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     17-08-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन 
       
      
"मीठे बच्चे - बाप तुम्हें बेहद का समाचार सुनाते हैं, तुम अभी स्वदर्शन चक्रधारी बने हो, तुम्हें 84 जन्मों की स्मृति में रहना है और सबको यह स्मृति दिलानी है''
 
      
      
    
   
     
  प्रश्नः-
   शिवबाबा का पहला बच्चा ब्रह्मा को कहेंगे, विष्णु को नहीं - क्यों?
 
   उत्तर:-
   क्योंकि शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण सम्प्रदाय रचते हैं।  
  अगर विष्णु को बच्चा कहें तो उनसे भी सम्प्रदाय पैदा होनी चाहिए।  
  परन्तु उनसे कोई सम्प्रदाय होती नहीं। 
   विष्णु को कोई मम्मा बाबा भी नहीं कहेंगे। 
   वह जब लक्ष्मी-नारायण के रूप में महाराजा महारानी हैं, तो उनको अपना बच्चा ही मम्मा बाबा कहते। 
   ब्रह्मा से तो ब्राह्मण सम्प्रदाय पैदा होते हैं।  
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता... 
 
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      - ओम् शान्ति। 
 
     - बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं कि कोई गुरू गोसाई ऐसे नहीं कह सकते कि बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
 
     -  बाप बच्चों को क्या समझायेंगे?
 
     -  कौनसा बाप है? 
 
     - यह तो सिर्फ तुम जानते हो और कोई सतसंग में ऐसे कह नहीं सकते। 
 
     - भल बाबा सांई, मेहर बाबा कहते हैं परन्तु वो लोग तो कुछ भी समझते नहीं, जो बोलें।
 
     -  तुम जानते हो यह बेहद का बाप है, बेहद का समाचार सुनाते हैं। 
 
     - एक होता है हद का समाचार, दूसरा होता है बेहद का समाचार।
 
     -  इस दुनिया में कोई जानते ही नहीं।
 
     -  बाप कहते हैं तुमको बेहद का समाचार सुनाते हैं तो तुमको सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान बुद्धि में आ जाता है।
 
     -  तुम जानते हो बरोबर बाप ने अपना परिचय दिया है और सृष्टि चक्र कैसे फिरता है वह भी यथार्थ रीति समझाया है। 
 
     - उसे समझकर हम औरों को समझाते हैं।
 
     -  बीज को परमपिता परमात्मा वा बाप कहते हैं, हम हैं उनके बच्चे आत्मायें। 
 
     - तुम बच्चों की बुद्धि में है कि हम आत्मायें परमात्मा की सन्तान हैं।
 
     -  परमपिता परमात्मा परमधाम में रहने वाले हैं।
 
     -  उन्होंने मूलवतन का समाचार समझाया है।
 
     -  कैसे यह सारी माला बनती है। 
 
     - पहले-पहले बाप समझाते हैं मैं तुम्हारा बाप हूँ और मैं परमधाम में रहता हूँ।
 
     -  मुझे ही नॉलेजफुल, ब्लिसफुल कहते हैं।
 
     -  मैं आकर तुम आत्माओं को पवित्रता सुख शान्ति का वर्सा देता हूँ। 
 
     - बच्चों की बुद्धि में यह फिरता रहता है।
 
     -  हम असुल में कहाँ के रहने वाले हैं। 
 
     - हम सभी आत्माओं को भी पार्ट बजाना है।
 
     -  पार्ट का राज़ कोई भी समझ नहीं सकते हैं, सिर्फ कहते रहते हैं।
 
     -  पुनर्जन्म लेंगे। 
 
     - आत्मा इतने जन्म लेती है।
 
     -  कोई 84 लाख जन्म कहते। 
 
     - कोई को समझाओ तो समझ जाते हैं कि 84 जन्म ठीक हैं। 
 
     - 84 जन्म कैसे लेते हैं - यह बुद्धि में होना चाहिए।
 
     -  बरोबर हम सतोप्रधान थे फिर सतो, रजो, तमो में आये हैं।
 
     -  अब फिर संगम पर हम सतोप्रधान बन रहे हैं।
 
     -  यह जरूर तुम बच्चों की बुद्धि में होगा तब तो तुमको स्वदर्शन चक्रधारी कहा जाता है। 
 
