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      - ओम् शान्ति।
 
      -  बाप फरमाते हैं कि तुम हो ब्राह्मण सम्प्रदाय, तुमको अब दैवी सम्प्रदाय नहीं कह सकते। 
        
          - तुम अब हो ब्राह्मण सम्प्रदाय, पीछे दैवी सम्प्रदाय बनने वाले हो। 
 
         
       
      - यह जो रामायण है, आज (दशहरे पर) जैसे इनका रामायण पूरा होने वाला है परन्तु पूरा होता नहीं। 
        
          - अगर रावण मरता है तो रामायण की कथा पूरी होनी चाहिए, परन्तु होती नहीं है। 
 
          - छुटकारा होता है महाभारत से। 
 
          - अब यह भी समझने की बाते हैं।
 
         
       
      -  रामायण क्या है और महाभारत क्या है?
        
          -  दुनिया तो इन बातों को जानती नहीं। 
 
          - रामायण और महाभारत दोनों का कनेक्शन है। 
 
          - महाभारत लड़ाई से रावण राज्य खत्म होता है।
 
          -  फिर यह दशहरा आदि मनाने का ही नहीं है।
 
          -  गीता अथवा महाभारत भी है रावण राज्य को खत्म करने वाले। 
 
          - अभी तो टाइम है, तैयारी भी हो रही है - वह है हिंसक, तुम्हारी है अहिंसक। 
 
          - तुम्हारी है गीता, तुम गीता का ज्ञान सुनते हो।
 
          -  उससे क्या होने का है? 
 
          - रावणराज्य खलास होने का है।
 
          -  वह भल रावण को मारते हैं परन्तु रामराज्य तो होता नहीं।
 
          -  अब रामायण और महाभारत है ना।
 
          -  तो महाभारत है रावण को खलास करने के लिए। 
 
          - यह बड़ी गुह्य समझने की बातें ह़ैं इसमें विशाल बुद्धि चाहिए। 
 
          - बाप समझाते हैं महाभारत लड़ाई से रावणराज्य खत्म होता है।
 
          -  ऐसे नहीं कि सिर्फ रावण को मारने से रावण राज्य खत्म हो जाता है। 
 
          - उसके लिए तो संगम चाहिए।
 
          -  अब संगम है। 
 
         
       
      - अब तुम तैयारी कर रहे हो, रावण पर विजय पाने की। 
        
          - इसमें ज्ञान के अस्त्र शस्त्र चाहिए। वह नहीं।
 
          -  जैसे दिखाते हैं रावण और राम की युद्ध हुई। 
 
          - यह शास्त्र सब है भक्ति मार्ग के। 
 
          - अभी तुम रावण राज्य पर विजय पाते हो योगबल से।
 
          -  यह हो गई गुप्त बात।
 
          -  5 विकारों रूपी रावण पर तुम्हारी विजय होती है।
 
          -  किससे? गीता से। 
 
          - बाबा तुमको गीता सुना रहे हैं।
 
          -  भागवत तो है नहीं। 
 
         
       
      - भागवत में दिखाते हैं कृष्ण चरित्र। 
        
          - कृष्ण के चरित्र तो कुछ हैं नहीं। 
 
          - तुम जानते हो जब विनाश होगा, महाभारी लड़ाई लगेगी, उनसे ही रावणराज्य खत्म हो जायेगा। 
 
          - सीढ़ी में भी दिखाया गया है। 
 
         
       
      - जब से रावण राज्य शुरू हुआ है तब से भक्ति मार्ग हुआ है।
        
          -  यह तुम ही जानते हो।
 
          -  गीता का कनेक्शन महाभारत लड़ाई से है। 
 
          - तुम गीता सुनकर राज्य पाते हो और लड़ाई लगती है सफाई के लिए। 
 
          - बाकी भागवत में चरित्र आदि फालतू हैं। 
 
          - शिव पुराण में कुछ भी नहीं है।
 
          -  नहीं तो गीता का नाम होना चाहिए शिव पुराण।
 
         
       
