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      15-11-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
 
  मीठे बच्चे, विकारों को दान देने के बाद भी याद में रहने का पुरुषार्थ जरूर करना है क्योंकि याद से ही आत्मा पावन बनेंगी''
   
     
  
     
प्रश्नः-
  
   तख्तनशीन बनने वा रूद्र माला में पिरोने की विधि क्या है? 
   
    
  उत्तर:-बाप समान दु:ख हर्ता सुख कर्ता बनो।  
  सभी पर ज्ञान जल के छींटे डाल शीतल बनाने की सेवा करो। 
   किसी को भी दु:ख देने की बातें छोड़ दो। 
   कोई भी विकर्म नहीं करो। 
   अच्छे मैनर्स धारण करो। 
  अपना टाइम बाप की याद में सफल करो तो बाप के दिलतख्तनशीन बन रूद्र माला में पिरो जायेंगे। 
   अगर कोई अपना टाइम वेस्ट करता है तो मुफ्त अपना पद भ्रष्ट करता है।  
  झूठ बोलना, भूल करके छिपाना, किसी की दिल को दु:खाना - यह सब पाप हैं, जिसकी 100 गुणा सज़ा मिलेगी। 
    
   
    
  गीत:- न वह हमसे ज़ुदा होंगे... 
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       - ओम् शान्ति। यह हैं गोपिकाओं के गीत।
 
       -  कौन सी गोपिकायें? 
 
       - यह हैं प्रजापिता ब्रह्मा मुख वंशावली।
 
       -  फिर इनको कहा जाता है गोपी वल्लभ अर्थात् बाप के गोप गोपियां।
 
       -  बाकी वह सब कहानियां हैं। 
 
       - यह तो समझने की बात है कि बरोबर जब तुम ईश्वर के बनते हो तो आसुरी विकारी सम्प्रदाय दुश्मन बनते हैं।
 
       -  हंस और बगुले इक्ट्ठे रह न सकें।
 
       -  हंस थोड़े होते हैं। 
 
       - बगुले बहुत करोड़ों की अन्दाज में हैं। 
 
       - तुमको गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र रहना है।
 
       -  इसका गायन भी है।
 
       -  गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र रहो।
 
       -  हाँ विघ्न बहुत पड़ेंगे। आधाकल्प के पतित हैं वह इतना जल्दी पावन नहीं बनते।
 
       -  विकार के लिए कितनी कशमकस चलती है, अबलाओं पर अत्याचार होते हैं, तब तो द्रोपदी ने पुकारा है।
 
       -  द्रोपदी एक नहीं।
 
       -  इस समय सब द्रोपदियां और दुशासन हैं। 
 
       - चीर उतारते हैं।
 
       - यह है ही पतित विकारी दुनिया और सतयुग को कहा जाता है वाइसलेस दुनिया। 
 
       - यह है विशश दुनिया, रावण राज्य। 
 
       - इस दुनिया में कितना दु:ख है, रोना, पीटना, लड़ाई-झगड़ा क्या लगा पड़ा है।
 
       -  जब नई दुनिया में देवतायें राज्य करते थे तो पवित्रता सुख-शान्ति थी, अशान्ति वाले कोई धर्म नहीं थे।
 
       -  अभी तो अशान्ति फैलाने वाले कितने धर्म हैं।
 
       -  तुम फिर सिद्धकर बतलाते हो सबसे पुराना दुश्मन है रावण, जिसने भारत को कौड़ी जैसा पतित बनाया है। 
 
       - बाप बैठ कर्म-अकर्म-विकर्म की गति समझाते हैं।
 
       -  रावणराज्य में कोई कितना भी दान पुण्य करे, यज्ञ, जप-तप करे तो भी नीचे उतरना ही है।
 
