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     25-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन 
     
    "“मीठे बच्चे - तुम्हें अथाह ईश्वरीय सुख मिला है, 
     इसलिए तुम्हें  
    मायावी सुखों की परवाह नहीं करनी है,  
    वह सुख काग विष्टा समान है'' 
     
    प्रश्नः- 
  
    
            
       बाप की सर्व बच्चों के प्रति एक ही आश है - वह कौन सी?         
      
    
    उत्तर:- 
  
    
      मेरे सब बच्चे अच्छी रीति पढ़कर तख्तनशीन बनें अथवा बाप के कन्धे पर चढ़ें।  
      बाबा देखते हैं कौन कितना अपनी खुशबू फैलाता है।  
      बच्चे में कोई बदबू तो नहीं है।  
      तो बच्चों को भी ऐसे पुरूषार्थ में लग जाना चाहिए।  
      कभी भी कर्मेन्द्रियों से कोई उल्टा काम नहीं करना चाहिए। 
       
       
       
    
   
गीत:-
बदल जाए दुनिया न बदलेंगे हम...
    
   
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    - 
            
 
     
      - 
ओम् शान्ति। 
 
      - इस गीत का थोड़ा तात्पर्य बाप बतलाते हैं इसमें कोई बदलने की बात ही नहीं। 
        
          - बच्चे बाप को कह नहीं सकते कि हम आपके बच्चे नहीं हैं, परन्तु कोई समय बदल जायेंगे। 
 
          - वैसे बच्चे कभी बाप से बदलते नहीं हैं। 
 
          - बच्चे तो हैं ही परन्तु कुटुम्ब से जुदा हो जाते हैं। 
 
         
       
      - अब यह तो है बेहद का बाप।
        
          -  कहते हैं मैं अपने परमधाम में रहता था। 
 
          - जैसे तुम आत्मायें यहाँ आकर पार्ट बजाती हो, गृहस्थी बनती हो वैसे मुझे भी आकर गृहस्थी बनना पड़ता है।
 
          -  यहाँ सम्मुख तुम मुझे माता पिता कहते हो। 
 
          - भल आगे भी तुम पुकारते थे तुम मात-पिता... परन्तु उस समय मैं गृहस्थी नहीं था। 
 
          - इस समय आकर गृहस्थी बना हूँ। 
 
          - गृहस्थी भी दो चार बच्चों का नहीं। 
 
          - ढेर के ढेर बच्चे आते जाते हैं। 
 
          - भल कहते हैं - हम बदलेंगे नहीं, परन्तु माया बदला देती है। 
 
          - बाप है ऊंचे ते ऊंच।
 
          -  इनसे ऊंच बाप कोई हो नहीं सकता। 
 
          - साधारण मनुष्य तन में प्रवेश किया है। 
 
          - बच्चे जानते हैं भविष्य 21 जन्मों के लिए पुरुषार्थ अनुसार जायदाद मिलती है। 
 
         
       
      - बहुत हैं जो चलते-चलते फिर बदल जाते हैं क्योंकि यह है माया की लड़ाई।
        
          - आगे तुम माया के थे। 
 
          - अभी बाप ने एडाप्ट किया है। 
 
         
       
      - उस तरफ है माया का सुख, यहाँ तो वह सुख नहीं है। 
        
          - तो माया के सुख अपनी तरफ खींच लेते हैं। 
 
          - यहाँ तुमको है गुप्त सुख। 
 
          - जानते हो भविष्य में अथाह सुख लेंगे। 
 
          - यहाँ के सुख में अगर बुद्धि गई तो वह सुख याद आते रहेंगे। 
 
          - अन्त में भी वही याद आयेंगे इसलिए इन मायावी सुखों की परवाह नहीं रखनी है।
 
          -  गाते भी हैं यह सुख काग विष्टा के समान है। 
 
          - अब तुम बच्चे जानते हो सुख तो हमको सतयुग में मिलेगा, वह सुख प्राप्त करने के लिए हम मात-पिता के बने हैं। 
 
