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      - ओम् शान्ति। 
 
      - देखो हम महिमा ही करते हैं अपने बाप की।
        
          -  अहम् आत्मा जरूर अपने फादर का शो करेंगे ना। 
 
          - सन शोज़ फादर। 
 
          - तो अहम् आत्मा, तुम भी कहेंगे हम आत्मायें, हम सबका फादर एक परमात्मा है जो सबका पिता है। 
 
          - यह तो सब मानेंगे।
 
          -  ऐसे नहीं कहेंगे कि हम आत्माओं का फादर कोई अलग-अलग है। 
 
          - फादर सबका एक है। 
 
          - अब हम उनके बच्चे होने कारण उनके आक्युपेशन को जानते हैं। 
 
          - हम ऐसे नहीं कह सकते कि परमात्मा सर्वव्यापी है।
 
          -  फिर तो सबमें परमात्मा हो जाए। 
 
          - फादर को याद कर बच्चे खुश होते हैं क्योंकि जो कुछ फादर के पास होता है उनका वर्सा बच्चे को मिलता है। 
 
          - अब हम हैं परमात्मा के वारिस, उनके पास क्या है? 
 
          - वह आनंद का सागर है, ज्ञान का सागर है, प्रेम का सागर है। 
 
          - हमको मालूम है तब हम उनकी महिमा करते हैं। 
 
          - दूसरे यह नहीं कहेंगे।
 
          -  करके कोई कहते भी हैं लेकिन वह कैसे है, यह तो पता ही नहीं। 
 
          - बाकी तो सब कह देते परमात्मा सर्वव्यापी है। 
 
          - लेकिन हम उनके बच्चे हैं तो अपने निराकार इमार्टल बाप की महिमा वर्णन करते हैं कि वह आनंद का सागर, ज्ञान का सागर, प्रेम का भण्डार है।
 
         
       
      -  लेकिन कोई प्रश्न उठायेगा कि आप कहते हो कि वहाँ इनकारपोरियल वर्ल्ड में तो दु:ख सुख से न्यारी अवस्था रहती है। 
        
          - वहाँ सुख अथवा आनंद अथवा प्रेम कहाँ से आया? 
 
          - अब यह समझने की बातें हैं। 
 
          - यह जो आनंद, सुख अथवा प्रेम कहते हैं, यह तो हुई सुख की अवस्था लेकिन वहाँ शान्ति देश में आनंद, प्रेम अथवा ज्ञान कहाँ से आया? 
 
          - वह सुख का सागर जब इस साकार सृष्टि में आते हैं तब आकर सुख देते हैं। 
 
          - वहाँ तो दु:ख सुख से न्यारी अवस्था में रहते हैं क्योंकि तुमको समझाया है कि एक है दु:ख सुख से न्यारी दुनिया, जिसको इनकारपोरियल वर्ल्ड कहते हैं। 
 
          - दूसरी फिर है सुख की दुनिया, जहाँ सदा सुख, आनंद रहता है, जिसको स्वर्ग कहते हैं और यह है दु:ख की दुनिया जिसको नर्क अथवा आइरन एजड वर्ल्ड कहते हैं। 
 
         
       
      - अब इस आइरन एजड वर्ल्ड को परमपिता परमात्मा जो सुख का सागर है, वह आकर इसे बदलाकर आनंद, सुख का, प्रेम का भण्डार बनाते हैं।
        
          -  जहाँ सुख ही सुख है। 
 
          - प्रेम ही प्रेम है। 
 
          - वहाँ जानवरों में भी बहुत प्रेम रहता है। 
 
          - शेर गाय भी इकट्ठे जल पीते हैं, इतना उन्हों में प्रेम रहता है। 
 
          - तो परमात्मा आकर जो अपनी राजधानी स्थापन करते हैं, उसमें सुख और आनंद है। 
 
         
       
      - बाकी इनकारपोरियल दुनिया में तो सुख आनंद की बात ही नहीं, प्रेम की बात ही नहीं है।
        
          -  वह तो है इनकारपोरियल आत्माओं का निवास स्थान। 
 
          - वह है सबकी रिटायर लाइफ अथवा निर्वाण अवस्था। 
 
          - जहाँ दु:ख सुख की कोई फीलिंग नहीं रहती। 
 
          - वह दु:ख सुख का पार्ट तो इस कारपोरियल वर्ल्ड में चलता है। 
 
         
       