       -  जिसको दान करते वह भी विकारी पाप आत्मा हैं। 
 
       - विकर्म करते-करते अब सिर पर बहुत बोझा है। 
 
       - तुम्हारी आत्मा जो सतोप्रधान थी सो अब तमोप्रधान बन पड़ी है।
 
       -  यह सब बाप समझाते हैं - कल्प पहले मुआफिक बाप ही आकर कल्प-कल्प हमको देवता बनाते हैं। 
 
       - सहज राजयोग और ज्ञान सुनाते हैं। 
 
       - अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। 
 
       - यह तो सहज है ना।
 
       -  सब कहते हैं कि हे भगवान आओ। 
 
       - हम पतितों को आकर पावन बनाओ। 
 
       - तो पतित-पावन बाप ही ठहरा।
 
       -  तुम जानते हो बाप हमको पावन बनाने का पुरुषार्थ कराते हैं। 
 
       - भल कोई 5 विकार दान में दे देते हैं परन्तु फिर योग भी लगाना है।
 
       -  जन्म-जन्मान्तर के जो सिर पर पाप हैं, जिससे तुम तमोप्रधान बने हो, वो योग के सिवाए कैसे भस्म होंगे?
 
       - तुम 5 विकारों का दान करते हो कि हम कोई पाप नहीं करेंगे। 
 
       - परन्तु जन्म-जन्मान्तर के जो पापों का हिसाब है, वह कैसे चुक्तू होगा?
 
       -  उसकी युक्ति है जहाँ तक जीना है बाप की याद में रहना है।
 
       -  इस याद से ही विकर्म विनाश होंगे।
 
       -  पतित आत्मा वहाँ जा नहीं सकती।
 
       -  हर एक को अपना-अपना पार्ट और अपना-अपना मर्तबा मिला हुआ है। 
 
       - जैसा मनुष्य का मर्तबा वैसे आत्मा का भी मर्तबा।
 
       -  पहले-पहले आत्मा स्वर्ग में आयेगी।
 
       -  पहले नम्बर में हैं लक्ष्मी-नारायण, उनका सबसे बड़ा पार्ट है।
 
       -  ड्रामा में देवी-देवता धर्म की आत्मायें सबसे अच्छा पार्ट बजाकर सबसे जास्ती सुख भोगती हैं।
 
       -  फिर सतो रजो तमो में आना है। 
 
       - खाद पड़ती जाती है।
 
       -  अब वह खाद निकले कैसे?
 
       -  सोने को अग्नि में डालने से खाद निकलती है। 
 
       - यह योग अग्नि है जिससे विकर्म विनाश होते हैं। 
 
       - यह कोई नहीं जानते कि योग अग्नि से विकर्म विनाश हो सकते हैं। 
 
       - बच्चे कहते हैं घड़ी-घड़ी योग टूट पड़ता है।
 
       -  हम बाप को भूल जाते हैं। यह माया के विघ्न हैं।
 
       -  विघ्न न आयें, जल्दी योग लग जाये तो जल्दी विनाश हो जाए, परन्तु ऐसा हो नहीं सकता।
 
       -  टाइम लगता है।
 
       -  जब तक योग लगाते रहो, अन्त में कर्मातीत अवस्था होगी।
 
       -  फिर दुनिया भी खत्म हो जायेगी।
 
       -  तुम श्रीमत से रावण पर जीत पाते हो। 
 
       - गीता, महाभारत, रामायण सबमें भक्ति की सामग्री है।
 
       -  तुमने संगम पर जो कर्तव्य किया है, उसका यादगार यह मन्दिर आदि बने हैं।
 
       - यादगार बनना द्वापर से शुरू होता है।
 
       -  पहले परमपिता परमात्मा शिव का यादगार बनता है, जो आकर पतितों को पावन बनाते हैं।
 
       -  देवताओं की महिमा गाई जाती है। लक्ष्मी-नारायण का बड़ा मन्दिर है। 
 
       - उन्हों की इतनी पूजा क्यों होती है?
 
