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     01-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन 
    "मीठे बच्चे - क्रोध भी बहुत बड़ा कांटा है, इससे बहुतों को दु:ख मिलता है इसलिए इस कांटे को निकाल सच्चे-सच्चे फूल बनो'' 
     
    प्रश्नः- 
  
    
            
       कांटे से फूल बनने वाले बच्चों को बाप कौन सी आथत (धैर्य) देते हैं?            
      
    
    उत्तर:- 
  
    
      बच्चे, अभी तक कांटे से फूल बनने में जो माया विघ्न डालती है - यह विघ्न एक दिन खत्म हो जायेंगे।  
      तुम सब स्वर्ग में चले जायेंगे।  
      यह कलियुगी कांटे खत्म हो जायेंगे। 
       बाप ने तुम्हें संगम-युगी पॉट में डाला है।  
      माया भल मुरझा देती है लेकिन ज्ञान का बीज अविनाशी है - यह बीज विनाश नहीं हो सकता। 
       
       
       
    
   
गीत:-
न वह हमसे जुदा होंगे...
    
   
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    - 
            
 
     
      - ओम् शान्ति।
 
      -  शिवबाबा ब्रह्मा के तन से मीठे-मीठे सिकीलधे रूहानी बच्चों प्रति गुह्य राज़ वा ज्ञान समझा रहे हैं। 
        
          - एक तो बच्चों ने गीत सुना कि बाबा हम आपके ऊपर बलि चढ़ेंगे, भल कितने भी सितम सहन करने पड़ें। 
 
          - सितम क्यों होते हैं? 
 
          - क्योंकि मनुष्यों को ज़हर (विकार) नहीं मिलता। 
 
         
       
      - यह तो बच्चे जानते हैं कि हम न आत्मा को, न परमात्मा को जानते थे।
        
          -  न अपने आपको, न बाप को जानते थे इसलिए जैसे जानवर बुद्धि थे। 
 
          - लौकिक सम्बन्ध में तो अपने को जानते हैं।
 
          -  बाप को भी जानते हैं। 
 
          - इस समय के मनुष्य अपने को और पारलौकिक बाप को बिल्कुल ही नहीं जानते हैं।
 
          -  कह देते हैं परमात्मा का तो कोई नाम रूप देश काल है ही नहीं। 
 
          - तो फिर आत्मा का भी नहीं होना चाहिए। 
 
          - आत्मा को भी वे लोग जानते ही नहीं।
 
          -  कह देते आत्मा सो परमात्मा।
 
          - अभी तुमने जाना है। 
 
         
       
      - वह तो सिर्फ नाम मात्र कह देते हैं आत्मा और जीव है। 
        
          - आत्मा अविनाशी है, जीव विनाशी है।
 
          -  अच्छा आत्मा क्या चीज़ है, उनका रूप रंग क्या है। 
 
          - नाम तो जानते हैं कि आत्मा है परन्तु वह कैसी है, क्या करती है? 
 
          - कैसे-कैसे पार्ट बजाती है?
 
          -  कितना समय पार्ट बजाती है?
 
          -  इस आत्मा की नॉलेज का कोई वर्णन कर न सके। 
 
          - अभी तुम जानते हो आत्मा छोटा स्टार है। 
 
          - आत्मा में ही सारा 84 जन्मों का पार्ट अविनाशी नूँधा हुआ है।
 
          -  शंकराचार्य की आत्मा भी अपना पार्ट बजा रही है। 
 
          - यह भी कोई नहीं जानते कि आत्मा कैसे सतोप्रधान फिर सतो रजो तमो में आती है।
 
          -  सिर्फ कह देते हैं भ्रकुटी के बीच चमकता है अज़ब सितारा। 
 
          - बस और कुछ नहीं जानते। 
 
          - आत्मा को नहीं जाना गोया परमात्मा को नहीं जाना। 
 
         
       
      - इस समय यह है कांटों का जंगल। 
        
          - सब कांटे हैं।
 
          -  न रचयिता परमपिता परमात्मा को जानते हैं, न रचना के आदि मध्य अन्त को जानते हैं। 
 
         
       
      - तुम बच्चे आत्मा और परमात्मा को जानते हो सो भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार। 
        
          - बहुत बच्चे हैं जो यथार्थ रीति नहीं जानते। 
 
          - देह-अभिमान में रहने के कारण पूरी धारणा नहीं होती है।
 
          -  नम्बरवार तो हैं ना। 
 
          - पूछते हैं - बाबा ऐसे क्यों है?
 