      - इस ही सृष्टि पर जब स्वर्ग है तो इटरनल आत्मिक लव रहता है क्योंकि दु:ख है बल्ड कनेक्शन में। 
        
          - संन्यासियों में भी बल्ड कनेक्शन नहीं रहता इसलिए उनमें भी दु:ख की कोई बात नहीं रहती है। 
 
          - वह तो कहते मैं सत चित आनंद स्वरूप हूँ क्योंकि बल्ड कनेक्शन को त्याग देते हैं। 
 
          - वैसे यहाँ भी तुम्हारा कोई बल्ड कनेक्शन नहीं है। 
 
         
       
      - यहाँ हम सबका आत्मिक लव है, जो परमात्मा सिखलाते हैं।
        
          -  बाप कहते हैं यू आर माई बीलव्ड सन्स।
 
          -  हमारा आनंद, प्रेम, सुख तुम्हारा है क्योंकि तुमने वह दुनिया छोड़कर हमारी आकर गोद ली है। 
 
         
       
      - यह भी तुम प्रैक्टिकल लाइफ में आकर गोद में बैठे हो।
        
          -  ऐसे नहीं जैसे वह गुरू की गोद ले चले जाते हैं घर में। 
 
          - उनको बीलव्ड सन्स नहीं कहेंगे। 
 
          - उनकी भी वह जैसे प्रजा है।
 
          -  बाकी जो संन्यास कर उनकी गोद लेते हैं वही बीलव्ड सन बनते हैं क्योंकि वही गुरू के पीछे गद्दी पर बैठते हैं। 
 
          - बच्चे और प्रजा में रात दिन का फ़र्क रहता है। 
 
          - वह वारिस बन वर्सा लेते हैं। 
 
          - जैसे तुमने उनसे बल्ड कनेक्शन तोड़ इस निराकार वा साकार की गोद ली है तो वारिस बन गये हो। 
 
          - इसमें भी फिर जितना ज्ञान लेंगे वह है ब्लिस। 
 
          - एज्यूकेशन को ब्लिस कहा जाता है। 
 
          - तो जितना वह उठायेंगे, उतना उस राजधानी में प्रजा में सुख लेंगे। 
 
          - यह गाडली एज्युकेशन ब्लिस है ना, जिससे सुप्रीम पीस एण्ड हैपीनेस मिलती है।
 
         
       
      -  यह अटल अखण्ड सुख शान्तिमय स्वराज्य है गॉड की प्रापर्टी, जो बच्चों को मिलती है। 
        
          - फिर जितना-जितना जो ज्ञान उठायेंगे, उतना बाप का वर्सा मिल जायेगा। 
 
          - जैसे तुम्हारे पास इतने जिज्ञासू आते हैं वह है, तुम्हारी बीलव्ड प्रजा। 
 
          - बच्चे नहीं क्योंकि आते जाते रहते हैं, बच्चे भी हो सकते हैं क्योंकि प्रजा से कोई वारिस भी तो बन जाते हैं। 
 
          - जब ज्ञान लेते लेते देखते हैं यहाँ तो अथाह सुख और शान्ति है, उस दुनिया में तो दु:ख है तो आकर गोद ले लेते हैं। 
 
          - फौरन तो कोई बच्चा नहीं बन जाता। 
 
          - तुम भी पहले आते जाते थे फिर सुनते-सुनते बैठ गये, तो वारिस बन गये। 
 
          - संन्यासियों के पास भी ऐसे होता है। 
 
          - सुनते-सुनते जब समझते हैं संन्यास में तो शान्ति सुख है तो संन्यास कर लेते हैं।
 
          -  यहाँ भी जब टेस्ट आ जाती है तो बीलव्ड सन बन जाते हैं तो जन्म जन्मान्तर के लिए वर्सा मिल जाता है। 
 
