन इस समय पतित है। 
        
          - मुझे ही सबको पावन बनाना है। 
 
          - बाप को ही सब कहते हैं हे पतित-पावन, लिबरेटर आओ। 
 
          - तो उनको ही तरस पड़ता है। 
 
          - रहमदिल है ना। 
 
          - तो बाप समझाते हैं कि बच्चे कोई भी बात में डरो मत। 
 
          - डरने से इतना ऊंच पद पा नहीं सकेंगे। 
 
          - अत्याचार, माताओं पर ही होते हैं। 
 
          - यह भी निशानी है। 
 
          - द्रोपदी को नंगन करते हैं। 
 
          - बाप 21 जन्मों के लिए नंगन होने से बचाते हैं। 
 
          - दुनिया इन बातों को नहीं जानती है। 
 
         
       
      - सद्गति दाता तो मैं हूँ ना।
        
          - जब तक मनुष्य दुर्गति को न पायें तब तक मैं कैसे आकर सद्गति दूँ। 
 
          - पतित तमोप्रधान सृष्टि भी बननी है।
 
          -  हर चीज़ नई से पुरानी जरूर होती है। 
 
          - पुराने घर को छोड़ना ही पड़ता है। 
 
          - नई दुनिया गोल्डन एज, पुरानी दुनिया आइरन एज। 
 
          - सदैव नई तो रह न सके। 
 
         
       
      - तुम बच्चे जानते हो यह सृष्टि का चक्र है। 
        
          - देवी देवताओं का राज्य फिर से स्थापन हो रहा है। 
 
          - बाप कहते हैं फिर से तुमको गीता ज्ञान सुनाता हूँ। 
 
          - यहाँ रावणराज्य में दु:ख है। 
 
          - रामराज्य किसको कहा जाता है, यह भी किसको पता नहीं और समझते भी नहीं हैं। 
 
          - बाप कहते हैं मैं स्वर्ग अथवा रामराज्य की स्थापना करने आया हूँ।
 
          -  तुम बच्चों ने अनेक बार राज्य लिया और फिर गँवाया है। 
 
          - यह सबकी बुद्धि में है। 
 
          - 21 जन्म सतयुग में रहते हैं, उसको कहा जाता है 21 पीढ़ी अर्थात् जब बूढ़े होते हैं तब शरीर छोड़ते हैं। 
 
          - अकाले मृत्यु कभी होती नहीं। 
 
          - अब तुम जैसे त्रिकालदर्शी बन गये हो। 
 
          - अभी तुम जानते हो हम जन्म-जन्मान्तर भक्ति करते हैं। 
 
         
       
      - रावण राज्य में भी भभका देखो कितना है। 
        
          - यह है पिछाड़ी का भभका। 
 
          - राम-राज्य सतयुग में होगा - वहाँ यह विमान आदि सब थे फिर यह सब गुम हो गये। 
 
          - फिर इस समय यह सब निकले हैं। 
 
          - अभी यह सब सीख रहे हैं। 
 
          - जो सीखने वाले हैं वह संस्कार ले जायेंगे।
 
          -  फिर आकर वहाँ विमान बनायेंगे। 
 
          - यह तुमको भविष्य में सुख देने वाले हैं। 
 
          - यह विमान आदि भारतवासी भी बना सकते हैं। 
 
          - कोई नई बात नहीं। 
 
          - अक्लमंद तो हैं ना। 
 
          - यह सांइस तुमको फिर काम आयेगी। 
 
          - अभी यह सांइस दु:ख के लिए है फिर वहाँ सुख के लिए होगी।
 
         
       
      -  वहाँ तो हर चीज़ नई होगी।
        
          -  अभी तो नई दुनिया की स्थापना हो रही है। 
 
          - बाप ही नई दुनिया की राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
 
          -  तो बच्चों को महावीर बनना है।
 
         
       
      - दुनिया में यह कोई थोड़ेही जानते कि भगवान आया हुआ है।
        
          -  बाप कहते हैं - गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र रहो। 
 
          - इसमें डरने की बात नहीं, करके गाली देंगे। 
 
          - गाली इनको भी बहुत दी हैं।
 
          - कृष्ण ने गाली खाई, ऐसा दिखाते हैं। 
 
          - अब कृष्ण तो गाली खा न सके। 
 
          - गाली तो कलियुग में खाते हैं। 
 
         
       