     - यह बातें तो बड़ी सहज हैं जो बुढ़िया भी समझा सकती हैं कि बरोबर हमने 84 जन्म लिए हैं और कोई धर्म वाले मनुष्य नहीं लेते।
 
     -  यह भी समझाना होता है - अभी हम ब्राह्मण हैं फिर देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र बनते हैं।
 
     -  ऊंच ते ऊंच है शिवबाबा।
 
     -  यह अभी तुम्हारी बुद्धि में है।
 
     -  ऐसे हम पुनर्जन्म लेते हैं। 
 
     - पुर्नजन्म को तो जरूर मानना पड़े। 
 
     - अब तुमको अपने 84 जन्मों के पार्ट की स्मृति आई है।
 
     -  बुढ़ियों के लिए भी यह समझानी बहुत सहज है।
 
     -  तुमको कोई किताब आदि पढ़ने की दरकार नहीं रहती। 
 
     - बाप ने समझाया है कि तुम 84 जन्म कैसे लेते हो।
 
     -  तुम ही देवी-देवता थे फिर 8 जन्म सतयुग में, 12 जन्म त्रेता में, 63 जन्म द्वापर-कलियुग में लिए और यह एक जन्म है सबसे ऊंच।
 
     -  तो सहज समझते हो ना।
 
     -  कुरूक्षेत्र की बुढ़ी मातायें भी समझती हो ना! 
 
     - कुरूक्षेत्र का नाम मशहूर है।
 
     - वास्तव में यह सारा कर्मक्षेत्र है। 
 
     - वह कुरूक्षेत्र तो एक गांव है, यह सारा कर्म करने का क्षेत्र है, इसमें अभी लड़ाई आदि लगी नहीं है।
 
     - तुम इस सारे कुरूक्षेत्र को जानते हो। 
 
     - बैठना तो एक जगह होता है।      
 
     - बाबा ने बतलाया है-इस सारे कर्मक्षेत्र पर रावण का राज्य है।
 
     -  रावण को जलाते भी यहाँ हैं।
 
     -  रावण का जन्म भी यहाँ होता है।
 
     -  यहाँ ही शिवबाबा का जन्म होता है।
 
     -  यहाँ ही देवी देवतायें थे।
 
     -  फिर वही पहले-पहले वाम मार्ग में जाते हैं।
 
     -  बाबा भी यहाँ भारत में ही आते हैं। 
 
     - भारत की बड़ी महिमा है। 
 
     - बाप भी भारत में ही बैठ समझाते हैं।
 
     -  बच्चे तुम 5 हजार वर्ष पहले आदि सनातन देवी देवता धर्म के थे, राज्य करते थे।
 
     -  उनमें पहले नम्बर लक्ष्मी-नारायण विश्व पर राज्य करते थे।
 
     -  उसको 5 हजार वर्ष हुए। 
 
     - उनको विश्व महाराजन, विश्व महारानी कहा जाता था। 
 
     - वहाँ कोई दूसरा धर्म तो है नहीं।
 
     -  तो जो भी राजायें होंगे वो विश्व के महाराजन ही कहलायेंगे फिर यह फलाने गांव का, यह फलाने गांव का.. कहा जाता है।
 
     - तुम जानते हो हम विश्व का राज्य लेते हैं।
 
     -  बाप ने समझाया है - तुम जमुना के किनारे राज्य करते हो।
 
     -  तो बुद्धि में यह याद रखना है कि 4 युग और 4 वर्ण हैं।
 
     -  पांचवा यह लीप युग है, जिसको कोई जानते नहीं। 
 
     - मुख्य है ब्राह्मण धर्म। 
 
     - ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण। 
 
     - ब्रह्मा कब आया?
 