          - वह फिर दैवी सिजरे में आते रहते हैं।
 
          -  प्रजा तो साथ नहीं रहती वह कहाँ-कहाँ कर्मबन्धन में चले जाते।
 
          - जैसे गीत में कहते हैं महफिल में जल उठी शमा परवानों के लिए। 
 
          - तो परवाने भी शमा पर डांस करते करते मर जाते हैं।
 
          -  कोई चक्कर लगाए चले जाते हैं।
 
          -  यह तन भी एक शमा है जिसमें आलमाइटी बाबा का प्रवेश है। 
 
          - तुम परवाने बन आये, आते जाते आखिर जब राज़ समझ लिया तो बैठ गये। 
 
         
       
      - आते तो हजारों लाखों हैं, तुम्हारे द्वारा भी सुनते रहते हैं। 
        
          - वह तो जितना सुनेंगे उतना पीस और ब्लिस का वरदान लेते जायेंगे क्योंकि यह इमार्टल फादर की शिक्षा तो विनाश नहीं होती। 
 
          - इसको कहते हैं अविनाशी ज्ञान धन। 
 
          - उसका विनाश नहीं होता। 
 
         
       
      - तो जो थोड़ा बहुत भी सुनते हैं वह प्रजा में आयेंगे जरूर।
        
          -  वहाँ तो प्रजा भी बहुत-बहुत सुखी है। 
 
          - इटरनल ब्लिस है क्योंकि वहाँ सब सोल कान्सेस रहते हैं।
 
          -  यहाँ बाडीकान्सेस हो गये हैं इसलिए दु:खी हैं। 
 
          - वहाँ तो है ही स्वर्ग, वहाँ दु:ख का नाम निशान नहीं। 
 
          - जानवर ही कितना सुख शान्ति में रहते हैं तो प्रजा में कितना प्रेम और सुख होगा। 
 
         
       
      - यह तो जरूर है सब तो वारिस नहीं बनते। 
        
          - यहाँ तो 108 पक्के संन्यासी विजय माला के दाने बनने वाले हैं। 
 
          - वह भी अभी बने नहीं हैं, बन रहे हैं। 
 
          - साथ-साथ प्रजा भी बन रही है। 
 
          - वह भी बाहर रहकर सुनते रहते हैं। 
 
          - घर बैठे योग लगा रहे हैं।
 
          -  योग लगाते-लगाते कोई फिर अन्दर आ जाते तो प्रजा से वारिस बन जाते। 
 
          - वह जब तक कर्मबन्धन का हिसाब है कुछ तब तक बाहर रह योग लगाते, निर्विकारी रहते आते हैं। 
 
          - तो घर में रह जो निर्विकारी रहते तो घर में झगड़ा जरूर होगा क्योंकि कामेश क्रोधेशु... काम महाशुत्र पर जब तुम जीत पाते हो, विष देना बन्द करते हो तो झगड़ा होता है।
 
         
       
      - बाप कहते हैं बच्चे, मौत सामने खड़ा है। 
        
          - सारी दुनिया विनाश होनी है। 
 
          - जैसे बुढ़ों को कहते मौत सामने है, परमात्मा को याद करो।
 
          -  बाप भी कहते बच्चे निर्विकारी बन जाओ।
 
          -  परमात्मा को याद करो। 
 
          - जैसे तीर्थ पर जाते हैं तो काम क्रोध सब बन्द कर देते हैं। 
 
          - रास्ते में काम चेष्ठा थोड़ेही करेंगे। 
 
          - वह तो सारा रास्ता अमरनाथ की जय, जय करते जाते लेकिन लौट आते तो फिर वही विकारों में गोता खाते रहते, तुमको तो लौटना नहीं है।
 
          -  काम, क्रोध में आना नहीं है।
 
          -  विकारों में जायेंगे तो पद भ्रष्ट हो जायेंगे। 
 
          - होलीनेस नहीं बनेंगे। 
 
          - जो होली बनेंगे वह विजय माला में आयेंगे।
 
          -  जो फेल होंगे वह चन्द्रवंशी घराने में चले जायेंगे।
 
         
       
