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ओम् शान्ति। 
 
      - मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने यह गीत सुना।
 
      -  बच्चे ही लकी सितारे गाये जाते हैं।
 
      -  ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा, ज्ञान लकी सितारे। 
 
      - वह सूर्य चन्द्रमा तो माण्डवे को रोशनी करते हैं, इसलिए तुम्हारी महिमा गाई हुई है। 
 
      - तुम हो ज्ञान सितारे, उनको ज्ञान सितारे नहीं कहा जाता।
 
      -  ज्ञान सूर्य नाम सुनकर समझते हैं कि शायद वह सूर्य ज्ञान स्वरूप है क्योंकि समझते हैं पत्थर-भित्तर में भगवान है तो सूर्य को बहुत मानते हैं।
 
      -  अपने को सूर्यवंशी कहलाते हैं। 
 
      - सूर्य की पूजा करते हैं, झण्डा भी सूर्य का है।
 
      -  तुम्हारा है त्रिमूर्ति का झण्डा।
 
      -  कितना वन्डरफुल है।
 
      -  इसमें लिखा हुआ भी है सत्य मेव जयते।
 
      -  सचमुच विश्व पर विजय तो वही प्राप्त कराते हैं।
 
      -  तुम हो शिव शक्ति पाण्डव सेना।
 
      -  उन्होंने नाम रख दिया है - त्रिमूर्ति मार्ग, त्रिमूर्ति हाउस।
 
      -  इनका अर्थ भी बाप समझाते हैं कि इन त्रिमूर्ति से मैं क्या कर्तव्य कराता हूँ। 
 
      - ब्रह्मा द्वारा स्थापना....।
 
      -  उन्होंने त्रिमूर्ति से शिव को निकाल चित्र खण्डित कर दिया है।
 
      -  अब तुम जानते हो इस त्रिमूर्ति के चित्र में कितना राज़ है।
 
      -  सत्य शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा राजाई देते हैं। 
 
      - हम बच्चे शिवबाबा द्वारा कल्प पहले मिसल फिर से पवित्रता, सुख-शान्ति और सम्पत्ति का राज्य ले रहे हैं। 
 
      - पढ़ाई हमेशा ब्रह्मचर्य में ही पढ़ी जाती है।
 
      -  अभी तो कोई-कोई शादी के बाद भी कोर्स उठा लेते हैं क्योंकि आमदनी जास्ती हो जाती है।
 
      -  यहाँ तुम्हारी आमदनी अनगिनत है। 
 
      - बच्चे जानते हैं कि शिवबाबा हमको विश्व का मालिक बनाने आया है। 
 
      - श्रीमत श्रेष्ठ गाई हुई है।
 
      -  बाबा का बच्चा बना तो जरूर बाप की मत पर चलेगा। 
 
      - भाई-भाई की मत पर नहीं।
 
      -  वह तो अनेक जन्म चले, उनसे कुछ फायदा नहीं हुआ।
 
      -  अब बाबा की मत पर चलना है।
 
      -  साधू-सन्त आदि सब भाई-भाई हैं।
 
      -  अब बाप आया है ऊंची मत देने।
 
      -  नेचर-क्योर की भी बहुत दवाइयाँ करते हैं। 
 
      - वह हैं सब अल्पकाल के लिए।
 
      -  यह है 21 जन्मों के लिए नेचर-क्योर।
 
      -  वह कहेंगे ठण्डे पानी में स्नान करो।
 
      -  यह करो, खान-पान की परहेज करो।
 
      -  यहाँ वह खान-पान की बात नहीं। 
 
      - यहाँ तो स्वीट फादर बच्चों को कहते हैं अब मुझे याद करो तो तुम बहुत स्वीट बन जायेंगे।
 
      -  देवतायें स्वीट हैं ना, उनमें कितनी आकर्षण रहती है। 
 
      - आगे शिव के मन्दिर भी ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर बनते थे।
 