      - तुम्हारा रूप जो अभी है फिर कल्प बाद इस समय होगा। 
        
          - बीच में हो न सके। 
 
          - जन्म बाई जन्म फीचर्स बदलते जाते हैं। 
 
          - एक आत्मा को 84 जन्मों में एक जैसे फीचर्स मिल न सके। 
 
          - सतो रजो तमो में आते जाते हैं, फीचर्स बदलते जाते हैं। 
 
          - यह ड्रामा बना हुआ है। 
 
          - 84 जन्मों में जो फीचर्स वाले जन्म लिए हैं, वही लेंगे। 
 
          - अब तुम जानते हो इनके फीचर्स बदल दूसरे जन्म में यह लक्ष्मी-नारायण हो जायेंगे। 
 
          - तुम्हारी बुद्धि का ताला अब खुला है। 
 
          - अब यह है नई बात। 
 
          - बाबा भी नया, बातें भी नई। 
 
          - यह बातें किसकी समझ में जल्दी नहीं आयेंगी। 
 
          - जब तकदीर में हो तब कुछ समझें। 
 
         
       
      - महावीर कोई तूफान से डरेंगे नहीं। 
        
          - वह अवस्था पिछाड़ी में होनी है इसलिए गाया हुआ है अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप गोपियों से पूछो। 
 
          - बाप आये ही हैं तुम बच्चों को स्वर्ग के लायक बनाने।
 
          -  कल्प पहले मिसल नर्क का विनाश तो होना ही है।
 
         
       
      -  सतयुग में तो एक ही धर्म होगा।
        
          -  चाहते भी हैं वन-नेस हो।
 
          -  एक धर्म होना चाहिए। 
 
         
       
      - यह भी किसको पता नहीं है कि रामराज्य, रावण राज्य अलग-अलग है।
        
          -  यहाँ विकार बिगर जन्म हो न सके। 
 
          - मूत पलीती हैं ना। 
 
          - अब बाप में निश्चय है तो श्रीमत पर पूरी रीति चलना पड़े ना।
 
          -  हर एक की नब्ज भी देखी जाती है। 
 
          - उस अनुसार राय भी दी जाती है। 
 
          - बाबा ने भी बच्चों को कहा कि अगर शादी करनी है तो जाकर करो। 
 
          - बहुत मित्र-सम्बन्धी आदि बैठे हैं, उनको शादी करा लेंगे। 
 
         
       
      - तो हर एक की नब्ज देखी जाती है। 
        
          - पूछते हैं बाबा; इस हालत में हैं, हम पवित्र रहने चाहते हैं, हमारे सम्बन्धी हमको घर से निकालने चाहते हैं। 
 
          - अब क्या करना है? 
 
          - यह पूछते हो, पवित्र रहना है। 
 
          - अगर नहीं रह सकते हो तो जाकर शादी करो। 
 
          - अच्छा समझो किसकी सगाई हुई है। 
 
          - राज़ी करना है, हर्जा थोड़ेही हैं। 
 
          - हथियाला जब बांधते हैं तो भी कहते हैं - यह तुम्हारा पति गुरू है। 
 
          - अच्छा उस समय तुम उनसे लिखवाते जाना।
 
          -  मानती हो मैं तुम्हारा गुरू ईश्वर हूँ, लिखो। 
 
          - अच्छा अब मैं तुमको हुक्म देता हूँ, पवित्र रहना है। 
 
          - हिम्मत चाहिए ना। 
 
          - मंजिल बहुत भारी है। 
 
          - दोनों इकट्ठे कैसे रहते हैं, यह सबको दिखलाना है। 
 
          - प्राप्ति बहुत जबरदस्त है। 
 
          - आग तब लगती है जब प्राप्ति का पता नहीं है। 
 
          - बाप कहते हैं - इतनी बड़ी प्राप्ति होती है तो एक जन्म पवित्र रहो, तो क्या बड़ी बात है। 
 
          - हम तुम्हारा पति ईश्वर हैं। 
 
          - हमारी आज्ञा पर पवित्र रहना पड़ेगा। 
 
          - बाप युक्तियाँ बता देते हैं। 
 
          - भारत में यह कायदा है, स्त्री को कहते हैं तुम्हारा पति ईश्वर है, उनकी आज्ञा पर चलना है। 
 
          - पति के पांव दबाना है क्योंकि समझते हैं लक्ष्मी ने नारायण के पांव दबाये थे।
 
          -  यह आदत कहाँ से निकली? 
 
