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      12-11-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
 
  मीठे बच्चे - एक दो को दु : ख देना घोस्ट का काम है , तुम्हें किसी को भी दु : ख नहीं देना है। रामराज्य में यह घोस्ट ( रावण ) होता नहीं
 
     
  
     
प्रश्नः-
  
   तुम बच्चों को किस बात में मूर्छित नहीं होना है, खुशी में रहना है?
  
    
  उत्तर:-कोई बीमारी आदि होती है तो मूर्छित नहीं होना है। 
   अगर देह-अभिमान में लटके हुए हैं। 
  अपने को आत्मा नहीं समझते, सारा दिन देह में ध्यान है तो जैसे मरे पड़े हैं। 
   बाबा कहते बच्चे तुम योग में रहो तो दर्द भी कम हो जायेगा। 
   योगबल से दु:ख दूर होते हैं।  
  बहुत खुशी रहती है। 
   कहा जाता है अपनी घोट तो नशा चढ़े।  
  कर्मभोग को योग से हटाना है।  
    
   
    
  गीत:- तूने रात गँवाई..... 
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      - ओम् शान्ति।
 
     -  यह बातें शास्त्रों में भी हैं।
 
     -  एक दो को समझाते भी हैं।
 
     -  फिर भी टाइम गंवाना छोड़ते नहीं हैं। 
 
     - अनेक प्रकार के गुरू लोग मत देते हैं। 
 
     - अच्छे-अच्छे भगत कोठरी में बैठ गऊमुख कपड़ा होता है, उसमें अन्दर हाथ डाल माला फेरते हैं।
 
     -  यह भी फैशन है।
 
     -  अब बाप कहते हैं - यह सब छोड़ो।
 
     -  आत्मा को सिमरण करना है बाप का।
 
     -  इसमें माला फेरने की बात नहीं। 
 
     - सबसे अच्छा गीत है शिवाए नम: का। 
 
     - इसमें ही आता है कि तुम मात-पिता हो। 
 
     - भगवान को ही रचता कहा जाता है। 
 
     - अब रचते क्या हैं? 
 
     - वह समझते हैं नई दुनिया रचते हैं। 
 
     - गाते हैं तुम मात-पिता, परन्तु सिर्फ गाते हैं।
 
     -  समझते कुछ नहीं।
 
     -  अब ईश्वर तो फादर ठहरा, फिर मदर भी चाहिए।
 
     -  मदर के सिवाए क्रियेट न कर सकें। 
 
     - सिर्फ यह नहीं जानते कि कैसे क्रियेट करते हैं। 
 
     - मात-पिता कहते हैं तो आपस में भाई बहन ठहरे। 
 
     - फिर विकार की दृष्टि हो न सके, जब आत्मा रूप में है तो फिर पवित्र रहने की बात भी नहीं।
 
     -  भाई बहन का सवाल ही नहीं।
 
     -  भाई-भाई हो गये। 
 
     - प्वाइंट बहुत अच्छी समझाई जाती है।
 
     -  परन्तु माया ऐसी है जो फट से गिरा देती है।
 
     -  जैसे त़ूफान लगते हैं तो झाड़ के झाड़ गिर पड़ते हैं, सिर्फ एक बड का झाड़ होता है वह तूफान में कभी नहीं गिरता।
 
     -  तो यह समझाना सहज है। 
 
     - सब गाते हैं तुम मात-पिता, पास्ट का गायन करते हैं, भक्ति मार्ग का।
 
     -  मात-पिता सृष्टि रचते हैं। 
 
     - उनके बालक बनते हैं तो जरूर सुख घनेरे देते होंगे।
 
     - यह कोई नहीं जानते कि वह मात-पिता भी है, टीचर भी है तो गुरू भी है। 
 
     - महिमा तो करते हैं ना - तुम मात-पिता। 
 
     - तो भाई बहन हो गये। 
 
     - फिर तुम विकार में क्यों जाते हो? 
 
     - हम फिर से उनके बालक बनते हैं और जानते हैं भल घर में रहते हैं परन्तु याद उनको ही करते हैं। 
 
     - हम ब्रह्मा की औलाद आपस में भाई बहन हैं।
 
     -  कहलाते भी हैं ब्रह्माकुमार कुमारियां। 
 
     - ब्रह्मा को भी रचने वाला वह है। 
 
     - मात-पिता आकर सुख देते हैं। 
 
     - अब सुख घनेरे पाने के लिए मात-पिता से हम राजयोग सीख रहे हैं। 
 
     - सुख घनेरे तो सतयुग में होते हैं।
 
     -  बाप जो स्वर्ग की स्थापना करते हैं, उनसे सुख घनेरे मिलते हैं, जब हम दु:ख में हैं तब शिक्षा मिलती है - सुख में जाने की। 
 
     - वही मात-पिता आकर सुख देते हैं।
 
     -  एडम ईव तो मशहूर हैं। 
 
     - जरूर गॉड की सन्तान ठहरे। 
 
     - तो गॉड फिर कौन? 
 