      -  मनुष्य पैदल कर दीदार करने जाते थे क्योंकि प्योरिटी खींचती थी। 
 
      - देवतायें जब पवित्र थे तो विश्व पर राज्य करते थे।
 
      -  अब उनके चित्रों के आगे जाकर वन्दना नमन करते हैं। 
 
      - अब उस स्वीट फादर को याद तो सब करते हैं। 
 
      - उनको आना भी यहाँ ही है।
 
      -  जरूर उनसे वैकुण्ठ के सुख घनेरे मिलते हैं तब तो उनको याद करते हैं।
 
      -  जब रावण राज्य का अन्त होगा तब तो बाप आकर स्वर्ग की राजाई देंगे। 
 
      - बाबा आते भी भारत में हैं।
 
      -  शिव जयन्ती भी भारत में मनाते हैं परन्तु उनसे क्या मिलता है, किसको पता नहीं।
 
      -  बाप कहते हैं मैं आया हूँ तुम बच्चों को स्वीट बनाने। 
 
      - तुम कितने छी-छी बन गये थे। 
 
      - बाबा नॉलेजफुल है, अब तुमको सब नॉलेज मिल रही है।
 
      -  बीज को ही सारी नॉलेज होगी ना।
 
      -  वह है बीज, सत है, चैतन्य है और फिर ज्ञान का सागर है, सत्य बोलते हैं।
 
      -  वह भी आत्मा है, परन्तु परम है। 
 
      - परम आत्मा माना परमात्मा।
 
      -  वह सदैव परमधाम में रहते हैं, ऊंचे ते ऊंचा है।
 
      -  बहुत कहते हैं नाम-रूप से न्यारा है।
 
      -  परन्तु नाम-रूप से न्यारी कोई भी वस्तु होती नहीं है।
 
      -  उनका नाम शिव है। 
 
      - सभी उनकी पूजा करते हैं, वह निराकार है। 
 
      - अब आया हुआ है। 
 
      - आगे हम देह-अभिमानी थे।
 
      -  अब बाप कहते हैं बच्चे, आत्म-अभिमानी भव। 
 
      - गीता में भी है मन्मनाभव।
 
      -  सिर्फ उसमें शिव के बदले कृष्ण का नाम डालने से खण्डन हो गई है।
 
      -  फिर भी किताब पढ़ने से थोड़ेही राजाई मिलेगी। 
 
      - राजाई होती है सतयुग में। 
 
      - जरूर बाप संगम पर आयेगा। 
 
      - अभी ड्रामा अनुसार भक्ति पूरी होती है।
 
      -  भक्ति के बाद है ज्ञान।
 
      -  यह है पुरानी दुनिया, सतयुग है नई दुनिया। 
 
      - सतयुग में सूर्यवंशी राज्य करते थे। 
 
      - यह है राजयोग। 
 
      - नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बनने का।
 
      -  सतयुग में इन्हों का राज्य था।
 
      -  अब कलियुग में देखो क्या है! 
 
      - अब तुम सतयुग में जाने के लिए फिर पढ़ रहे हो।
 
      -  भक्ति मार्ग के जो भी इतने वेद-शास्त्र आदि हैं उनको छोड़ना पड़ता है। 
 
      - ज्ञान मिल गया फिर भक्ति की दरकार नहीं।
 
      -  ज्ञान से हम विश्व के मालिक बनते हैं।
 
      - बाबा आया है - भक्ति का फल देने। 
 
      - ज्ञान सुना रहे हैं।
 
      -  अब हमको पतित से पावन भी जरूर बनना ही है क्योंकि पतित तो वापिस जा नहीं सकते।
 
      -  मुक्तिधाम में भी सब पावन आत्मायें रहती हैं।
 
      -  सुखधाम में भी सब पवित्र रहती हैं। 
 
      - अभी कलियुग में सब पतित हैं। 
 
      - अब उनको पावन कौन बनायेगा? 
 
      - पतित-पावन है एक बाप। 
 
      - अब बाप कहते हैं मैं इनके बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में आता हूँ।
 
      -  सबसे जास्ती नम्बरवन भगत यह दादा था।
 
      -  फिर ब्रह्मा कहो या लक्ष्मी-नारायण की आत्मा कहो। 
 
      - यह बड़ी गूढ़ बात है समझने की।
 
      -  विष्णु की नाभी से ब्रह्मा और ब्रह्मा की नाभी से विष्णु निकला...... विष्णु 84 जन्मों के बाद ब्रह्मा बनते 
 
      - हैं। यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं 
 
      - हैं। बाप भी गीता पाठी था।
 
      -  जब ज्ञान आया, देखा बाबा तो विश्व की बादशाही देते हैं।
 
      -  विष्णु का भी साक्षात्कार हुआ फिर फट से गीता आदि छूट गई।
 
      -  बाबा की प्रवेशता थी ना।
 
      -  फिर कभी हाथ भी नहीं लगाया।
 
      -  एक बाप को ही याद करने लगा।
 
      -  यह कहते हैं मैं भी उस बाप से सुनने लगा।
 
      -  शिवबाबा कहते हैं - हम जब बच्चों को सुनाते थे तो यह भी सुनते थे।
 
      -  इनके तन में मैं प्रवेश कर आया हूँ, इसलिए इनका नाम रखा है अर्जुन।
 
      -  शास्त्रों में घोड़े का रथ दिखाते हैं।
 
      -  कितना फ़र्क है। 
 
      - घोड़े गाड़ी में एक को बैठ ज्ञान दिया क्या?
 