          -  बाबा कहते हैं बच्चे यह राजधानी स्थापन हो रही है। 
 
          - इसमें सब प्रकार के जरूर चाहिए।
 
          -  पत्थरबुद्धि हों तब तो कम से कम पद पायें। 
 
          - अगर खुद जानते हो तो औरों को भी समझायें। 
 
          - तुम कहेंगे आगे चलकर समझाने लग पड़ेंगे, परन्तु ऐसे भी कोई चाहिए तब तो कम पद मिलेगा ना।
 
         
       
      -  कहाँ राजा कहाँ प्रजा, कितना फ़र्क है। 
        
          - यहाँ तो राजा प्रजा सबको दु:ख है।
 
          -  सतयुग में न राजा को दु:ख, न प्रजा को, परन्तु मर्तबे में फ़र्क है। 
 
          - पूरी धारणा न होने के कारण किसको समझा नहीं सकते हैं।
 
          -  फिर कोई न कोई कांटा लगता रहेगा। 
 
          - कभी लोभ का, कभी मोह का ... भूतों की प्रवेशता होती रहेगी।
 
          -  यह भी होना है जरूर।
 
         
       
      - तुम हो प्रजापिता ब्रह्माकुमार कुमारियां। 
        
          - प्रजापिता का बाप कौन? 
 
          - शिवबाबा।
 
          -  बाकी शिव का बाप कोई होता नहीं।
 
          -  यह ब्रह्मा विष्णु शंकर भी शिव की रचना हैं।
 
          -  तो सब हो गई आत्मायें।
 
          -  परमपिता परमात्मा एक है।
 
          -  ब्रह्मा विष्णु शंकर अथवा लक्ष्मी-नारायण आदि कोई भी मनुष्य आत्मा से कभी गति सद्गति का वर्सा मिल नहीं सकता। 
 
         
       
      - मनुष्य न आत्मा को यथार्थ जानते हैं, न परमात्मा को जानते हैं।
        
          -  एक परमपिता परमात्मा ही आत्मा का रियलाइजेशन करा सकते हैं।
 
          -  ज्ञान से सद्गति होती है।
 
          -  ज्ञान तो एक बाप ही देते हैं। 
 
          - कोई-कोई बच्चे फिर यज्ञ की स्थूल सेवा भी बहुत करते हैं।
 
          -  इस सब्जेक्ट से भी मार्क्स मिलती हैं।
 
         
       
      -  अब तुम बच्चों को बाप अमरकथा, तीजरी की कथा सुनाते हैं।
        
          -  यह वास्तव में कथा नहीं है।
 
          -  यह है रूहानी ज्ञान।
 
          -  अपने को और बाप को जानना।
 
          -  वह तो कह देते हैं जैसे पानी से बुदबुदा निकलता है फिर समा जाता है।
 
          -  हम ब्रह्म से पैदा हो पार्ट बजाए फिर ब्रह्म में लीन हो जाते हैं या ब्रह्म ही बन जाते हैं। 
 
          - और कोई रचना और रचता का ज्ञान है ही नहीं।
 
          -  ज्ञान तो बाप ही आकर समझाते हैं।
 
          -  इनका नाम है शिव। 
 
          - फिर उनको कोई रूद्र भी कहते हैं, कोई पाप कटेश्वर भी कहते हैं। 
 
          - अनेक नाम रख पूजा की सामग्री बढ़ा दी है। 
 
          - जो जो परमात्मा ने कर्तव्य किया है उस पर भिन्न-भिन्न नाम रख बहुत मन्दिर बना दिये हैं। 
 
         
       