     - यह राज्य ही रावण घोस्ट का है। 
 
     - परन्तु रावण क्या चीज़ है, यह नहीं जानते। 
 
     - अब घोस्ट (विकार) तो सबमें हैं।
 
     -  उनका ही राज्य चल रहा है।
 
     -  सिर्फ क्रोध का भूत नहीं। 
 
     - सब विकारों का भूत है। 
 
     - जैसे वो लोग कुछ छपाते हैं तो बाबा अटेन्शन देते हैं कि यह राज्य ही आसुरी घोस्ट का है। 
 
     - ऐसे तुम बच्चों को भी अटेन्शन दे समझाने की युक्तियां निकालनी चाहिए। 
 
     - तुम जानते हो बाबा यह जो नॉलेज देते हैं - यह सब धर्म वालों के लिए है। 
 
     - बाकी सबका बुद्धियोग उस बाप से टूटा हुआ है। 
 
     - घोस्ट बुद्धियोग लगाने नहीं देते हैं और ही बुद्धियोग तोड़ देते हैं। 
 
     - बाबा आकर घोस्ट पर जीत पहनाते हैं।
 
     -  आजकल दुनिया में रिद्धि सिद्धि वाले बहुत हैं। 
 
     - एक दो को दु:ख देते हैं।
 
     -  यह है ही घोस्टों की दुनिया। 
 
     - काम रूपी विकार है तो एक दो को आदि-मध्य-अन्त दु:ख देते हैं। 
 
     - एक दो को दु:ख देना घोस्ट का काम है। 
 
     - सतयुग में घोस्ट होता नहीं।
 
     -  घोस्ट नाम बाइबिल में चला आता है। 
 
     - रावण माना घोस्ट।
 
     -  रामराज्य में घोस्ट होता ही नहीं।
 
     -  जयजयकार हो जाती है। 
 
     - वहाँ सुख घनेरे होते हैं। 
 
     - तो शिवाए नम: वाला गीत बहुत अच्छा है। 
 
     - शिव है मात-पिता। 
 
     - ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को मात-पिता नहीं कहेंगे।
 
     -  शिव को ही फादर कहेंगे।
 
     -  एडम ईव ब्रह्मा सरस्वती तो यहाँ ही हुए हैं। 
 
     - वहाँ सिर्फ गॉड फादर को प्रार्थना करते हैं - ओ गॉड फादर। 
 
     - भारत तो मात-पिता का गाँव है। 
 
     - उनका जन्म यहाँ है।
 
     -  तो समझाना है तुम मात पिता गाते हो तो आपस में भाई बहन ठहरे।
 
     -  प्रजापिता ब्रह्मा ने एडाप्ट किया है।
 
     -  यह जो इतने ब्रह्माकुमार कुमारियां बने हैं।
 
     -  शिवबाबा एडाप्ट कराते जाते हैं। 
 
     - नई सृष्टि ब्रह्मा द्वारा ही रची जाती है। 
 
     - समझाने की बहुत युक्तियां हैं।
 
     -  परन्तु पूरा समझाते नहीं हैं। 
 
     - बाबा ने बहुत बार समझाया है यह शिवाए नम: का गीत बजाकर जहाँ तहाँ समझाओ। 
 
     - हम मात-पिता के बालक कैसे हैं। 
 
     - वह बैठ समझाते हैं।
 
     -  ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया की स्थापना की थी।
 
     -  अब कलियुग का अन्त है फिर से स्थापना कर रहे हैं।
 
     -  बुद्धि में धारण करना है, यह नॉलेज बड़ी सहज है। 
 
     - माया के तूफान योग में ठहरने नहीं देते हैं।
 
     - बुद्धि चक्रित हो जाती है।
 
     -  नहीं तो समझाना बहुत अच्छा है। 
 
     - पहले समझाना चाहिए रचयिता एक है, उनको सब फादर कहते हैं। 
 
     - वह निराकार जन्म मरण रहित है। 
 
     - ब्रह्मा विष्णु शंकर को सूक्ष्म चोला है। 
 
     - 84 जन्म मनुष्य भोगते हैं। 
 