      -  अभी तुम समझते हो यह कैसे हो सकता है। 
 
      - तुम प्रैक्टिकल देख रहे हो - बाबा कैसे पढ़ाते हैं।
 
      -  कितने सेन्टर्स हैं। 
 
      - तो पढ़ाने के लिए जरूर पाठशाला चाहिए, न कि युद्ध का मैदान। 
 
      - बाबा राजयोग सिखाता है।
 
      -  सतयुग में कोई शास्त्र होता नहीं।
 
      -  मैंने अब ज्ञान सुनाया बस, सतयुग में दरकार ही नहीं।
 
      -  पुरानी दुनिया का जो कुछ है यह सब खाक में मिल जायेगा।
 
      -  यह राजस्व अश्वमेध यज्ञ है। 
 
      - अश्व इस रथ को कहा जाता है, इनको भी स्वाहा करना है। 
 
      - आत्मा बाप की बनी फिर यह पुराना शरीर भी खत्म हो जायेगा।
 
      -  कृष्णपुरी में यह छी-छी शरीर थोड़ेही ले जायेंगे। 
 
      - आत्मा अमर है। 
 
      - होली में दिखाते हैं - कोकी जल जाती है, धागा नहीं जलता है।
 
      -  बाबा फिर बेहद की बात समझाते हैं - अब तक जो सुना है वह भूल जाओ। 
 
      - अब भारत झूठ खण्ड बन गया है, कल सचखण्ठ था।
 
      -  सचखण्ड बाप ने बनाया फिर रावण ने झूठ खण्ड बनाया।
 
      -  यह रावण सबका पुराना दुश्मन है।
 
      -  बस कोई ने जो बोला उस पर चल पड़ते हैं।
 
      -  जैसे देलवाड़ा मन्दिर में आदि देव का नाम महावीर रख दिया है।
 
      -  महावीर हनूमान को कहा जाता है। 
 
      - अब कहाँ वह, कहाँ यह। 
 
      - इस मन्दिर में हूबहू तुम्हारा यादगार है।
 
      -  ऊपर स्वर्ग, नीचे तपस्या। 
 
      - आदिनाथ की मूर्ति गोल्डन बनाई है। 
 
      - कहते हैं ना - भारत सोने की चिड़िया थी। 
 
      - भारत जितना सोना और कोई जगह नहीं।
 
      -  सोने के महल बने थे।
 
      -  छतों में दीवारों में हीरे जवाहर लगे हुए थे।
 
      -  मन्दिरों में कितने हीरे-जवाहर थे जो फिर लूट गये।
 
      -  मस्जिदों में जाकर लगाये। 
 
      - तो उस समय क्या वैल्यु होगी। 
 
      - अकीचार धन था तब तो लूटकर ले गये।
 
      -  यह सब जानते हैं कि प्राचीन भारत बहुत साहूकार था। 
 
      - अब कितना गरीब बन गया है। 
 
      - गरीब पर तरस पड़ता है।
 
      -  रावण ने कितना इनसालवेन्ट बनाया है।
 
      -  बाप फिर सालवेन्ट बनाते हैं।
 
      -  यह बेहद का नाटक है, इसके आदि-मध्य-अन्त को कोई भी नहीं जानते। 
 
      - बाप नॉलेजफुल है। 
 
      - ऐसे नहीं कि सबके अन्दर को बैठ देखता हूँ।
 
      -  यह सब ड्रामा में नूँध है।
 
      -  पाप जो करते हैं उनकी सज़ा तो मिलती ही है। 
 
      - मेरे को तो कहते ही हैं नॉलेजफुल, पतित-पावन। 
 
      - पुकारते हैं हे बाबा आओ, आकर हमको नॉलेज दो।
 
      -  पावन बनाओ। 
 
      - तो मैं यह कार्य आकर करता हूँ।
 
      -  बाकी शास्त्रों की जो बातें हैं, वह बाप कहते हैं भूल जाओ और जो मैं सुनाता हूँ वह सुनो। 
 
      - अब बाप द्वारा राजयोग सीख रहे हो। 
 
      - फिर सूर्यवंशी बनेंगे।
 
      -  फिर चन्द्रवंशी, वैश्यवंशी, शूद्रवंशी बनेंगे।
 
      -  यह ज्ञान तुम्हारी बुद्धि में है।
 
      -  सतयुग में सब भूल जायेगा।
 
      -  वहाँ बाप को कोई याद नहीं करते हैं।
 
      - वर्सा मिल गया फिर याद किसलिए करेंगे।
 
      -  कितना अच्छी रीति समझाया जाता है। 
 
      - यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं। 
 
      - वृक्षपति है ही बाप।
 
      -  वह कहते हैं मुझे याद करो।
 
      -  क्रियेटर एक होता है कि पत्थर-ठिक्कर भी क्रियेटर होंगे?
 