      -  शिवबाबा बैठ ज्ञान देते हैं - सबसे ऊंची है गीता।
        
          -  गीता सब शास्त्रों से छोटी है और सब पुस्तक बहुत बड़े बनाये हैं।
 
          -  मनुष्यों की जीवन कहानी भी बहुत बड़ी-बड़ी बनाई है। 
 
          - नेहरू ने शरीर छोड़ा, उनके कितने बड़े वाल्युम बनाते हैं।
 
          -  यह गीता शिवबाबा के वाल्यूम्स की कितनी बड़ी होनी चाहिए।
 
          -  परन्तु गीता कितनी छोटी है क्योंकि बाप सुनाते ही एक बात हैं कि मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और चक्र को समझो। 
 
          - बस, इसलिए गीता छोटी बना दी है। 
 
          - यह ज्ञान है कण्ठ करने का। 
 
          - तुमको मालूम है गीता का लॉकेट बनाते हैं। 
 
          - उसमें छोटे अक्षर होते हैं। 
 
          - अब बाबा भी तुम्हारे गले में लॉकेट पहनाते हैं - त्रिमूर्ति और राजाई का। 
 
         
       
      - बाबा कहते हैं गीता है दो अक्षर - अल्फ और बे। 
        
          - यह है गुप्त मन्त्र का लॉकेट मनमनाभव।
 
          -  मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
 
          -  तुम्हारा काम है योगबल से विजय पाना फिर तुम्हारे लिए सफाई भी चाहिए।
 
          -  बाप समझाते हैं कि तुम्हारे योगबल से ही रावणराज्य का विनाश होना है। 
 
          - रावण-राज्य कब शुरू हुआ है, यह भी जानते नहीं।
 
          -  यह ज्ञान बड़ा सहज है। 
 
          - सेकेण्ड की बात है ना। 
 
          - 84 जन्मों की सीढ़ी में भी इतने-इतने जन्म लिए हैं।
 
          -  कितना सहज है। 
 
          - बाप है ज्ञान का सागर। 
 
          - ज्ञान सुनाते ही आते हैं। 
 
          - तुम सब मुरली के कागज इकट्ठे करो तो ढेर हो जाएं।
 
          -  बाप डिटेल में समझाते हैं। 
 
          - नटशेल में तो कहते हैं - अल्फ को याद करो। 
 
          - बस बाकी टाइम किसमें लगाते हैं?
 
         
       
      -  तुम्हारे सिर पर पापों का बोझा बहुत है। 
        
          - वह याद से ही उतरना है, इसमें मेहनत लगती है। 
 
          - घड़ी-घड़ी तुम भूल जाते हो। 
 
          - तुम बाबा को याद करते रहो तो कभी विघ्न नहीं पड़ेंगे। 
 
          - देह-अभिमानी बनने से विघ्न पड़ते हैं। 
 
          - देही-अभिमानी बनते हो अन्त में। 
 
          - फिर आधाकल्प कुछ विघ्न नहीं पड़ता। 
 
          - यह कितनी गुह्य बातें हैं समझने की। 
 
          - शुरू से लेकर कितना सुनाते आये हैं फिर भी कहते हैं सिर्फ अल्फ बे को याद करो। बस। 
 
         
       
      - झाड़ का है विस्तार। 
        
          - बीज तो छोटे से छोटा होता है। 
 
          - झाड़ कितना बड़ा निकलता है।
 
          -  आज दशहरा है ना। 
 
         
       
      - अब बाबा समझाते हैं - रामायण का महाभारत से क्या सम्बन्ध है। 
        
          - रामायण तो भक्ति मार्ग का है। 
 
          - आधाकल्प से चला आता है। 
 
          - गोया अब रावणराज्य चल रहा है। 
 
          - फिर महाभारत आयेगा तो रावण राज्य खत्म हो रामराज्य शुरू हो जायेगा। 
 
          - रामायण और महाभारत में क्या फ़र्क है? 
 