     -  जरूर जब बाप सृष्टि रचेंगे तो पहले ब्राह्मण चाहिए।
 
     -  यह है डायरेक्ट ब्रह्मा की मुख वंशावली।
 
     -  ब्रह्मा है शिवबाबा का पहला बच्चा। 
 
     - क्या विष्णु को भी बच्चा कहेंगे? नहीं। 
 
     - अगर बच्चा हो तो उनसे भी सम्प्रदाय पैदा हो।
 
     -  परन्तु उनसे तो सम्प्रदाय पैदा होती ही नहीं।
 
     -  न उनको मम्मा बाबा कहेंगे। 
 
     - वह तो महाराजा महारानी को अपना ही एक बच्चा होता है।
 
     -  यह कर्मभूमि है।
 
     - परमपिता परमात्मा को भी आकर कर्म करना पड़ता है, नहीं तो क्या आकर करते, जो इतनी महिमा होती है।
 
     -  तुम देखते हो शिव जयन्ती भी गाई हुई है। 
 
     - भल शिव पुराण लिखा है परन्तु उसमें कोई बात समझ में नहीं आती। 
 
     - मुख्य है ही गीता।
 
     -  तुम अच्छी रीति समझ गये हो कि कैसे शिवबाबा आते हैं।
 
     -  ब्रह्मा भी जरूर चाहिए। 
 
     - अब ब्रह्मा कहाँ से आया?
 
     -  सूक्ष्मवतन में तो सम्पूर्ण ब्रह्मा है।
 
     -  इस बात में ही लोग अटकते हैं।
 
     -  ब्रह्मा का कर्तव्य क्या है? 
 
     - सूक्ष्मवतन में रह क्या करते होंगे?
 
     -  बाप समझाते हैं जब यह व्यक्त रूप में हैं तो इन द्वारा ज्ञान देता हूँ।
 
     -  फिर यही ज्ञान लेते-लेते फरिश्ता बन जाते हैं। 
 
     - वह है सम्पूर्ण रूप।
 
     -  वैसे मम्मा का भी है, तुम्हारा भी ऐसे ही सम्पूर्ण रूप बन जाता है। 
 
     - बूढ़ी-बूढ़ी मातायें सिर्फ इतना धारण करें कि हम 84 जन्म कैसे लेते हैं, यह भी समझाया जाता है कि बाबा कर्मक्षेत्र पर पार्ट बजाने भेज देते हैं।
 
     -  मुख से कुछ बोलते नहीं हैं।
 
     -  यह भी ड्रामा बना हुआ है।
 
     -  ड्रामा अनुसार हर एक को अपने-अपने समय पर आना है। 
 
     - तो बाप बैठ समझाते हैं कि सृष्टि के आदि में पहले-पहले कौन थे फिर अन्त में कौन थे।
 
     -  अन्त में सारी सम्प्रदाय जड़जड़ी भूत अवस्था को पाई हुई है। 
 
     - बाकी ऐसे नहीं कि प्रलय हो जाती है फिर श्रीकृष्ण अंगूठा चूसता हुआ आता है।
 
     -  बाप ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते हैं नई सम्प्रदाय की।
 
     -  परमपिता परमात्मा इस दैवी सृष्टि की रचना कैसे करते हैं यह तो तुम जानते हो।
 
     -  वह तो कृष्ण को समझ बैठे हैं।
 
     -  तुम जानते हो बाप ही पतित-पावन है।
 
     -  अन्त में ही आयेंगे पावन बनाने। 
 
     - जो कल्प पहले पावन बने थे, वही आयेंगे।
 
     -  आकर ब्रह्मा के मुख वंशावली बनेंगे और पुरूषार्थ कर शिवबाबा से अपना वर्सा लेंगे।
 
     -  रचयिता नॉलेजफुल वह है ना!
 
     -  वर्सा बाप से ही मिल सकता है।
 
     -  दादा को भी उनसे मिलता है। 
 
     - उनकी ही महिमा गाई जाती है।
 
     -  त्वमेव माताश्च पिता... बरोबर सच्चा सुख देने वाला वह है।
 
     -  यह भी तुम जानते हो।
 
     -  दुनिया नहीं जानती। 
 
     - जब रावण राज्य शुरू होता है तब ही दु:ख शुरू होता है।
 
     -  रावण बेसमझ बना देते हैं।
 
     -  बालक में जब तक विकारों की प्रवेशता नहीं है तो उनको महात्मा समान कहते हैं।
 
     -  जब बालिग होता है तब लौकिक सम्बन्धी उनको दु:ख का रास्ता बतलाते हैं।
 
     -  पहला रास्ता बतलाते हैं कि तुमको शादी करनी है।
 
     -  लक्ष्मी-नारायण और राम सीता ने क्या शादी नहीं की है?
 