         
       
      - बाप जरूर कोई समय गृहस्थी बने हैं, जिस कारण उनको मात-पिता कहा जाता है। 
        
          - गाते तो हैं परन्तु समझते नहीं हैं। 
 
          - अभी तुम बच्चे जानते हो बेहद का बाप भी है तो माँ भी है।
 
          -  इस माँ द्वारा अर्थात् प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट किया है। 
 
          - अब प्रजापिता और शिव दोनों ही बाप ठहरे। 
 
          - बाप तो माता द्वारा एडाप्ट करेंगे ना। 
 
         
       
      - अब त्वमेव माताश्च पिता... इनको कहें या ब्रह्मा को कहें?
        
          -  गाते तो हैं हम सब ब्रदर्स हैं, वह फादर है। 
 
          - उसमें तो माता का प्रश्न ही नहीं।
 
          -  गाया जाता है - तुम मात-पिता। 
 
          - अब माता-पिता कैसे बनते हैं, यह वन्डरफुल बातें हैं समझने की। 
 
          - मनुष्य मूँझते भी हैं क्योंकि शरीर तो मेल का है ना, इसलिए माता एडाप्ट की गई।
 
          -  वह है सरस्वती बेटी। 
 
          - परन्तु बेटी द्वारा तो एडाप्ट नहीं किया जाता है। 
 
          - यह माता भी है तो पिता भी है। 
 
          - उसने इसमें प्रवेश किया है। 
 
          - तब ब्रह्मा को खुद कहते हैं तुम हमारा बच्चा भी हो, वन्नी (पत्नी) भी हो।
 
          -  बरोबर बाप इन द्वारा एडाप्ट करते हैं।
 
          -  तो यह माता भी हो जाती है।
            
          
 
         
       
      -  भी बाप कहते हैं, तुमको याद मुझे करना है।
        
          -  ब्रह्मा को याद नहीं करना है। 
 
          - मनुष्य तो दुनिया में बहुत लॉकेट पहनते हैं। 
 
          - यह तो बाप है। 
 
          - बाप कहते हैं बच्चे तुम्हें अपना भी सब कुछ भूल जाना है, देह सहित देह के जो भी सम्बन्धी हैं, सबको भूल परमपिता परमात्मा के साथ योग लगाओ। 
 
          - तुम बच्चों को फरमान है मुझ बाप को याद करो। 
 
          - मैं इनमें प्रवेश होकर तुमको राजयोग सिखलाता हूँ, इसमें प्रेरणा की कोई बात नहीं है। 
 
          - प्रेरणा से बाबा काम नहीं करता है।
 
          -  यह ड्रामा अनुसार सब कुछ होना ही है।
 
          -  बाप की याद से विकर्म विनाश होंगे। 
 
          - बाकी किसी देहधारी को याद करने से टाइम वेस्ट हो जाता है।
 
          -  दूसरे के साथ बुद्धियोग लगाते हो तो गोया बाप से नाफरमानबरदार बनते हो। 
 
          - बाप को याद करने में मेहनत है, इसमें ही भूल होती है। 
 
          - बाप कहते हैं तुम हो आशिक। 
 
          - चलते-फिरते मुझ माशूक को याद करने का पुरुषार्थ करो। 
 
         
       
      - गीत में भी भगवानुवाच है - मामेकम् याद करो।
        
          -  देह सहित देह के सब सम्बन्ध छोड़ अपने को आत्मा समझो। 
 
          - यह कौन कहते हैं?
 
          -  शिवबाबा या श्रीकृष्ण?
 
          -  किसको याद करना है? 
 