          - रामराज्य की स्थापना और रावणराज्य का विनाश होने का है। 
 
          - गीता सुनकर तुम विश्व का मालिक बनने लायक बनते हो। 
 
          - गीता और महाभारत भी है अभी के लिए। 
 
          - रावणराज्य खत्म होने के लिए। 
 
          - बाकी उन्होंने जो लड़ाई दिखाई है वह रांग है। 
 
          - लड़ाई है 5 विकारों पर जीत पाने की। 
 
          - तुमको बाप गीता के दो अक्षर सुनाते हैं मनमनाभव-मध्याजी भव। 
 
          - गीता के शुरू में और अन्त में यह दो अक्षर आते हैं।
 
          -  बच्चे समझते हैं - बरोबर गीता का एपीसोड चल रहा है।
 
          -  परन्तु किसको कहेंगे तो कहेंगे कृष्ण कहाँ है? 
 
          - बाबा की समझानी और भक्ति मार्ग के शास्त्रों में कितना फर्क है। 
 
          - यह कोई नहीं जानता - कि यह रामायण क्या है? 
 
          - महाभारत क्या है? 
 
          - महाभारत लड़ाई के बाद ही स्वर्ग के द्वार खुलते हैं। 
 
          - परन्तु मनुष्य यह समझेंगे नहीं, इसलिए तुम परिचय ही बाप का दो।
 
         
       
      -  बाप कहते हैं मामेकम् याद करो। 
        
          - यह बाप सारी दुनिया के लिए कहते हैं। 
 
          - एक गीता को ही खण्डन किया है। 
 
          - गीता का सभी भाषाओं में प्रचार है। 
 
         
       
      - तुम्हारे राज्य में भाषा ही एक होगी।
        
          -  वहाँ कोई शास्त्र पुस्तक आदि नहीं होगा। 
 
          - वहाँ भक्ति मार्ग की कोई बात नहीं रहती। 
 
         
       
      - भारत का तैलुक है ही रामायण, महाभारत और गीता से। 
        
          - भगवान तो बच्चों को गीता सुनाते हैं, जिससे तुम स्वर्ग के मालिक बनते हो। 
 
          - महाभारत लड़ाई जरूर लगनी चाहिए, जो पतित दुनिया खत्म हो जाए। 
 
          - गीता से तुम पावन बनते हो। 
 
          - पतित-पावन भगवान आते ही अन्त में हैं। 
 
         
       
      - कहते हैं काम महाशत्रु है, इस पर विजय पानी है। 
        
          - काम विकार से कभी हार नहीं खानी है, इनसे बहुत नुकसान होता है। 
 
          - विकारों के पिछाड़ी बड़े-बड़े नामीग्रामी, मिनिस्टर्स आदि भी अपना नाम बदनाम करते हैं। 
 
          - काम के पिछाड़ी बहुत खराब होते हैं इसलिए बाप समझाते हैं - बाबा के पास जवान-जवान बच्चे आते हैं। 
 
          - ऐसे बहुत हैं जो ब्रह्मचर्य में रहते हैं। 
 
          - सारी आयु शादी नहीं करते हैं। 
 
          - फीमेल्स भी होती हैं। 
 
         
       
      - नन्स कब विकार में नहीं जाती। 
        
          - परन्तु उससे कोई प्राप्ति है नहीं। 
 
          - यहाँ तो बात है पवित्र बन जन्म-जन्मान्तर स्वर्ग के मालिक बनने की। 
 
          - जन्म-जन्मान्तर के पापों का बोझा सिर पर है। 
 
          - वह जब कटे तब स्वर्ग में चलें। 
 
          - यहाँ मनुष्य पाप करते रहते हैं। 
 
          - करके एक जन्म कोई संन्यासी बनते हैं, जन्म तो विकार से लेते हैं। 
 
          - रावणराज्य में विकार बिगर जन्म होता नहीं। 
 
          - पूछते हैं, वहाँ जन्म कैसे होगा? 
 