     - सूक्ष्म-वतन में तो नहीं भोगेंगे। 
 
     - तुम जानते हो हम मात पिता के नये बच्चे हैं।
 
     -  बाबा ने हमको एडाप्ट किया है।
 
     -  ब्रह्मा को तो भुजायें बहुत हैं। 
 
     - अर्थ तो कुछ भी नहीं समझते।
 
     -  जो भी चित्र आदि निकले हैं, शास्त्र निकले हैं। 
 
     - यह सभी ड्रामा के ऊपर आधार रखना पड़ता है।
 
     -  ब्रह्मा का दिन था फिर भक्ति मार्ग शुरू हुआ है।
 
     -  वह चला आ रहा है। 
 
     - यह राजयोग बाबा ही आकर सिखलाते हैं।
 
     -  यह स्मृति में रहना चाहिए। 
 
     - कहते हैं ना अपनी घोट तो नशा चढ़े। 
 
     - परन्तु बुद्धि का योग चाहिए - बाबा के साथ।
 
     -  यहाँ तो बहुतों का बुद्धियोग लटका हुआ है, पुरानी दुनिया के मित्र सम्बन्धी आदि की तरफ या देह-अभिमान में फँसे रहते हैं। 
 
     - थोड़ा बीमारी होती है तो मर पड़ते हैं।
 
     -  अरे योग में रहेंगे तो दर्द भी कम हो जायेगा।
 
     -  योग नहीं तो बीमारी कैसे छूटे, ख्याल करना चाहिए मात-पिता जो पावन बनते हैं, वही फिर सबसे पहले पतित भी बनते हैं, उनको बहुत भोगना भोगनी पड़ती है। 
 
     - परन्तु योग में रहने कारण बीमारी हट जाती है।
 
     -  नहीं तो उनकी भोगना सबसे जास्ती है। 
 
     - परन्तु योगबल से दु:ख दूर होते हैं और बहुत खुशी में रहते हैं। 
 
     - बाबा से हम स्वर्ग के सुख घनेरे लेते हैं।
 
     -  बहुत बच्चे हैं जो बीमारी में एकदम मूर्छित हो जाते हैं। 
 
     - सुरजीत नहीं होते, तो समझते हैं यह देह-अभिमान में लटकते रहते हैं। 
 
     - अपने को आत्मा समझते नहीं, सारा दिन देह में ध्यान है। 
 
     - जैसे मरे पड़े हैं। 
 
     - बाबा आकर कब्र से उठाए ज्ञान की टिकलू-टिकलू सिखाते हैं। 
 
     - तुम्हें ज्ञान की बुलबुल बनना है।
 
     -  छोटी बच्चियों को खड़ा किया है।
 
     -  बाहर में छोटे बच्चे मात-पिता का शो करते हैं। 
 
     - लोक, परलोक सुहैला होता है ना। 
 
     - यह भी तुम देखेंगे छोटी-छोटी बच्चियां माँ बाप को ज्ञान देंगी। 
 
     - कुमारी का मान होता है।
 
     -  कुमारी को सब नमन करते हैं।
 
     -  शिव शक्ति सेना में सब कुमारियां हैं। 
 
     - भल मातायें भी हैं परन्तु वह भी कहलाती तो कुमारी हैं ना। 
 
     - छोटी बच्चियां बड़ों का शो करती हैं। 
 
     - कोई बहुत अच्छी बच्चियां हैं परन्तु मोह है, वह सत्यानाश कर देता है।
 
     -  मोह बड़ा खराब है।
 
     -  जैसे बन्दर बन्दरी बना देता है।
 
     -  तुम जानते हो बन्दरी में कितना मोह होता है। 
 
     - यह मोह का भी भूत है। 
 
     - बाप से बेमुख कर देते हैं।
 
     -  इनसे ही अक्षर मिलते हैं मात-पिता। 
 
     - वास्तव में मन्दिर में राधे-कृष्ण दिखाते हैं, श्रीकृष्ण के साथ राधे का नाम गीता में तो है नहीं। 
 
     - श्रीकृष्ण की महिमा अलग है, सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण.. परमात्मा की महिमा अलग है।
 