          - श्रीकृष्ण तो संगम पर हो न सके। 
 
          - हाँ, कृष्ण की आत्मा जरूर है।
 
          -  वह भी सीखकर औरों को सिखाते हैं।
 
         
       
      -  यह है मुख्य पहला नम्बर प्रिन्स। 
        
          - इनके साथ और भी तो हैं ना, राधे भी साथ में है। 
 
          - परन्तु फर्स्ट प्रिन्स यह है। 
 
          - राधे तो फिर भी बाद में है। 
 
          - पहले इनका नाम है। 
            
              - यह कितनी गुह्य बातें हैं इसलिए 
 
             
           
         
       
      - बाप कहते हैं मुख्य एक ही बात को उठाओ। 
        
          - गीता कृष्ण ने नहीं गाई। 
 
          - कृष्ण को भगवान नहीं कह सकते।
 
          -  इस बात में ही सारी बात है जीतने की। 
 
          - एक बाप ही ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय यह तीन धर्म स्थापन करते हैं।
 
          -  पहले डिटीज्म, फिर इस्लामिज्म, बुद्धिज्म, क्रिश्चियनीज्म... बस और छोटे-छोटे धर्म तो बहुत हैं।
 
          -  सद्गति होती है गीता के भगवान द्वारा। 
 
          - सर्व का सद्गति दाता बाप है। 
 
         
       
      - सर्व का जगत गुरू भी एक ही सतगुरू है।
        
          -  सतगुरू अर्थात् सद्गति करने वाला। 
 
          - यह सबको अच्छी तरह समझा सकते हो।
 
         
       
      - जो बाबा की मुरली निकलती है, सब स्टूडेन्ट को हक है मुरली अच्छी तरह पढ़ने का।
        
          -  जिनको मुरली का शौक होगा वह तीन चार वारी मुरली जरूर पढ़ेंगे।
 
          -  मुरली बिगर और कुछ सूझना ही नहीं चाहिए।
 
          -  मुरली को कोई 5-8 बारी अच्छी रीति पढ़े तो ब्राह्मणी से भी ऊंच जा सकते हैं। 
 
          - सबको अपनी उन्नति करनी है।
 
          -  वास्तव में ब्राह्मणियां हैं मोस्ट ओबीडियन्ट सर्वेन्ट। 
 
          - कोई की अच्छे खान-पान तरफ बुद्धि गई तो मरने समय भी वह याद आ जायेगा।
 
         
       
      -  इस समय ही सर्विस लेते रहे तो खलास। 
        
          - सर्विस पर रहने वाले सदैव ओबीडियन्ट होकर रहेंगे। 
 
          - जैसे जनक बच्ची है, कभी कोई से काम नहीं लेगी। 
 
          - कोई-कोई को तो आदत पड़ जाती है तो फिर बात मत पूछो। 
 
          - कपड़े धोने वाले न मिलने से बीमार हो पड़ते हैं। 
 
          - कहाँ जा नहीं सकते। 
 
          - इसमें जास्ती नवाबी चल न सके। 
 
          - सर्वेन्ट बन सर्विस करनी है।
 
          -  बाप भी सर्वेन्ट है ना।
 
          -  कहते हैं मैं ऊंचे ते ऊंच, कितने साधारण तन में आया हूँ।
 
          -  मैं कोई घोड़ा गाड़ी आदि नहीं मांगता हूँ।
 
          -  यह तो फिर भी बाप है।
 
          -  वानप्रस्थ के बाद बच्चों का फ़र्ज होता है - बाप की सेवा करना।
 
          -  शिवबाबा का रथ है फिर भी बाबा कोई सेवा नहीं लेता है बच्चों से। 
 
         
       
      - बच्चों को अपनी पढ़ाई में पूरा ध्यान देना है। 
        
          - कायदेसिर पढ़ेंगे, पढ़ायेंगे तो सतयुग में भी कायदेसिर राज्य करेंगे।
 
          -  सतयुग में बेकायदे कोई बात होती नहीं। 
 
         
       
      - हर एक बात में एक्यूरेट बनना है। 
        
          - हम विश्व के राजकुमार राजकुमारी बनते हैं तो वह मैनर्स यहाँ सीखते हैं।
 
         
       