       -  यह किसको मालूम नहीं है।
 
       -  पूज्य से फिर पुजारी जरूर बनना पड़े, पूज्य हैं तो प्रालब्ध भोगते हैं। 
 
       - जैसे बड़े राजाओं के जीवन चरित्र गाते हैं तो सतयुग के पहले नम्बर में महाराजा महारानी, लक्ष्मी-नारायण की जरूर महिमा गायेंगे।
 
       -  परन्तु वह कैसे बनें, यह नहीं जानते। 
 
       - जैसे ब्रह्मा और सरस्वती इन दोनों को सिखलाने वाला शिव है।
 
       -  उनका नाम शास्त्रों से गुम कर अगड़म बगड़म कर दिया है।
 
       -  इन बातों को सेन्सीबुल बच्चे नम्बरवार जानते हैं। 
 
       - यह ड्रामा चल रहा है - कल्प पहले भी तुम ऐसे बने थे जैसे अब बन रहे हो।
 
       -  यह झाड वृद्धि को पाता रहेगा।
 
       -  फल भी जरूर पकेगा। 
 
       - झाड़ को बढ़ने में टाइम लगता है।
 
       -  जब झाड़ तैयार हो जायेगा तो तुम देवी-देवता बन जायेंगे। 
 
       - बाकी सबका विनाश हो जायेगा। 
 
       - तुम बच्चे अब पक रहे हो। कोई पूरा पकते, कोई कम, कोई को त़ूफान लगते हैं।
 
       -  कमाई में ग्रहचारी आती है।
 
       -  बाबा कहते हैं योग लगाते रहो ताकि तुम्हारे सब पाप दग्ध हो जाएं।
 
       -  कितनी भारी कमाई है, इसलिए भारत का प्राचीन योग मशहूर है। 
 
       - परन्तु उससे क्या होता है, यह किसको पता नहीं। 
 
       - अब बाप समझाते हैं - तुम्हारी आत्मा में खाद पड़ी हुई है।
 
       -  आपेही पूज्य और आपेही पुजारी मनुष्य की आत्मा बनती है।
 
       -  भगवान तो बन नहीं सकता।
 
       -  अगर वह भी पुजारी बने तो फिर पूज्य कौन बनावे!
 
       -  हमको पूज्य बनाने वाला बाप है।
 
       -  हम पूज्य, पावन देवता थे फिर उतरते-उतरते हम शूद्र बन गये।
 
       -  सतयुग के देवी-देवताओं को कहेंगे - ईश्वर की नई रचना।
 
       -  गाते हैं - मनुष्य को देवता किये.... बाप समझाते हैं अच्छी तरह पढ़ो।
 
       -  बाप, टीचर, गुरू का काम होता है - ताकीद करना (पुरुषार्थ कराना), बच्चे टाइम वेस्ट मत करो।
 
       -  मुफ्त पद भ्रष्ट हो जायेगा, फिर बहुत पछतायेंगे। 
 
       - कहेंगे कल्प-कल्प हमारी ऐसी अवस्था होगी!
 
       -  फिर कुछ कर नहीं सकेंगे। साक्षात्कार हो जायेगा।
 
       -  पक्का निश्चय हो जायेगा कि कल्प-कल्प ऐसे दुर्गति को पाऊंगा। 
 
       - बाप समझाते रहते हैं - यह नतीज़ा निकलेगा, फिर बहुत रोना पड़ेगा।
 
       -  जैसे क्लास ट्रांसफर होती है, नम्बरवार बैठते हैं।
 
       -  हम भी नई दुनिया में ट्रांसफर होते हैं।
 
       -  ब्राह्मणों की माला गाई हुई नहीं है, रूद्र माला ही पूजी जाती है। 
 
       - परन्तु यह किसको पता नहीं है कि यह माला क्या है?
 