          - योगबल किसको कहा जाता है? 
 
          - यह पूछने की दरकार नहीं है। 
 
          - है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया। 
 
          - रावण राज्य ही नहीं तो प्रश्न उठ नहीं सकता। 
 
          - सब साक्षात्कार होंगे। 
 
          - जब बूढ़े होते हैं तो यह साक्षात्कार होता है कि जाकर बच्चा बनूँगा। 
 
          - माता के गर्भ में जाऊंगा।
 
          -  यह नहीं मालूम रहता कि फलाने घर जाऊंगा। 
 
          - सिर्फ अब छोटा बच्चा बनना है, मोर और डेल का मिसाल है। 
 
          - आंखों के आंसू से गर्भ होता है। 
 
          - पपीते के झाड़ में भी एक मेल, एक फीमेल का झाड़ होता है।
 
          - एक दो के बाजू में होने से फल देते हैं।
 
          -  यह भी वन्डर है। 
 
          - जब जड़ चीजों में भी ऐसा है तो चैतन्य में सतयुग में क्या नहीं हो सकता है। 
 
          - यह सब डिटेल आगे चलकर समझ में आ जायेगा। 
 
         
       
      - मुख्य बात है तुम बाप को याद कर तमोप्रधान से सतोप्रधान बन वर्सा तो ले लो।
 
      -  फिर वहाँ की रसम जो होगी सो देखेंगे। 
        
          - तुम योगबल से विश्व के मालिक बनते हो, तो बच्चा क्यों नहीं पैदा हो सकता। 
 
          - ऐसे-ऐसे प्रश्न बहुत पूछते हैं फिर कोई बात में जवाब पूरा नहीं मिला तो गिर पड़ते। 
 
          - थोड़ी बात पर भी संशय आ जाता है। 
 
          - शास्त्रों में ऐसी कोई बातें हैं नहीं। 
 
          - शास्त्र हैं भक्ति मार्ग के। 
 
         
       
      - परमपिता परमात्मा आकर ब्राह्मण धर्म, सूर्यवंशी चन्द्रवंशी धर्म की स्थापना करते हैं। 
        
          - ब्राह्मण हैं संगमयुगी। 
 
          - बाबा को संगमयुग पर आना पड़ता है। 
 
          - पुकारते भी हैं हे पतित-पावन आओ। 
 
          - उस तरफ वाले कहते हैं हे लिबरेटर, दु:ख से लिबरेट करो। 
 
          - दु:ख देते कौन हैं - यह भी उन्हों को मालूम नहीं। 
 
          - तुम जानते हो रावणराज्य खत्म होता है। 
 
          - तुमको बाबा राजयोग सिखलाते हैं। 
 
          - जब पढ़ाई पूरी होती है तब विनाश होता है, जिसका नाम महाभारत रखा है। 
 
          - महाभारत में रावण राज्य खत्म होता है। 
 
          - दशहरे में एक रावण को खत्म करते हैं। 
 
          - वह हैं हद की बातें।
 
          -  यह हैं बेहद की बातें।
 
          -  यह सारी दुनिया खत्म हो जायेगी। 
 
          - तो इतनी छोटी-छोटी बच्चियाँ नॉलेज कितनी बड़ी ले रही हो। 
 
         
       