     -  परन्तु उन्हों को पता ही नहीं कि उन्हों का पवित्र प्रवृत्ति मार्ग था। 
 
     - यह अपवित्र प्रवृत्ति मार्ग है।
 
     -  वह तो पवित्र स्वर्ग के मालिक थे।
 
     -  हम तो पतित नर्क के मालिक हैं।
 
     -  यह ख्याल बुद्धि में आता नहीं है। 
 
     - तुम भारत की महिमा सुनाते हो - क्या यह भूल गये हो भारत स्वर्ग था, आदि सनातन देवी-देवता धर्म था, पवित्र थे।
 
     -  तब तो अपवित्र उनके आगे जाकर माथा टेकते हैं।
 
     -  पतित-पावन बाप ही पावन दुनिया की स्थापना करते हैं। 
 
     - बरोबर पावन भारत था अभी तो मुख से कहते हैं हम पतित हैं।
 
     -  कोई लड़ाई आदि होगी तो यज्ञ रचेंगे शान्ति के लिए।
 
     -  मंत्र भी ऐसे जपते हैं।
 
     -  परन्तु शान्ति का अर्थ समझते नहीं हैं।
 
     -  है भी बड़ा सहज।
 
     -  गॉड फादर कहते हैं तो बच्चे ठहरे ना। 
 
     - वह हम सबका बाप है तो ब्रदर्स ठहरे ना!
 
     -  बरोबर हम प्रजापिता ब्रह्मा के मुख वंशावली बहन भाई ठहरे।
 
     -  सतयुग में तो मुख वंशावली होती नहीं।
 
     -  सिर्फ संगम पर ही मुख वंशावली होने से बहन-भाई कहलाते हो।
 
     -  बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुग पर साधारण वृद्ध तन में प्रवेश करता हूँ जिसका नाम फिर ब्रह्मा रखता हूँ।
 
     -  जो फिर ज्ञान को धारण करके अव्यक्त सम्पूर्ण ब्रह्मा बनते हैं।
 
     -  है वही, दूसरी बात नहीं है।
 
     -  ब्राह्मण फिर वही देवता बनते हैं, चक्र लगाकर अन्त में आकर शूद्र बनते हैं फिर ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण रचते हैं।
 
     -  बुढ़ियों के ऊपर भी ब्राह्मणियों को मेहनत करनी है। 
 
     - हमने 84 जन्म पूरे किये हैं, यह तो समझ सकते हैं ना।
 
     -  बाबा कहते हैं मुझे याद करो।
 
     -  इस योग अग्नि से ही विकर्म विनाश होंगे।
 
     -  सभी आत्माओं को कहते हैं मामेकम् याद करो।
 
     -  शिवबाबा कहते हैं लक्की सितारों!
 
     -  हे सालिग्रामों! तुम आत्माओं की बुद्धि में यह ज्ञान डालते हैं। 
 
     - आत्मा सुनती है, परमात्मा बाप सुनाते हैं ब्रह्मा मुख द्वारा।
 
     -  ब्रह्मा द्वारा स्थापना, तो जरूर मनुष्य ही होगा और बूढ़ा भी होगा।
 
     -  ब्रह्मा को भी हमेशा बूढ़ा दिखाते हैं।
 
     -  कृष्ण को छोटा समझते हैं, ब्रह्मा को कभी छोटा बच्चा नहीं कहेंगे।
 
     -  उनका छोटा रूप बनाते नहीं हैं।
 
     -  जैसे लक्ष्मी-नारायण का छोटा रूप नहीं दिखाते, वैसे ब्रह्मा का भी नहीं दिखाते हैं।
 
     -  बाप खुद कहते हैं मैं वृद्ध तन में आता हूँ।
 
     -  तो तुम बच्चों को भी यही मंत्र सुनाते रहना है।
 
     -  शिव-बाबा कहते हैं मामेकम् याद करो।
 
     -  शिव को, ब्रह्मा को बाबा कहते हैं, शंकर को कभी बाबा नहीं कहते।
 
     -  वह तो शिव-शंकर को मिला देते हैं। 
 
     - तो यह भी बुद्धि में बिठाना है। 
 
     - आत्माओं का बाप अब परमपिता परमात्मा आये हैं।
 
     -  तो ऐसी-ऐसी सहज बातें बुढ़ियों को समझानी चाहिए।
 
     -  बाबा प्रश्न पूछते हैं कि आगे तुमको क्या बनाया था, तो इतना तो कहें कि स्वदर्शन चक्रधारी बने थे।
 