       -  ऊपर में मेरू दिखाते हैं। 
 
       - मेरू विष्णु है। ऊपर में फूल शिवबाबा है, फिर है माला। 
 
       - अब तुम ब्राह्मण पुरुषार्थ कर रहे हो फिर रूद्र माला में पिरोना है इसलिए पुरुषार्थ ऐसा करो जो तख्तनशीन बनो।
 
       -  किसको दु:ख देने की बातें छोड़ दो। 
 
       - बाप दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है। 
 
       - अगर बच्चे दु:ख देंगे तो कौन समझेंगे - यह ईश्वर के बच्चे हैं।
 
       - विकर्म करना अथवा जीवघात करना, झूठ पाप नहीं करना चाहिए।
 
       -  हार खाते हैं तो क्षमा मांगनी पड़े, भक्ति में भी कुछ हो जाता है तो तोबां-तोबां करते हैं।
 
       -  यह ज्ञान मार्ग है, इसमें किसकी दिल कभी नहीं दु:खानी है।
 
       -  ज्ञान का छींटा तो शीतल करने वाला है, यहाँ तुम बच्चे आये हो पढ़ने के लिए।
 
       -  पढ़ाई में मैनर्स अच्छे रखने होते हैं।
 
       -  यह भी पढ़ाई है।
 
       -  निराकार बाप पढ़ाते हैं।
 
       -  वह तुम्हारे अन्दर की सब बातें जानते हैं।
 
       -  एक सेन्टर से समाचार आया था - एक बच्चे ने भूल की तो धर्मराज ने सटका लगाया।
 
       -  इस बाबा को मालूम ही नहीं था।
 
       -  ऐसे बहुत हैं जो विकार में जाते हैं फिर सच नहीं बताते।
 
       -  अपने को बचाने के लिए भूल छिपाते हैं। 
 
       - परन्तु शिवबाबा से तो छिप नहीं सकते।
 
       -  तुमको पढ़ाने वाला शिवबाबा है। 
 
       - उनको भी भूल जाते हैं।
 
       -  यह तो कमबख्ती कहेंगे।
 
       -  यहाँ किसका भी झूठ वा सच छिप नहीं सकता। 
 
       - यह बाबा कहते हैं मैं अन्तर्यामी नहीं हूँ। 
 
       - शिवबाबा अन्तर्यामी है। बाप खुद कहते हैं - मैं निराकार सब जानता हूँ।
 
       -  यह तो साकार में है। 
 
       - मैं पुनर्जन्म रहित, यह जन्म मरण में आने वाला, तब तो इनको कहते हैं तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो, हम तुमको सुनाते हैं। 
 