      -  कृष्ण की कितनी महिमा है - महाराजकुमार। 
        
          - बाप से भी कृष्ण का नाम जास्ती है। 
 
          - राधे-कृष्ण के मॉ-बाप कोई इतने मार्क्स नहीं ले सकते हैं, जितने राधे-कृष्ण लेते हैं। 
 
          - ऊंची पढ़ाई यह पढ़ते हैं। 
 
          - सबसे जास्ती मार्क्स कृष्ण लेते हैं परन्तु जन्म तो फिर कहाँ लेना ही पड़ेगा। 
 
          - तो जिसके पास जन्म लिया उनका इतना मान नहीं होता है। 
 
          - पहले जरूर उनके माँ-बाप जन्म लेते होंगे।
 
          -  फिर भी कृष्ण बच्चे का नाम बाला होता है। 
 
          - यह बातें बड़ी गुप्त है। 
 
          - यह है चिटचैट की बातें। 
 
         
       
      - मूल बात है अपने को अशरीरी आत्मा समझो। 
        
          - हम बेहद बाप की औलाद हैं, हमको सर्वगुण सम्पन्न यहाँ बनना है। 
 
          - अभी कोई भी सम्पूर्ण नहीं बने हैं। 
 
         
       
      - सभी पुरुषार्थी हैं। 
        
          - इनकी रिजल्ट भी बाबा देखते तो हैं ना - यह (ब्रह्मा) सबसे ऊंच जायेगा, इसलिए फालो फादर कहा जाता है। 
 
          - अन्त तक फादर को ही फालो करना पड़े। 
 
          - ड्रामा में जो कुछ होता है समझा जाता है - यही राइट है। 
 
          - कोई भी बात में संशय नहीं आ सकता है। 
 
          - अम्मा मरे तो भी हलुआ खाना... तुमको तो मनमनाभव होकर रहना है।
 
          -  दु:ख की कोई बात ही नहीं। 
 
          - ड्रामा में जो नूँध होगी वह होता ही रहेगा। 
 
          - अनादि बना बनाया ड्रामा है। 
 
          - जो नूँध है वह होता रहेगा।
 
          -  बच्चों का काम है पुरुषार्थ कर अपना जीवन हीरे जैसा बनाना।
 
          -  कर्मेन्द्रियों से कोई उल्टा काम नहीं करना है। 
 
          - ऐसे नहीं जो भाग्य में होगा। 
 
          - पुरुषार्थ करना है। 
 
         
       
      - बाबा को पूरा समाचार भी देना है। 
        
          - कोई सेन्टर का तो बिल्कुल पता भी नहीं पड़ता है।
 
          -  कई सेन्टर्स चलते हैं। 
 
          - कोई तो बिगर ब्राह्मणी भी गीता पाठशाला खोल सर्विस करते रहते हैं।
 
          -  नम्बरवार तो हैं ना। 
 
          - जो अच्छी सर्विस करते हैं वही बाबा की दिल पर चढ़ते हैं। 
 
          - तख्तनशीन होते हैं। 
 
         
       
      - बाप तो चाहते हैं बच्चे अच्छी रीति पढ़कर बाप के कन्धे पर चढ़ जाएं। 
        
          - इम्तहान तो एक ही है परन्तु मर्तबे की वैरायटी कितनी है। 
 
          - हर एक फूल अपनी-अपनी खुशबू देते हैं।
 
          -  कोई तो एकदम बदबू वाले भी हैं। 
 
          - कई बच्चे कमाल करने वाले भी हैं ना। 
 
          - प्रेम है, मनोहर है, दीदी है... इनकी सब महिमा करते हैं। 
 
          - कोई का तो नाम भी नहीं लेते हैं।
 
         
       
      -  बाप को पतित से पावन बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है। 
        
          - बन्दरों को मन्दिर लायक बनाते हैं।
 
          -  सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजा, प्रजा, गरीब, साहूकार सब बनते हैं ना।
 
          -  पुरुषार्थ कर ऊंच पद पाना है। 
 
          - नहीं तो जन्म-जन्मान्तर के लिए वही बन जायेंगे।
 
          -  फिर बहुत पछताना पड़ेगा।
 
          -  बाबा से हमने पूरा वर्सा नहीं लिया।
 
         
       