     -  बाप को और चक्र को याद करने से तुम रूहानी विलायत में चले जायेंगे। 
 
     - वह फॉरेन तो दूरदेश है ना। 
 
     - हम आत्मायें सब दूरदेश में रहने वाली हैं। 
 
     - हमारा घर देखो कहाँ है, सूर्य चांद से भी पार।
 
     -  जहाँ कोई गम नहीं है।
 
     -  अभी तुम आत्माओं को घर की याद आई है। 
 
     - हम वहाँ अशरीरी रहते थे, शरीर नहीं था।
 
     -  यह खुशी होनी चाहिए। 
 
     - अभी हम अपने घर जाते हैं।
 
     -  बाप का घर सो अपना घर। 
 
     - बाबा ने कहा है - मुझे याद करो और अपने मुक्तिधाम को याद करो। 
 
     - साइंस घमण्डी तो परमात्मा को बिल्कुल नहीं जानते हैं।
 
     -  बाप को तरस पड़ता है कि उन्हों के कानों में भी कुछ पड़ता रहे तो शिवबाबा को याद करें।
 
     -  देह-अभिमान टूट जाए, नर से नारायण बनने की यह सत्य कथा है।
 
     -  सच्चे बाप को याद करो तो सचखण्ड के मालिक बन जायेंगे।
 
     -  सच्चा बाबा ही स्वर्ग स्थापन करते हैं। 
 
     - कहते हैं और संग बुद्धियोग तोड़ो। 
 
     - सरकारी नौकरी 8 घण्टा करते हो उनसे भी यह बहुत ऊंची कमाई है।
 
     -  कहाँ भी जाओ, बुद्धि से यह याद करते रहना है।
 
     -  तुम कर्मयोगी हो।
 
     -  कितना सहज समझाते हैं।      
 
     - बुढ़ियों को देखकर मैं बहुत खुश होता हूँ क्योंकि फिर भी हमारी हमजिन्स हैं।
 
     -  मैं मालिक बनूँ, हमजिन्स न बनें तो यह भी ठीक नहीं। 
 
     - बाप है अविनाशी ज्ञान सर्जन।
 
     -  ज्ञान इन्जेक्शन सतगुरू दिया अज्ञान अन्धेर विनाश।
 
     -  तुम्हारा अज्ञान दूर हो गया है। बुद्धि में ज्ञान आ गया है। 
 
     - सब कुछ जान गये हो।
 
     
     - अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
 
      
       
  
      
  
    - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      
   1) ऊंची कमाई करने के लिए बुद्धि का योग और सबसे तोड़ एक बाप से जोड़ना है।  
  सच्चे बाप को याद कर सचखण्ड का मालिक बनना है।  
   2)  जैसे ब्रह्मा बाप ज्ञान को धारण कर सम्पूर्ण बनते हैं ऐसे ही बाप समान सम्पूर्ण बनना है।  
   
       
  
       - ( All Blessings of 2021-22)
 
       अटूट निश्चय के आधार पर विजय का अनुभव करने वाले सदा हर्षित और निश्चिंत भव 
        निश्चय की निशानी है-मन्सा-वाचा-कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क हर बात में सहज विजयी। 
        जहाँ निश्चय अटूट है वहाँ विजय की भावी टल नहीं सकती। 
        ऐसे निश्चयबुद्धि ही सदा हर्षित और निश्चिंत रहेंगे। 
        किसी भी बात में यह क्या, क्यों, कैसे कहना भी चिंता की निशानी है। 
        निश्चयबुद्धि निश्चिंत आत्मा का स्लोगन है “जो हुआ अच्छा हुआ, अच्छा है और अच्छा ही होना है।'' 
        वह बुराई में भी अच्छाई का अनुभव करेंगे। 
        चिंता शब्द की भी अविद्या होगी। 
       
        
      
       
       
  
      
      - (All Slogans of 2021-22)
 
     
        
         - सदा प्रसन्नचित रहना है तो बुद्धि रूपी कम्प्युटर में फुलस्टॉप की मात्रा लगाओ।
 
        
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