          - इन झूठे चित्रों से। 
 
          - सतयुग में तो ऐसी बातें होती नहीं। 
 
          - नारायण कब थकता है क्या जो लक्ष्मी बैठ पांव दबायेगी? 
 
          - थकावट की बात हो न सके। 
 
          - यह तो दु:ख की बात हो जाती है। 
 
          - वहाँ दु:ख कहाँ से आया। 
 
          - तो कितनी झूठी बातें लिख दी हैं। 
 
          - बाबा को छोटेपन से ही वैराग्य रहता था, इसलिए भक्ति करते थे।
 
         
       
      - बाबा बच्चों को युक्ति बहुत अच्छी बताते हैं। 
        
          - कोई बच्चे को सम्बन्धी तंग करते हैं, अच्छा शादी कर लो। 
 
          - स्त्री तुम्हारी हो गई। 
 
          - फिर कोई कुछ कर न सके।
 
          -  आपस में मिल पवित्र रहो, कम्पैनियन हो गये। 
 
          - विलायत में बूढ़े होते हैं तो सम्भाल के लिए कम्पैनियन रख देते हैं। 
 
          - सिविल मैरेज करते हैं। 
 
          - विकार में नहीं जायेंगे। 
 
          - अब तुम जानते हो हम एक बाप के बच्चे हैं, आपस में भाई-बहन हो गये। 
 
          - दादे से वर्सा लेते हैं। 
 
         
       
      - बाप को बुलाते भी पतित दुनिया में हैं।
        
          -  हे पतित-पावन, सब सीताओं के राम। 
 
          - मनुष्य राम-राम जपते हैं तो सीता को थोड़ेही याद करते हैं।
 
          -  उनसे बड़ी तो लक्ष्मी है।
 
          -  परन्तु याद तो एक बाप को करते हैं। 
 
          - लक्ष्मी-नारायण को फिर भी जानते हैं, शिव को तो कोई जानते नहीं।
 
          -  आत्मा बिन्दी है तो आत्माओं का बाप भी बिन्दी होगा ना। 
 
          - आत्मा में सारा ज्ञान है। 
 
          - उनको कहा जाता है ज्ञान का सागर। 
 
          - तुम आत्मा भी ज्ञान सागर बनती हो।
 
          -  ज्ञान सागर बैठ तुम आत्माओं को समझाते हैं। 
 
          - आत्मा चैतन्य है।
 
          -  तुम्हारी आत्मा ज्ञान का सागर बन रही है।
 
          -  सारी सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान तुमको है। 
 
         
       
      - मीठे बच्चों को हिम्मत रखनी चाहिए।
        
          -  हमको बाबा की श्रीमत पर चलना चाहिए ना। 
 
          - बेहद का बाप बेहद के बच्चों को स्वर्ग का मालिक बनाते हैं तो बाप कहते हैं तुम भी अपनी रचना को हाथ में रखो। 
 
          - अगर बच्चा तुम्हारी आज्ञा नहीं मानता है तो बच्चा, बच्चा नहीं।
 
          -  वह तो कपूत ठहरा। 
 
          - आज्ञाकारी, फरमानबरदार बच्चा हो तो वर्से का हकदार बन सकता। 
 
          - बेहद का बाप भी कहते हैं मेरी श्रीमत पर चलेंगे तो तुम ऐसे श्रेष्ठ बनेंगे। 
 
          - नहीं तो प्रजा में चले जायेंगे। 
 
         
       