      - अब बाप कहते हैं यह है कांटों की दुनिया, विषय सागर। 
        
          - यह भी सबसे लिखाया जाता है कि ईश्वर सर्वव्यापी नहीं हैं।
 
          -  बाप तो आकर भारत को स्वर्ग बनाते हैं।
 
          -  तो सारी दुनिया स्वर्ग बन जाती है।
 
          -  यह भी किसकी बुद्धि में नहीं आता।
 
         
       
      -  शास्त्र सब हैं भक्ति के।
        
          -  बाकी हर एक को अपने-अपने काम का ज्ञान है।
 
          -  वाढ़े (कारपेन्टर) को वाढ़े का ज्ञान है।
 
          -  डॉक्टर को डॉक्टरी का ज्ञान है।
 
          -  यह है रूहानी ज्ञान।
 
          -  जो तो एक परमात्मा ही आकर देते हैं। 
 
          - मनुष्यों को यह पता ही नहीं कि परमात्मा किसको कहा जाता है।
 
          -  गीता में श्रीकृष्ण का नाम डाल दिया है। 
 
          - मुख्य बात है ही यह।
 
          -  माई बाप को खण्डन कर दिया है तो बाकी सब शास्त्र झूठे हो गये।
 
          -  झूठे पत्थरों की भी खानियां होती हैं।
 
          - यह भी जैसे झूठे पत्थर हैं।
 
         
       
      -  पारस-बुद्धि वाले रहते हैं पारसपुरी सतयुग में।
        
          -  यह तो है नर्क।
 
          -  बुलाते हैं हे पतित-पावन आओ तो जरूर पतित हैं।
 
          -  नर्क और स्वर्ग दोनों भारत में ही हैं।
 
          - कोई मरते हैं तो कहते हैं स्वर्ग गया। 
 
          - यह बुद्धि में नहीं आता कि स्वर्ग तो सतयुग को कहा जाता है।
 
          -  परमात्मा स्वर्ग की स्थापना करते हैं, न कि नर्क की।
 
         
       
      -  रावण राज्य कब से शुरू होता है, यह भी किसको पता नहीं है। 
        
          - भल शास्त्र बहुत पढ़ते हैं, ब्रह्मचर्य में भी रहते हैं परन्तु पैदा तो विकार से होते हैं ना।
 
          -  साधू-संन्यासी भी साधना करते हैं। 
 
          - बाप से मुक्ति मांगते हैं क्योंकि छी-छी दुनिया में रहने नहीं चाहते हैं।
 
         
       
      -  अब बाप कहते हैं पहले आत्मा को जानो कि कैसे जन्म-मरण में आती है। 
        
          - कैसे सच्चे सोने में खाद पड़ती है, कैसे 84 जन्मों का पार्ट बजाती है। 
 
          - सबसे जास्ती पार्ट तुम्हारा है जो देवी-देवता थे वही पूरे 84 जन्म लेते हैं।
 
          -  लक्ष्मी-नारायण ने राज्य किया फिर कहाँ गये?
 
          -  उनकी आत्मा ने जरूर जन्म तो लिया होगा ना। 
 
          - अब वह कहाँ है?
 
          -  कोई जानता नहीं।
 
          - क्रिश्चियन लोग जानते हैं कि क्राइस्ट इस समय बेगरी पार्ट में होगा।
 
          -  तुम तो अच्छी रीति जानते हो लक्ष्मी-नारायण जो स्वर्ग के मालिक थे, उन्हों को ही पुनर्जन्म ले 84 जन्म पूरे करने हैं। 
 
          - सभी आत्मायें 84 जन्म नहीं लेंगी। 
 
          - यह भी ज्ञान बुद्धि में धारण करने का है।
 
         
       
      -  योग में रहने के सिवाए कांटों से फूल बन नहीं सकते। 
        
          - योग से ही विकर्म विनाश होंगे और सतोप्रधान फूल बनेंगे। 
 
          - जब तक यहाँ हैं तब तक कुछ न कुछ कांटेपने का अंश रहता है। 
 
          - फूल बन गये फिर तुम यहाँ रह नहीं सकेंगे। 
 
          - फूलों का बगीचा सतयुग को कहा जाता है। 
 
          - अभी तुम कांटों के जंगल अथवा रावण के राज्य में हो।
 
          -  सब कांटे ही कांटे हैं।
 
          -  जो बहुत कांटों को फूल बनाते हैं उन्हें ही सच्चा खुशबूदार फूल कहेंगे। 
 
         
       