       - जो भी सूर्यवंशी घराने के हैं, उन सबको सुनाता हूँ। 
 
       - बहुत बच्चे छिपाते हैं। 
 
       - बाबा के आगे आते ही नहीं हैं।
 
       -  बाबा ने कहा है इनसे मत छिपाओ, इनको सब कुछ सुनाओ।
 
       -  तो म़ाफ हो जायेगा। 
 
       - फिर भी मेरा बच्चा है।
 
       -  मैं तो सब कुछ जानता हूँ, इनको कैसे पता पड़े इसलिए सब इनको सुनाओ। 
 
       - आगे जन्म-जन्मान्तर का हिसाब तो मेरे पास जमा है।
 
       -  बाकी इस जन्म का जो है वह इनको सुनाओ तो मैं भी सुनूँगा।
 
       -  बाकी घर बैठे समझेंगे शिवबाबा तो सब कुछ जानते हैं। नहीं।
 
       -  वह तो भक्ति मार्ग में करते आये हो। 
 
       - अब तो मैं सम्मुख आया हूँ, तो बताना पड़े तब फिर सावधानी भी मिलेगी।
 
       -  बाप तो समझायेंगे काला मुँह नहीं करना।
 
       -  नहीं तो बहुत सज़ा खायेंगे।
 
       -  पिछाड़ी का समय बहुत नाज़ुक होता है। 
 
       - बहुत सज़ायें मिलती हैं।
 
       -  मिसाल भी तुम देखते सुनते रहते हो। 
 
       - पाप कभी भी सर्जन से छिपाओ मत।
 
       -  म़ाफ वह करेंगे, यह नहीं। 
 
       - इस समय पाप करने से तो सौगुणा हो जायेगा, और फालतू झूठ भी मत बोलो। 
 
       - बाबा सब बच्चों को वारनिंग देते हैं।
 
       -  कितनी बड़ी बेहद की पाठशाला है।
 
       - तुम गोप गुप्त वेष में बहुत काम कर सकते हो।
 
       -  समझायेंगे तो दिल में जरूर लगेगा कि बरोबर यह भी गवर्मेन्ट है।
 
       -  यह ज्ञान गुप्त है।
 
       -  बीज, झाड़ और सृष्टि चक्र को जानना है। 
 
       - यह 4 युगों का चक्र है। 
 
       - उन्होंने फिर चर्खा रख दिया है।
 
       -  तुम हो बी.के. पाण्डव सेना, वह कोट आफ आर्मस ले जाना चाहिए।
 
       -  चर्खा चलाने से सत्यमेव जयते होगी क्या? 
 
       - यह तो सृष्टि चक्र की बात है।
 
       -  तुमको डरना नहीं चाहिए। 
 
       - गुप्त वेष में तुम कहाँ भी जा सकते हो। 
 
       - बहुरूपी के बच्चे बहुरूपी होने चाहिए। 
 
       - परन्तु बच्चों की बुद्धि में आता नहीं है। 
 
       - थोड़ी ही सर्विस में खुश हो जाते हैं। 
 
       - दिमाग एकदम आसमान में चढ़ जाता है। 
 
       - अजुन तो बहुत काम करना है। 
 
       - किसम-किसम से पुरुषार्थ करना है।
 
       -  बाबा अनेक प्वाइंट्स देते हैं। 
 
       - यह ज्ञान यज्ञ तो चलना ही है। 
 
       - हर एक पंथ वाले को बुलाते रहो। 
 
       - राजाओं को भी बुला सकते हो। 
 
       - कानफ्रेन्स भी कर सकते हो। 
 
       - जैसा आदमी वैसा-वैसा कार्ड छपाना पड़े। 
 
       - आकर समझो यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है, आओ तो हम आपको परमपिता परमात्मा की और 5 हजार वर्ष की जीवन कहानी सुनायें।
 
       -  वन्डर है ना।
 
       
      
      
       
     
     अच्छा!
     मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।       
   
  
   - धारणा के लिए मुख्य सार:-
 
      
   1)  पावन बनने के लिए जब तक जीना है, माया के विघ्नों की परवाह नहीं करनी है। 
   
   2) सभी पर ज्ञान के छीटें डाल शीतल बनाने की सेवा करनी है, किसी की दिल को कभी भी दु:खाना नहीं है। बाप समान दु:ख हर्ता, सुख कर्ता बनना है। 
   
   
       
  
       - ( All Blessings of 2021-22)
 
       
       स्वमान में स्थित रह देहभान को समाप्त करने वाले अकाल तख्तनशीन, अकालमूर्त भव 
       संगमयुग पर बाप द्वारा अनेक स्वमान प्राप्त हैं। रोज़ एक नया स्वमान स्मृति में रखो तो स्वमान के आगे देहभान ऐसे भाग जायेगा जैसे रोशनी के आगे अंधकार भाग जाता है। न समय लगता, न मेहनत लगती। आपके पास डायरेक्ट परमात्म लाइट का कनेक्शन है सिर्फ स्मृति का स्वीच डायरेक्ट लाइन से आन करो तो इतनी लाइट आ जायेगी जो स्वयं तो लाइट में होंगे लेकिन औरों के लिए भी लाइट हाउस हो जायेंगे। जो ऐसे स्वमान में रहते हैं, उन्हें ही अकाल तख्तनशीन, अकालमूर्त कहा जाता है। 
         
       
        
      
       
       
  
      
   - (All Slogans of 2021-22)
 
     
        
         - अपनी स्थिति ऊंची बनाओ तो परिस्थितियां छोटी हो जायेंगी।
 
         
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