      -  टीचर गुरू भी कहेगा फालो करो। 
        
          - यह तो बाप टीचर गुरू एक ही है।
 
          -  सुप्रीम फादर, सुप्रीम टीचर, सुप्रीम गुरू भी है।
 
          -  वह निराकार ही नॉलेजफुल है, उनसे ही वर्सा मिलता है।
 
          -  सर्व का सद्गति दाता वह है, जिसकी सब साधना करते हैं। 
 
         
       
      - साधू अर्थात् साधना करने वाले।
        
          -  फिर किसको मुक्ति दे कैसे सकते। 
 
          - समझाने की युक्ति बड़ी अच्छी चाहिए। 
 
         
       
      - प्रदर्शनी का उद्घाटन करने वाले भी कुछ समझे हुए होने चाहिए।
        
          -  जो कह सकें कि यह प्रदर्शनी मनुष्य को हीरे जैसा बनाने वाली है। 
 
          - यह प्रदर्शनी परमपिता परमात्मा के डायरेक्शन से बनाई हुई है। 
 
          - उद्घाटन ऐसे से कराना चाहिए जो कुछ समझा भी सके।
 
          -  एक दिन बड़े भी आकर तुम्हारे पास समझेंगे।
 
          -  संन्यासी आदि भी आयेंगे।
 
          -  उस ड्रेस में बैठ समझेंगे। 
 
         
       
      - अब बाबा डायरेक्शन देते हैं मनमनाभव, बाप को याद करो तो पावन बनेंगे।
        
      
 
      - बाप कहते हैं - मैं कितना बड़ा गृहस्थी बना हूँ। 
        
          - सबसे बड़े ते बड़ा गृहस्थ धर्म मैं पालन करता हूँ। 
 
          - ड्रामा में मेरा पार्ट ही ऐसा है।
 
         
       
      -  बच्चों को ऊंच पद पाने में मेहनत करनी चाहिए।
        
          -  पुरुषार्थ कर मॉ-बाप के गद्दी-नशीन बनना चाहिए।
 
          -  शिवबाबा के हम बच्चे हैं, अन्दर में वह नशा रहना चाहिए।
 
          -  हम बाबा से कम थोड़ेही जायेंगे। 
 
         
       
      - अच्छा।
        
        मीठे मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      -  1) बाप समान सच्चा सेवाधारी बनना है। 
        
          - किसी से भी सेवा नहीं लेनी है।
 
          -  ओबीडियन्ट (आज्ञाकारी) होकर रहना है।
 
         
       
      -  2) ड्रामा में जो भी सीन चलती है, वही राइट है। 
        
          - उसमें संशय नहीं उठाना है। 
 
          - अपनी जीवन को हीरे जैसा बनाने का पुरूषार्थ करना है।
 
         
       
      - वरदान:-
 
      - ( All Blessings of 2021) 
 
      -  इस पुरानी दुनिया को विदेश समझ इससे उपराम रहने वाले स्वदेशी भव        
 
      - जैसे कई लोग विदेश की चीज़ों को टच भी नहीं करते हैं, समझते हैं अपने देश की चीज़ का प्रयोग करें।
 
      -  ऐसे आप लोगों के लिए यह पुरानी दुनिया ही विदेश है, इससे उपराम रहो अर्थात् पुरानी दुनिया की जो चीज़े हैं, स्वभाव-संस्कार हैं उनकी तरफ जरा भी आकर्षित न हो।
 
      -  स्वदेशी बनो अर्थात् आत्मिक रूप में अपने ऊंचे देश परमधाम और इस ईश्वरीय परिवार के हिसाब से मधुबन देश के निवासी समझ, इसके नशे में रहो।
 
      - स्लोगन:-
 
      - (All Slogans of 2021)
 
      -  झमेलों में फंसने के बजाए सदा मिलन मेले में रहो।
 
     
        
           
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