      - एक फूल होता है किंग ऑफ फ्लावर, सफेद होता है।
        
          -  टेबल पर रखा जाता है, फिर खिलता रहता है। 
 
          - खुशबू बढ़ती रहती है।
 
          -  ऐसा फूल कोई होता नहीं। 
 
          - अब किंग फूल है तो क्वीन भी चाहिए। 
 
          - (रात की रानी) गुलाब, मोतिया आदि अच्छे-अच्छे फूल हैं। 
 
          - फ्लावर शो दिखाते हैं।
 
          -  वहाँ सब अच्छे-अच्छे फूल ले आते हैं। 
 
          - जो अच्छे-अच्छे फूल लाते हैं उनको इनाम भी मिलता है।
 
          -  तुम भी फूलों का बगीचा बनाते हो ना।
 
         
       
      -  शिव पर फूल चढ़ाते हैं, उसमें रतन ज्योत, अक के फूल भी चढ़ाते हैं।
        
          -  बाबा ने समझाया है मैं यहाँ तुम बच्चों को फूल बनाने का पार्ट बजाता हूँ। 
 
          - मैं जानता हूँ कौन गुलाब के फूल हैं, कौन मोतिया है, कौन रतनज्योत है।
 
          -  कौन अक है।
 
          -  सबसे छी-छी होता है अक। 
 
          - उनकी चलन ही कांटों मिसल होती है।
 
          -  कोई-कोई बहुत तीखे कांटे हैं।
 
          -  क्रोध भी एक कांटा है।
 
          -  बहुतों को दु:ख देते हैं। 
 
          - अभी तुम कांटों की दुनिया से किनारे में हो।
 
          -  संगम पर हो ।
 
          -  कांटों से फूल बन रहे हो।
 
         
       
      -  जैसे माली कांटों को निकाल, फूलों को अलग पॉट में रखते हैं।
        
          -  तुमको भी बाबा ने अलग कर दिया है।
 
          -  तुम संगम पर हो।
 
          -  तुम्हारी मरम्मत होती रहती है।
 
          -  फिर भी माया कांटा बना देती है फिर भी एक बार हमारा बन गया ना.. तो यह माया के विघ्न भी एक दिन खत्म हो जायेंगे। 
 
          - फिर यह जो पॉट में लगे हुए फूल हैं वह सब स्वर्ग में चले जायेंगे। 
 
          - कलियुगी कांटें सब भस्म हो जायेंगे। 
 
          - तुम कितने थोड़े फूल हो। 
 
          - तुम्हें संगमयुगी पॉट में डाला है।
 
          -  बीज बोया हुआ है।
 
          -  माया का तूफान लगता है तो मुरझा देता है। 
 
          - फिर भी अविनाशी ज्ञान का बीज एक बार डाला है तो वह विनाश नहीं होता है।
 
         
       
      -  बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं, तुम बच्चों को बहुत-बहुत निडर बनना है। 
        
          - बाबा कहते हैं कि यह लिख दो कि हर 5 हजार वर्ष के बाद यह मेला, प्रदर्शनी हम इस संगम पर दिखाने आये हैं।
 
          -  यह तो लिखना है कि यह लड़ाई 5 हजार वर्ष के बाद लगती है। 
 
          - पुरानी दुनिया को नया बनाने या नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाने। 
 
          - बाबा डायरेक्शन तो बहुत देते हैं।
 
          -  युक्तियां तो बहुत सहज बताते हैं। 
 
          - बाप को याद करो और स्वर्ग की बादशाही लो। 
 
         
       