      - यह तुम सबको परमपिता परमात्मा बैठ पढ़ाते हैं।
        
          - वही ज्ञान का सागर है ना। 
 
          - वहाँ इनकारपोरियल दुनिया में तो आत्माओं को बैठ ज्ञान नहीं सुनायेंगे। 
 
          - यहाँ आकर तुम्हें ज्ञान सुनाते हैं। 
 
          - कहते हैं तुम हमारे बच्चे हो। 
 
          - जैसे हम प्युअर हैं वैसे तुम भी प्युअर बनो। 
 
          - तो तुम सतयुग में सुखमय, प्रेममय राज्य करेंगे, जिसको वैकुण्ठ कहते हैं।
 
          -  अब यह दुनिया बदल रही है क्योंकि आइरन एज से गोल्डन एज बन रही है। 
 
          - फिर गोल्डन एज से सिलवर एज़ में बदलेंगे। 
 
          - सिलवर एज से कापर एज, फिर कापर एज से आइरन एज में बदलते जायेंगे। 
 
          - ऐसे दुनिया बदलती रहती है। 
 
         
       
      - तो अब यह दुनिया बदल रही है।
        
          -  कौन बदला रहा है?
 
          -  गाड हिमसेल्फ, जिनके तुम बीलव्ड बच्चे बने हो। 
 
         
       
      - प्रजा भी बन रही है लेकिन बच्चे, बच्चे हैं, प्रजा प्रजा है। 
        
          - जो संन्यास करते वह वारिस बन जाते। 
 
          - उनको रॉयल घराने में अवश्य ले जाना है। 
 
          - लेकिन अगर ज्ञान इतना नहीं उठाया है तो पद नहीं पायेंगे। 
 
          - जो पढ़ेगा वह नवाब बनेगा। 
 
          - जो आते जाते हैं वह फिर प्रजा में आयेंगे।
 
          -  फिर जितना होली बनेंगे उतना सुख मिलेगा। 
 
          - बीलव्ड तो वह भी बनते लेकिन फुल बिलवेड तब बनते हैं जब बच्चा बनते हैं। समझा।
 
         
       
      - संन्यासी भी बहुत प्रकार के होते हैं। 
        
          - एक होते हैं जो घरबार छोड़ जाते हैं, दूसरे फिर ऐसे भी होते है जो गृहस्थ में रहते विकार मे नहीं जाते हैं। 
 
          - वह फालोअर्स को बैठ शास्त्र आदि सुनाते हैं। 
 
          - आत्मा का ज्ञान देते हैं, उनके भी शिष्य होते हैं। 
 
          - लेकिन उनके शिष्य उनके बीलव्ड सन नहीं बन सकते क्योंकि वह तो घरबार, बच्चे वाला होता है। 
 
          - तो वह अपने पास तो बिठा नहीं सकते। 
 
          - न खुद संन्यास किया हुआ है, न औरों को संन्यास करा सकता है। 
 
          - उनके शिष्य भी गृहस्थ में रहते हैं। 
 
          - उनके पास आते जाते रहते हैं। 
 
          - वह सिर्फ उनको ज्ञान देते रहते अथवा मन्त्र दे देते हैं। बस। 
 
          - अब उनके वारिस तो बने नहीं तो उनकी वृद्धि कैसे होगी।
 
          -  बस ज्ञान देते देते शरीर छोड़ चले जाते।
 
         
       
      - देखो, एक माला है 108 की, दूसरी फिर उससे बड़ी 16108 की माला होती है।
        
          -  वह है चन्द्रवंशी घराने के रायॅल प्रिन्स प्रिन्सेज की माला। 
 
          - तो यहाँ जो इतना ज्ञान नहीं उठा सकते, प्युरीफाय नहीं बनते तो सजायें खाकर चन्द्रवंशी घराने की माला में आ जायेंगे।
 
          -  प्रिन्स प्रिन्सेज तो बहुत होते हैं।
 
          - यह राज़ भी तुम अभी सुनते हो, जानते हो। 
 
          - वहाँ यह ज्ञान की बातें नहीं रहती। 
 
         
       
      - यह ज्ञान तो सिर्फ अब संगम पर मिलता है जब दैवी धर्म की स्थापना हो रही है। 
        
          - तो सुनाया जो पूरा कर्मेन्द्रियों को नहीं जीतेंगे वह चन्द्रवंशी घराने की माला में चले जायेंगे। 
 
          - जो जीतेंगे वह सूर्यवंशी घराने में आयेंगे। 
 
          - उन्हों में भी तो नम्बरवार बनते हैं जरूर। 
 
          - शरीर भी अवस्था अनुसार मिलता है। 
 
         
       