      - वह जिस्मानी नॉलेज जैसे घासलेट है, यह है सच्चा घी। 
        
          - तो रात-दिन का फर्क है ना। 
 
          - रावण राज्य में तुमको घासलेट खाना पड़ता है। 
 
          - आगे इतना सस्ता सच्चा घी मिलता था, फिर महंगा हो गया तो घासलेट (तेल) खाना पड़ा। 
 
          - यह गैस, बिजली आदि पहले कुछ भी नहीं था। 
 
          - थोड़े ही वर्षो में कितना फ़र्क पड़ा है। 
 
          - अभी तुम जानते हो सब खत्म होने वाला है। 
 
          - शिवबाबा हमें लक्ष्मी-नारायण जैसा बनने के लिए पढ़ा रहे हैं। 
 
          - यह नशा इस बाबा को तो बहुत रहता है।
 
          -  बच्चों को माया भुला देती है।
 
         
       
      -  जब कहते हैं हम बाबा से वर्सा लेने आये हैं तो वह नशा क्यों नहीं चढ़ता! 
        
          - स्वीट होम, स्वीट राजधानी भूल जाती है।
 
          -  बाबा जानते हैं जो जो हड्डी सर्विस करते हैं वही महाराजकुमार बनेंगे।
 
          -  तुमको यह नशा क्यों नहीं रहता है? 
 
          - क्योंकि याद में नहीं रहते हैं।
 
          -  सर्विस में पूरा तत्पर नहीं रहते हैं।
 
          -  कभी तो सर्विस में उछल पड़ते, कभी ठण्डे हो जाते।
 
          -  यह हर एक अपने से पूछो - ऐसा होता है ना।
 
          -  कभी-कभी भूलें भी हो जाती है, इसलिए बाबा समझाते हैं।
 
          -  जबान बड़ी मीठी चाहिए, सबको राज़ी करना है।
 
          -  किसको आवेश न आये।
 
          -  बाप कितना प्यार का सागर है। 
 
         
       
      - अब गऊ कोस बन्द कराने के लिए कितना माथा मारते हैं।
        
          -  बाबा कहते हैं सबसे बड़ा कोस है काम कटारी चलाना।
 
          -  पहले तो वह बन्द करो। 
 
          - बाकी वह कोई बन्द होने का नहीं है, कितना माथा मारते हैं।
 
          -  यह काम कटारी दोनों को नहीं चलाना चाहिए। 
 
          - कहाँ मनुष्यों की बात, कहाँ बाप की बात। 
 
          - जो काम विकार को जीतेंगे वही पवित्र दुनिया का मालिक बनेंगे। 
 
         
       
      - अच्छा!
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      -  1) बाप समान प्यार का सागर बनना है। 
        
          - कभी भी आवेश में नहीं आना है। 
 
          - अपनी जबान बड़ी मीठी रखनी है। 
 
          - सबको राज़ी करना है। 
 
         
       
      - 2) हड्डी सर्विस करनी है।
        
          -  नशे में रहना है कि अब यह पुराना शरीर छोड़ जाकर प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगे।
 
         
       
      -  वरदान:-        
 
       - ( All Blessings of 2021) 
 
      - सेवा की लगन द्वारा लौकिक को अलौकिक प्रवृत्ति में परिवर्तन करने वाले निरन्तर सेवाधारी भव        
 
      - सेवाधारी का कर्तव्य है निरन्तर सेवा में रहना - चाहे मंसा सेवा हो, चाहे वाचा वा कर्मणा सेवा हो।
 
      -  सेवाधारी कभी भी सेवा को अपने से अलग नहीं समझते।
 
      -  जिनकी बुद्धि में सदा सेवा की लगन रहती है उनकी लौकिक प्रवृत्ति बदलकर ईश्वरीय प्रवृत्ति हो जाती है। 
 
      - सेवाधारी घर को घर नहीं समझते लेकिन सेवास्थान समझकर चलते हैं।
 
      -  सेवाधारी का मुख्य गुण है त्याग। 
 
      - त्याग वृत्ति वाले प्रवृत्ति में तपस्वीमूर्त होकर रहते हैं जिससे सेवा स्वत: होती है।
 
      - स्लोगन:-        
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      - अपने संस्कारों को दिव्य बनाना है तो मन-बुद्धि को बाप के आगे समर्पित कर दो।
 
     
        
           
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