     -  शिव की आरती में बहुत महिमा करते हैं। 
 
     - परन्तु अर्थ कुछ नहीं समझते। 
 
     - पूजा करते-करते थक गये हैं।      
 
     - तुम जानते हो मम्मा बाबा और हम ब्राह्मण सबसे जास्ती पुजारी बने हैं। 
 
     - अभी फिर आकर ब्राह्मण बने हैं, उनमें भी नम्बरवार हैं।
 
     - कर्म का भोग होता है, उनको योग से हटाना है।
 
     -  देह-अभिमान को तोड़ना है। 
 
     - बाबा को याद कर बहुत खुशी में रहना है। 
 
     - मात-पिता से हमको सुख घनेरे मिलते हैं।
 
     -  बाबा से वर्सा मिलता है।
 
     -  बाबा ने हमारा रथ लोन पर लिया है। 
 
     - बाबा तो इस रथ की खातिरी करेंगे। 
 
     - पहले तो समझता था मैं आत्मा इस रथ को खिलाता हूँ।
 
     -  अब कहेंगे इनको खिलाने वाला वह है। 
 
     - बाबा भी हमको खिलाते हैं। 
 
     - हम भी उनको खिलाते हैं।
 
     -  बाबा खुद कहते हैं मैं बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में प्रवेश करता हूँ। 
 
     - यह अपने जन्मों को नही जानते हैं, मैं जानता हूँ।
 
     -  तुम कहते हो बाबा फिर हमको ज्ञान दे रहे हैं। 
 
     - इन द्वारा वर्सा दे रहे हैं। 
 
     - वर्सा लेना है सतयुग में।
 
     - सतयुग में तो राजा प्रजा आदि सब हैं।
 
     -  पुरुषार्थ करना है बाप से पूरा वर्सा लेने का। 
 
     - अगर अब नहीं लेंगे तो कल्प-कल्प मिस करते रहेंगे। 
 
     - इतना ऊंच पद पा नहीं सकेंगे। 
 
     - जन्म जन्मान्तर की बाजी है। 
 
     - तो कितना श्रीमत पर चलना चाहिए।
 
     -  कल्प-कल्प के लिए पढ़ाई है। 
 
     - इसमें बहुत ध्यान रखना पड़े। 
 
     - 7 रोज़ लक्ष्य ले फिर मुरली घर में भी पढ़ सकते हो। 
 
     - भल अमेरिका आदि की तरफ चले जाओ तो भी बाप से वर्सा ले सकते हो। 
 
     - सिर्फ एक हफ्ता धारणा करके जाओ। 
 
     - खान-पान की दिक्कत होती है। 
 
     - परन्तु ऐसी बहुत चीज़ें बनती हैं, डबल रोटी से जैम मुरब्बा आदि खा सकते हो। 
 
     - आदत पड़ जायेगी।
 
     -  फिर और कोई चीज़ अच्छी नहीं लगेगी। 
 
     - तुम सब भगवान के बच्चे हो, आपस में भाई बहन हो। 
 
     - ब्रह्मा के बच्चे भी भाई बहन हो। 
 
     - गृहस्थ में रहते भाई बहन होकर रहेंगे तब तो पवित्र रहेंगे।
 
     -  है बहुत सहज। 
 
      
       
     
     अच्छा!
     मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
      
    
  
   
  
   - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      
   1)  ज्ञान की बुलबुल बन ज्ञान की टिकलू-टिकलू कर सबको कब्र से निकालना है। 
   मात-पिता का शो करना है। 
   2) अपने अन्दर कोई भी भूत प्रवेश होने नहीं देना है।  
  मोह का भूत भी सत्यानाश कर देता है इसलिए भूतों से बचना है। 
   एक बाप से बुद्धियोग लगाना है। 
   
       
  
       - ( All Blessings of 2021-22)
 
       
   बेहद के अधिकार की स्मृति द्वारा अपार खुशी में रहने वाले सदा निश्चिंत भव 
    आजकल दुनिया में किसी को रिवाजी अधिकार भी मिलता है तो कितनी मेहनत करके अधिकार लेते हैं आपको तो बिना मेहनत के अधिकार मिल गया। बच्चा बनना अर्थात् अधिकार लेना। 
    मेरा माना और अधिकार मिला। 
    तो वाह मैं श्रेष्ठ अधिकारी आत्मा!  
   इसी बेहद के अधिकार की खुशी में रहो। 
    यह अविनाशी अधिकार निश्चित ही है और जहाँ निश्चित होता है वहाँ निश्चिन्त रहते हैं। 
       
        
      
       
       
  
      
   - (All Slogans of 2021-22)
 
     
        
         - सर्व की दुआओं से तीव्रगति की उड़ान भरो तो समस्याओं के पहाड़ को सहज ही क्रास कर लेंगे।
 
         
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