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     07-07-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन 
       
      
"मीठे बच्चे - 21 जन्मों के लिए रावण की जंजीरों से लिबरेट होना है तो बाप की श्रीमत पर चलो, बाप आते ही हैं तुम्हें सब दु:खों से लिबरेट करने''
 
      
      
    
      
     
  प्रश्नः- 
    सबसे भारी मंजिल कौन सी है? जिसका पुरुषार्थ बहुतकाल से चाहिए!
 
   उत्तर:- 
    अन्तकाल में एक बाप की ही याद रहे और कोई याद न आये, यह बहुत भारी मंजिल है।  
   अगर कोई याद आया तो इसी दुनिया में जन्म लेना पड़े, इसलिए बहुतकाल से शिवबाबा की याद में रहने का अभ्यास करो। 
    
  प्रश्नः- 
    कई बच्चों की अवस्था चलते-चलते डांवाडोल क्यों हो जाती है? 
   उत्तर:- 
    क्योंकि पक्का निश्चय नहीं है। 
    जब निश्चय में कमी आती है तब पारे की तरह अवस्था नीचे ऊपर डांवाडोल होती है।  
   कभी बहुत खुशी रहती, कभी खुशी कम हो जाती। 
    
       
       
    
 
  
गीत:- भोलेनाथ से निराला.... 
 