      - बाप कहते हैं कि रावण ने तुम्हारी बुद्धि कितनी खराब कर दी है। 
 
      - बड़े-बड़े विद्वानों को अहंकार कितना है।
 
      -  बाप को जानते ही नहीं।
 
      -  न रचना के आदि-मध्य-अन्त को जानते हैं। 
 
      - बाप कहते हैं - मैंने तुमको राजाई दे दी।
 
      -  तुमने सब धन-दौलत खत्म कर दिया, अब भीख मांग रहे हो, इसलिए आसुरी सम्प्रदाय कहा गया है। 
 
      - देवताओं की कितनी महिमा गाई है।
 
      -  फिर कहते हम निर्गुण हारे में कोई गुण नाही। 
 
      - अब तुम बच्चों को गुण धारण करने हैं, अवगुणों को निकाल दो।
 
      -  रावण ने तुमको बन्दर मिसल बना दिया है। 
 
      - अब बाप तुमको देवता बनाते हैं।
 
      -  जिसमें 5 विकार हैं उनको बन्दर कहा जाता है।
 
      -  (नारद का मिसाल) अभी तुम्हारी सीरत बदलती जाती है फिर हम देवता बन जायेंगे।
 
      -  इस ज्ञान सरोवर में डुबकी मार हम ज्ञान परी बन जाते हैं।
 
      -  उन्होंने फिर पानी को मान-सरोवर समझ लिया है।
 
      -  यह है ज्ञान स्नान की बात। 
 
      - यह तो बच्चे जानते हैं, बाबा हूबहू 5 हजार वर्ष पहले मिसल हमको समझा रहे हैं, इसमें कोई संशय पड़ नहीं सकता।
 
      -  पतित-पावन बाप को और विष्णुपुरी को याद करो तो तुम पावन बन जायेंगे। 
 
      - मनुष्य मुक्ति के लिए कितना माथा मारते हैं परन्तु घर का किसको भी पता नहीं है।
 
      -  कोई समझते हैं आत्मा लीन हो जायेगी।
 
      -  कोई समझते हैं आत्मा दूसरा शरीर लेती नहीं।
 
      -  अनेक मत हैं, बाप को कोई जानता ही नहीं।
 
      -  सारी दुनिया समझती है कृष्ण भगवानुवाच।
 
      -  यहाँ बाप कहते हैं शिव भगवानुवाच।
 
      -  कितना रात-दिन का फ़र्क है।
 
      -  नाम ही एकदम बदल दिया है। 
 
      - अच्छा।
        
        मीठे-मीठे बच्चों, बापदादा दोनों कहते हैं। 
        
          - दोनों के बच्चे हैं ना। 
 
          - यह भी स्टूडेन्ट, तुम भी स्टूडेन्ट। 
 
          - यह भी पढ़ रहे हैं।
 
          -  जो भारत को पावन बनाने की सर्विस में हैं, वही बच्चे ठहरे।
 
          -  जो पावन नहीं बनते उनको देखते भी बाबा नहीं देखते। 
 
          - समझते हैं सजायें खाकर फिर आकर बबोरची बनेंगे।
 
          -  जो पावन बनते हैं, वह विश्व के मालिक बनेंगे। 
 
         
       
      - अच्छा -
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      - 1) स्वीट बनने के लिए स्वीट बाप को बड़े प्यार से याद करना है।
        
          -  सच्चे बाप से सच्चा रहना है। 
 
          - एक बाप की श्रेष्ठ मत पर चलना है।
 
         
       
      -  2) पुरुषार्थ कर सम्पूर्ण बनना है। 
        
          - भारत को पावन बनाने की सर्विस करनी है।
 
          -  किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है।
 
         
       
      - वरदान:-        
 
      - ( All Blessings of 2021) 
 
      - हर बात में सार को ग्रहण कर आलराउण्ड बनने वाले सरल पुरूषार्थी भव        
 
      - जो भी बात देखते हो, सुनते हो, उसके सार को समझ लो और जो बोल बोलो, जो कर्म करो उसमें सार भरा हुआ हो तो पुरूषार्थ सरल हो जायेगा।
 
      -  ऐसा सरल पुरूषार्थी सब बातों में आलराउण्ड होता है। 
 
      - उसमें कोई भी कमी दिखाई नहीं देती।
 
      -  कोई भी बात में हिम्मत कम नहीं होती, मुख से ऐसे बोल नहीं निकलते कि हम यह नहीं कर सकते।
 
      -  ऐसे सरल पुरूषार्थी स्वयं भी सरलचित रहते हैं और दूसरों को सरलचित बना देते हैं।
 
      - स्लोगन:-        
 
       - (All Slogans of 2021)
 
      - साधन यूज़ करते उनके प्रभाव से न्यारे और बाप के प्यारे बनो।
 
     
        
           
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