      - बाप तुमको नर से नारायण बनाने आये हैं।
        
          - यह है सच्ची सत्य नारायण की कथा। 
 
          - तुम राजाई प्राप्त करने आये हो। 
 
          - अब मम्मा बाबा राजा रानी बनते हैं तो तुम भी हिम्मत करो। 
 
          - बाप तो जरूर आप समान बनायेंगे। 
 
          - प्रजा बनने में ही राज़ी नहीं होना चाहिए। 
 
          - पुरुषार्थ करना है - हम बाप से पूरा वर्सा लेंगे, वारी जायेंगे। 
 
          - तुम उनको अपना वारिस बनायेंगे तो यह तुमको 21 जन्मों के लिए वर्सा देंगे।
 
          -  बाप बच्चों पर वारी जाते हैं। 
 
         
       
      - बच्चे कहते हैं बाबा यह तन-मन-धन सब आपका है। 
        
          - आप बाप भी हो तो बच्चे भी हो। 
 
          - त्वमेव माताश्च पिता त्वमेव। 
 
          - एक बाप की महिमा कितनी बड़ी है।
 
          -  दुनिया में इन बातों को कोई नहीं जानते। 
 
          - भारत की ही सारी बात है। 
 
         
       
      - तुम बच्चे जानते हो यह वही 5 हजार वर्ष पहले वाली लड़ाई है। 
        
          - अभी स्वर्ग की स्थापना हो रही है।
 
         
       
      -  तो बच्चों को सदैव बहुत खुशी में रहना चाहिए। 
        
          - भगवान ने तुमको एडाप्ट किया है तो तुमको खुशी होनी चाहिए।
 
          -  फिर तुम बच्चों का बाप श्रृंगार कर रहे हैं।
 
          -  पढ़ाते भी हैं - बेहद का बाप, ज्ञान का सागर है। 
 
          - हमको सारी सृष्टि के आदि मध्य अन्त का राज़ समझाते हैं।
 
         
       
      -  जो बाप को ही नहीं जानते, वह हैं नास्तिक।
        
          -  तुम बाप और रचना को जानते हो, तुम हो आस्तिक। 
 
          - लक्ष्मी-नारायण आस्तिक हैं या नास्तिक?
 
          -  तुम क्या कहेंगे?
 
          -  तुम खुद कहते हो सतयुग में परमात्मा को कोई याद नहीं करते हैं।
 
          -  वहाँ है सुख, तो सुख में परमात्मा का सिमरण करते नहीं क्योंकि परमात्मा को जानते नहीं। 
 
          - इस समय तुम आस्तिक बनकर वर्सा पा रहे हो।
 
          -  फिर वहाँ याद ही नहीं करते हो।
 
          -  यहाँ याद करते हैं परन्तु उनको जानते नहीं हैं इसलिए नास्तिक कहा जाता है।
 
          -  वहाँ जानते भी नहीं तो याद भी नहीं करते।
 
          -  उन्हों को यह भी पता नहीं होगा कि यह वर्सा हमको शिवबाबा से मिला है। 
 
          - लेकिन उनको नास्तिक नहीं कहेंगे क्योंकि पावन है। 
 
         
       
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      -  धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) श्रीमत पर चलने की पूरी-पूरी हिम्मत रखनी है।
        
          -  किसी भी बात में डरना वा रंज (नाराज) नहीं होना है।
 
         
       
      - 2) अपनी रचना अपने हाथ में रखनी है। 
        
          - उन्हें विकारों से बचाना है। 
 
          - पावन बनने की राय देनी है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021) 
 
      -  शरीर को ईश्वरीय सेवा के लिए अमानत समझकर कार्य में लगाने वाले नष्टोमोहा भव        
 
      - जैसे कोई की अमानत होती है तो अमानत में अपनापन नहीं होता, ममता भी नहीं होती है। 
 
      - तो यह शरीर भी ईश्वरीय सेवा के लिए एक अमानत है।
 
      -  यह अमानत रूहानी बाप ने दी है तो जरूर रूहानी बाप की याद रहेगी।
 
      -  अमानत समझने से रुहानियत आयेगी, अपने पन की ममता नहीं रहेगी।
 
      -  यही सहज उपाय है निरन्तर योगी, नष्टोमोहा बनने का। 
 
      - तो अब रूहानयित की स्थिति को प्रत्यक्ष करो।
 
      - स्लोगन:-
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      -  वानप्रस्थ स्थिति में जाना है तो दृष्टि-वृत्ति में भी पवित्रता को अण्डरलाइन करो।
 
     
        
           
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