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      ओम् शान्ति। 
      बच्चे समझते हैं कि हम भोलानाथ शिवबाबा के सम्मुख बैठे हैं और ब्रह्मा मुख द्वारा यह सहज राजयोग भी सीख रहे हैं।
       सब वेदों ग्रंथों शास्त्रों उपनिषदों का सार बाप बैठ समझाते हैं।
       यह बच्चों की ही बुद्धि में बैठा है।
       चित्रों में भी है ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
       तो ब्रह्मा द्वारा ही सभी वेद शास्त्रों का सार सुनाया है।
       तुम बच्चों को यह सब कौन समझाते हैं?
       परमपिता परमात्मा भोलानाथ शिव। 
      वह निराकार है इसलिए हर बात ब्रह्मा द्वारा समझाते हैं। 
      जिसको समझाते हैं वह फिर औरों को समझाते हैं।
       अगर नहीं समझा सकते तो गोया वह खुद नहीं समझे हैं अर्थात् बेसमझ हैं। 
      बेसमझ को समझाया जाता है।
       बाप सबको कहते हैं तुम बेसमझ हो।
       तुम मुझ बाप को जानते हो?
       तुम भारतवासियों ने वर्सा लिया था।
       सतयुगी स्वराज्य था फिर रावण राज्य होने से तुमने वर्सा गंवा दिया।
       रावण राज्य के कारण तुम पतित, बेसमझ, कंगाल बन पड़े हो।
       सभी आसुरी मत पर ही चलते हैं।
       तुम समझते हो कल्प पहले हमको बाप ने समझदार बनाया था।
       हम विश्व के मालिक बने थे, अभी हम माया के गुलाम बन पड़े हैं।
       सम्पत्ति के गुलाम नहीं, माया रावण के गुलाम।
       5 विकारों की जंजीरों में हम बंधे हुए हैं और शोक वाटिका में हैं।
       बरोबर रावण का राज्य सारे विश्व पर है।
       भारतवासी खास, सारी दुनिया आम सब रावण की जंजीरों में बंधे हुए हैं इसलिए जो कुछ करते हैं, रांग करते हैं।
       बाप आकर सब राइट बताते हैं इसलिए परमपिता परमात्मा को राइटियस कहेंगे।
       रावण को अनराइटियस कहेंगे। 
      आधाकल्प राइटियस राज्य चलता है। आधाकल्प अनराइटियस राज्य चलता है। 
      रावण राज्य को झूठी दुनिया कहा जाता है।
       तुम बच्चे ही जानते हो।
       ज्ञान सागर परमपिता परमात्मा शिव हमें समझा रहे हैं ब्रह्मा द्वारा।
       गाया भी हुआ है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
       ऐसे बहुत कहते हैं - सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
       परन्तु इस समय सब जीवनबंध में हैं, खास भारत।
       भारतवासी ही एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा लेते हैं।
       अभी तुम बच्चे जानते हो हम भगवान के बने हैं। 
      भगवान खुद कहते हैं तुम हमारे बच्चे हो, जानते हो ईश्वर ही नई दुनिया की स्थापना करते हैं तो जरूर पुरानी दुनिया में आना पड़े। 
      पुरानी दुनिया को पतित भ्रष्टाचारी कहा जाता है।
       सभी भगवान को बुलाते हैं कि हमारे जीवन को मुक्त करो।
       दु:ख से लिबरेट करो।
       मनुष्य जानते नहीं कि दु:ख का राज्य कब और कौन स्थापन करते हैं।
       भल शास्त्र बहुत पढ़े हुए हैं।
       विद्वान पण्डित आदि हैं जिन्हें घमण्ड बहुत है। 
      परन्तु कोई ऐसा नहीं जो सेकेण्ड में जीवनमुक्ति किसको दे सके।
       कोई कह भी नहीं सकते कि हम जीवनमुक्ति दे सकते हैं या सबकी सद्गति कर सकते हैं।
       मैं ही खास भारत, आम सबकी सद्गति करता हूँ। 
      गाया भी जाता है परमपिता परमात्मा सर्व का सद्गति दाता है। 
      सर्व का लिबरेटर है, दु:ख से लिबरेट करते हैं। 
      सुख से कोई लिबरेट करते हैं क्या? 
      दु:ख से लिबरेट तो बाप करते हैं। 
      अच्छा सुख से लिबरेट कौन करते हैं? 
      भारत सुखी था ना।
       फिर सुख से लिबरेट कर दु:ख में कौन लाया? 
      सुख से लिबरेट करने वाला है रावण।
       अब राम की श्रीमत पर चलने से तुम 21 जन्मों के लिए लिबरेट होते हो।
       उसको कहा जाता है जीवनमुक्ति या सद्गति।
       बच्चों की बुद्धि में अब बैठा है।
       बरोबर भारत जीवनमुक्त था तब सुखधाम था।
       अब भारत दु:खधाम है, जीवनबन्ध में है।
       बेहद का क्वेश्चन हो जाता है।
       तो बाप बेहद की ही यह सब बातें सुनायेंगे, जो हद में मनुष्य तो जानते ही नहीं। 
      न स्वर्ग को, न नर्क को जानते हैं। 
      वह तो यह सब कल्पना समझ लेते हैं। जीवनमुक्त तो कोई बन नहीं सकेंगे।
       यह तो अविनाशी बना बनाया ड्रामा है, इसमें कोई चेंज नहीं हो सकती।
       मुख्य है शिवबाबा। 
      उसको क्रियेटर, डायरेक्टर भी कहते हैं। 
      ब्रह्मा विष्णु शंकर का भी पार्ट है।
       जगत अम्बा, जगत पिता का भी पार्ट है।
       देवी-देवताओं का भी पार्ट है।
       फिर इस्लामी, बौद्धी आदि-आदि अपना-अपना पार्ट बजाते हैं, वही पार्ट फिर सबको बजाना है। 
      फिर पार्ट में एक धर्म हो जायेगा।
       फिर दूसरे धर्म वाले अपने समय पर अपना पार्ट रिपीट करेंगे।        
      अभी तुम जानते हो इस समय ब्राह्मण कुल की रिपीटीशन है।
       प्रजापिता ब्रह्मा से ब्राह्मण कुल की स्थापना होती है। 
      उनको ब्राह्मण सम्प्रदाय कहा जाता है।
       क्राइस्ट से क्रिश्चियन सम्प्रदाय की रचना हुई।
       परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा और ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण सम्प्रदाय रची तो फिर वह इतने सब मुख वंशावली होंगे।
       कुख वंशावली तो हो न सकें। 
      कहते हैं ना - तुम मात-पिता... तो यह सब एडाप्टेड चिल्ड्रेन हैं। 
      यह है ही एडाप्शन। 
      पहले ब्रह्मा को एडाप्ट किया फिर ब्रह्मा द्वारा तुम ब्राह्मण ब्राह्मणियां एडाप्ट होते हो।
       तुम जानते हो हम शिवबाबा के पोत्रे ब्रह्मा के बच्चे हैं। 
      पहले एक ब्राह्मणों का कुल है।
       बड़ा भारी कुल है। अभी ही एडाप्ट करते हैं।
       फिर कभी यह एडाप्शन होती ही नहीं।
       संन्यासियों की होती है।
       वह अपने जिज्ञासुओं को एडाप्ट करते हैं। 
      कहेंगे तुम हमारे फालोअर्स कहला न सको।
       घरबार छोड़ कफनी पहनें तब फालोअर्स कहा जाए।
       यहाँ तुम हो ब्राह्मण, तुमको यही सच्चा सहज राजयोग का रास्ता सबको बताना है। कुछ न कुछ समझाना है।