      - मनुष्य तो पानी में टुबका मारते रहते हैं।
        
          -  सो भी सागर में जायें ना।
 
          -  नदियां सागर से निकली हैं। 
 
          - नदियों का बाप सागर है ना। 
 
          - वहाँ जाकर स्नान करो।
 
          -  परन्तु वह खारा है इसलिए मीठी नदियों में स्नान करते हैं। 
 
          - अभी तुम हो ज्ञान सागर के बच्चे, ज्ञान सागर पतित-पावन बाप है। 
 
          - तुम उनके बच्चे, जो जितनी जास्ती सर्विस करेंगे तो समझा जायेगा - यह अच्छा फूल है।
 
          -  प्रदर्शनी में भी घड़ी-घड़ी अच्छे फूलों को बुलाते हैं।
 
          -  समझते हैं फलाने हमसे होशियार हैं।
 
          -  परन्तु होशियार का फिर रिगार्ड भी रखना चाहिए।
 
         
       
      -  बाबा हमेशा समझाते हैं - कभी क्रोध नहीं करो।
        
          - प्यार से समझाओ।
 
          -  क्रोध कोई करता है तो बाबा समझते हैं कि इनमें कड़ा भूत है। 
 
          - माँ बाप पर भी क्रोध करने में देरी नहीं करते हैं और ही दुर्गति को पा लेंगे।
 
          -  गरीब निवाज़ कब गरीबों पर क्रोध करेंगे क्या!
 
          -  गरीब निवाज़ बाबा आया ही है गरीबों को साहूकार बनाने।
 
         
       
      -  यहाँ जो पदमपति हैं, दूसरे जन्म में नौकर चाकर बनेंगे।
        
          -  गरीब जो अच्छी रीति पढ़ेंगे वह जाकर राजा रानी बनेंगे।
 
          -  ऐसे भी सेन्टर्स पर आते हैं जो ईश्वरीय सेवा में कुछ नहीं देते हैं।
 
          -  उनको पता ही नहीं कि थोड़ा भी बीज बोने से हमारा भविष्य कितना ऊंचा बनेगा।
 
          -  सुदामें का मिसाल है ना। 
 
          - ईश्वर अर्थ दान करते हैं। 
 
          - समझते हैं दूसरे जन्म में फल मिलेगा।
 
          -  बाबा लिख देते हैं बच्चे तुमको एक ईट के बदले महल मिल जायेंगे।
 
          -  यहाँ कौड़ियां देते हो वहाँ हीरे बन जाते हैं इसलिए चावल मुटठी का गायन है। 
 
          - गुरूनानक के टिकाणे में जाते हैं, कुछ न कुछ रखते जरूर हैं। 
 
          - परन्तु यहाँ तो बाप दाता है ना। 
 
         
       
      - अच्छा।
        
        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      -  1) बहुत-बहुत निडर बन कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है। 
        
          - सबमें अविनाशी बीज बोते रहना है। 
 
         
       
      - 2) क्रोध का बहुत बड़ा कांटा है, उसे छोड़ बहुत-बहुत प्यारा बनना है।
        
          -  प्यार से सर्विस करनी है।
 
          -  सर्विसएबुल का रिगार्ड रखना है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      
      - ( All Blessings of 2021) 
 
      -  सर्व के गुण देखने वा सन्तुष्ट करने की उत्कण्ठा द्वारा सदा एकरस उत्साह में रहने वाले गुणमूर्त भव        
 
      - सदा एकरस उमंग-उत्साह में रहने के लिए जो भी संबंध में आते हैं उन्हें सन्तुष्ट करने की उत्कण्ठा हो।
 
      -  जिसको भी देखो उससे हर समय गुण उठाते रहो।
 
      -  सर्व के गुणों का बल मिलने से उत्साह सदाकाल के लिए रहेगा।
 
      -  उत्साह कम तब होता है जब औरों के भिन्न-भिन्न स्वरूप, भिन्न-भिन्न बातें देखते, सुनते हो।
 
      -  लेकिन गुण देखने की उत्कण्ठा हो तो एकरस उत्साह रहेगा और सर्व के गुण देखने से स्वयं भी गुणमूर्त बन जायेंगे।
 
      - स्लोगन:-        
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      - बेहद के वैराग्य वृत्ति का फाउण्डेशन मजबूत हो तो सेकण्ड में अशरीरी बनना सहज है।
 
     
        
           
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