      - देखो, सबसे मम्मा तीखी गई है तो उसको स्कालरशिप मिल गई है।
        
          - मानीटर बन गई। 
 
          - उनको सारा ज्ञान का कलष दे दिया, उसको हम भी माता कहते क्योंकि मैंने भी सारा तन मन धन उनके चरणों में स्वाहा कर दिया, लौकिक बच्चों को नही दिया क्योंकि वह तो बल्ड कनेक्शन हो गया। 
 
          - यह तो इटरनल बच्चे बनते हैं, सब संन्यास कर आते हैं तो उन पर लव जास्ती जाता है। 
 
          - इटरनल लव सबसे तीखा होता है।
 
          -  संन्यासी तो अकेले घरबार छोड़ भाग जाते हैं।
 
          -  यहाँ तो सब ले आकर स्वाहा किया है। 
 
         
       
      - परमात्मा खुद प्रैक्टिकल में एक्ट कर दिखलाते हैं।
        
          - तुमको कोई भी प्रश्न का जवाब यहाँ मिल सकता है। 
 
          - वह परमात्मा खुद भी आकर बता सकते हैं। 
 
          - वह तो जादूगर है, उसका यह जादूगरी का पार्ट अभी चल रहा है। 
 
          - तुम तो बहुत प्यारे बच्चे हो, तुमको बाप कभी ख़फा (नाराज़) नहीं कर सकते।
 
          -  ख़फा करें तो बच्चे भी गुस्सा करना सीख जायें।
 
          -  यहाँ तो सबका आन्तरिक लव है।
 
         
       
      -  स्वर्ग में भी कितना प्रेम रहता है। 
        
          - वहाँ तो सतो-प्रधान रहते हैं।
 
          -  यहाँ जो विजीटर्स आते हैं उन्हों की भी बहुत सेवा होती है क्योंकि उन्हों पर भी पीस और हैपीनेस की वर्षा होती है। 
 
          - वह बीलव्ड प्रजा बनने वाले हैं। 
 
          - माँ बाप बच्चे सब उनकी सर्विस में लग जाते हैं।
 
          -  भल देवी देवता बन रहे हैं लेकिन यहाँ वह पद का अंहकार नहीं रहता। 
 
          - सब ओबीडियन्ट सर्वेन्ट बन सर्विस में हाज़िर हो जाते हैं।
 
          -  गॉड भी ओबीडियन्ट सर्वेन्ट बन अपने बीलव्ड सन्स और प्रजा की सर्विस करते हैं।
 
          -  उनकी बच्चों के ऊपर ही ब्लिस रहती है। 
 
         
       
      - अच्छा।
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे नूरे रत्न, कल्प-कल्प के बिछुड़े हुए बच्चे जो फिर से आकर मिले हैं, ऐसे बच्चों प्रति मात पिता बापदादा का दिल व जान, सिक व प्रेम से यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) जैसे बापदादा बच्चों को कभी ख़फा (नाराज़)नहीं करते, ऐसे तुम बच्चों को भी किसी को नाराज़ नहीं करना है, आपस में आन्तरिक लव से रहना है।
        
      
 
      - 2) पीस और ब्लिस का वरदान लेने के लिए शमा पर पूरा फिदा होना है।
        
          -  पढ़ाई से सुप्रीम पीस और हैपीनेस का गॉडली अधिकार लेना है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021) 
 
      -  संगठन में सहयोग की शक्ति द्वारा विजयी बनने वाले सर्व के शुभचिंतक भव        
 
      - यदि संगठन में हर एक, एक दो के मददगार, शुभचिंतक बनकर रहें तो सहयोग की शक्ति का घेराव बहुत कमाल कर सकता है।
 
      -  आपस में एक दो के शुभचिंतक सहयोगी बनकर रहो तो माया की हिम्मत नहीं जो इस घेराव के अन्दर आ सके।
 
      -  लेकिन संगठन में सहयोग की शक्ति तब आयेगी जब यह दृढ़ संकल्प करेंगे कि चाहे कितनी भी बातें सहन करना पड़े लेकिन सामना करके दिखायेंगे, विजयी बनकर दिखायेंगे।
 
      - स्लोगन:-
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      -  कोई भी इच्छा, अच्छा बनने नहीं देगी, इसलिए इच्छा मात्रम् अविद्या बनो।
 
     
        
           
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