       एक सेकेण्ड में बाप से वर्सा मिलता है।
       परमपिता परमात्मा से जरूर मुक्ति जीवनमुक्ति का ही वर्सा मिलेगा।
       शिवबाबा को ही याद करना है। 
      सब आत्माओं का बाप है शिव, उनको याद करने से तुम स्वर्ग का मालिक बनेंगे।
       लौकिक बाप को याद करने से स्वर्ग के मालिक नहीं बनेंगे।
       भल घर में रहो परन्तु शिवबाबा को याद करो।
       हम आत्मा शिवबाबा की सन्तान हैं, इसी निश्चय में रहना है।
       पूरा निश्चय न होने से ही अवस्था डांवाडोल होती है।
       जैसे पारा होता है ना। अभी-अभी खुशी का पारा चढ़ता है।
       अभी-अभी भूल जायेंगे।
       अभी बाप कहते हैं तुमको घर वापिस जाना है।
       फिर आकर नई खाल लेंगे।
      तुम जानते हो हम पुनर्जन्म लेते आये हैं। 
      सर्प के लिए पुनर्जन्म की बात नहीं होती।
       वह एक पुरानी खाल छोड़ दूसरी नई ले लेते हैं।
       वैसे तुमको भी बदलना है।
       मनुष्य जब बूढ़े होते हैं तो कहते हैं, अब जाना है। 
      झट साक्षात्कार होता है। 
      अभी हम बालक बनने वाले हैं।
       उनको पता है कि अभी हम शरीर छोड़ बालक बनेंगे, फिर सतोप्रधान शरीर मिलेगा। 
      पुराने शरीर को जड़जड़ीभूत कहा जाता है। 
      दुनिया भी पहले नई होती है फिर कला कम होती जाती है इसलिए 4 भाग रखा गया है।
       कहते हैं कल्प की आयु तो बहुत बड़ी है। 
      कल्प में 84 लाख योनियां लेनी पड़ती हैं।
       तुमने तो कल्प को छोटा कर दिया है।
       फिर दु:ख देखो कितना है। 
      लाखों वर्ष आयु लगाने से समझते हैं 84 लाख जन्म होते होंगे।
       यह बाप बैठ समझाते हैं।
       यह कभी भूलना नहीं चाहिए, स्टूडेन्ट टीचर को कभी भूलते नहीं हैं।
       तुम भी जानते हो हम पढ़ने आते हैं ईश्वरीय क्लास में।
       मुरली सब सेन्टर्स वाले सुनते हैं। 
      पढ़ाने वाला तो एक ज्ञान का सागर ही ठहरा। 
      उनको ही ज्ञान का सागर पतित-पावन, सर्व का सद्गति दाता कहा जाता है। 
      सर्व अर्थात् भारत और सभी खण्ड आ जाते हैं। 
      तुम हो ईश्वरीय सन्तान, तुम ईश्वर द्वारा जितना पढ़ेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे। 
      पढ़ाई भी बड़ी सहज है, सिर्फ दो अक्षर याद करने हैं। 
      तुम कोई को भी कह सकते हो परमपिता परमात्मा बेहद के बाप को याद करो तो तुमको स्वर्ग में बेहद का सुख मिलेगा। 
      बस एक बाप को याद करो। 
      अन्तकाल में अगर कोई दूसरा याद आया तो अन्तकाल जो स्त्री सिमरे... ऐसे जन्म में जायेंगे।
       बाप कहते हैं मंजिल बहुत भारी है। 
      सावधानी से सीढ़ी पर सम्भाल कर चलना है।
       एक दो को सावधान करते रहना है। 
      शिवबाबा को याद करते रहो।
       बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं बच्चे इन गुरूओं का भी मुझे उद्धार करना है, तुम माताओं द्वारा। 
      तुम माता गुरू बिगर कोई का भी उद्धार नहीं होना है।
       माता को ही निमित्त रखा जाता है।
       जगत अम्बा मुख्य है ना।
       उनका देखो कितना प्रभाव है।
       ब्रह्मा का इतना नहीं है।
       सिर्फ पुश्कर में मन्दिर है।
       वहाँ पर बहुत करके पुरुष ही जाते हैं। 
      अम्बा का बहुत मान है।
       जहाँ तहाँ देवियों के मन्दिर पर बहुत मेले लगते हैं।
       गुरुओं की मत पर चलते-चलते बहुत धक्के खाये हैं।
       फायदा क्या हुआ? 
      कुछ भी नहीं। 
      उतरती कला होने से भारत को पतित तो बनना ही है। 
      वापिस कोई जा नहीं सकते।
       तुम समझ गये हो जो भी मनुष्य मात्र हैं सब पतित हैं।
       जड़जड़ीभूत अवस्था में हैं, उसमें सब आ जाते हैं।
       इस दुनिया में मनुष्यों को कितना दु:ख है। 
      कदम-कदम पर दु:ख बढ़ता ही जाता है।        
      तुम बच्चे समझते हो बाहर तो बिल्कुल बेसमझ हैं, बाप को ही नहीं जानते। 
      कहते भी हैं तुम मात पिता... जरूर वह स्वर्ग रचने वाला है, जो होकर जाते हैं फिर उनका गायन चलता है। 
      अब तुम जानते हो कि फिर से स्वर्ग की स्थापना हो रही है।
       जब स्वर्ग था तो दूसरे कोई नहीं थे। 
      अब दूसरे सब हैं तो यह धर्म नहीं हैं, फाउन्डेशन है नहीं। 
      अब वह जो आदि सनातन देवी-देवता धर्म था उसकी फिर से स्थापना हो रही है। 
      आधाकल्प तक फिर और कोई धर्म निकलते नहीं, एक ही धर्म रहेगा। 
      आधाकल्प सूर्यवंशी चन्द्रवंशी स्वराज्य। 
      यह है तुम्हारा ईश्वरीय जन्म सिद्ध अधिकार, हेविनली गॉड फादरली बर्थ राइट है। 
      हम अपने स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।
       राज्य करने के लिए लायक बन रहे हैं।
       वही हमको पढ़ाते हैं, लायक बनाते हैं।
       रोज़-रोज़ समझाते हैं, पक्का करने लिए।
       समझाते हैं - माया तुम्हें याद नहीं करने देगी, तुम कितनी भी कोशिश करो, बाबा को याद करने लिए तो युद्ध चलती है ना। 
      बाप बैठ रास्ता बताते हैं कि क्या करो, तुम कर्मयोगी भी हो। 
      हाँ बच्चे आदि तंग करने लगते हैं, रौरव नर्क है ना। 
      दु:ख देने वाली सन्तान हैं। 
      वहाँ होते हैं सुखदायी सन्तान क्योंकि सुखधाम है ना।
       वहाँ कोई ऐसी चीज़ होती नहीं जिससे दु:ख हो वा मैलापन हो। 
      यहाँ तो कितना दु:ख है।
       बीमारियाँ भी कैसी-कैसी गन्दी निकलती हैं। 
      आगे थोड़ेही थी, कैंसर की बीमारी का नाम भी नहीं सुना था।
       स्वर्ग में कोई बीमारी होती ही नहीं।
       जब आसुरी राज्य शुरू होता है तब ये गन्दी बीमारियाँ शुरू होती हैं।
       यह भी ड्रामा बना हुआ ह
      ै। स्वर्ग में कितनी सुन्दर गायें होती हैं, कहते हैं कृष्ण के पास ऐसी-ऐसी अच्छी गायें थी, तो उनको भी ग्वाला बना दिया है। 
      कृष्ण कोई ग्वाला थोड़ेही था। 
      तुम कहेंगे शिवबाबा ने यह चैतन्य ह्युमन गायें चराई हैं। 
      ज्ञान घास खिलाते हैं।
       ज्ञान का कलष माताओं पर रखा है। 
      बाबा कहते हैं अब मैं जो सुनाता हूँ वह सुनो।
       पहली बात मनमनाभव।
       मुझे याद करो तो विकर्म भस्म होंगे। 
      यह है बहुत सहज उपाय।
       
      
    
          
        
      
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
        
       
        अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
        
     धारणा के लिए मुख्य सार:-
      1) बाप की श्रीमत पर सबको रावण की जंजीरों से मुक्त कर जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने की सेवा करनी है।
      
          
        
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
        
      
       2) एक बाप से ही सुनना है। 
      बाकी जो सुना उसे भूल जाना है। 
      मंजिल भारी है इसलिए एक दो को सावधान करते बाप की याद दिलाते उन्नति को पाना है। 
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      
      वरदान:-
      ( All Blessings of 2021-22)
      
      
        
          - सत्यता की हिम्मत से विश्वास का पात्र बनने वाले बाप वा परिवार के स्नेही भव
 
          - विश्वास की नांव सत्यता है।
 
          -  दिल और दिमाग की ऑनेस्टी है तो उसके ऊपर बाप का, परिवार का स्वत: ही दिल से प्यार और विश्वास होता है।
 
          -  विश्वास के कारण फुल अधिकार उसको दे देते हैं।
 
          -  वे स्वत: ही सबके स्नेही बन जाते हैं इसलिए सत्यता की हिम्मत से विश्वासपात्र बनो। 
 
          - सत्य को सिद्ध नहीं करो लेकिन सिद्धि स्वरूप बन जाओ तो तीव्रगति से आगे बढ़ते रहेंगे।
 
          
         
      
      स्लोगन:-        
      (All Slogans of 2021-22)
     
        
          - सबसे अधिक धनवान वह है जिसके पास शान्ति व पवित्रता का खजाना है।
 
          
         
      
      
      
      
      
           
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