- बाबा ने दूर के मुसाफिर के बारे में बताया...
 
        बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं दूर के मुसाफिर तो सब हैं।
        
          -  सब आत्मायें दूर से दूर परमधाम की रहने वाली हैं। 
            
              - यह भी शास्त्रों में है।
 
              -  आत्मा दूर रहती है, जहाँ सूर्य चांद की रोशनी नहीं रहती।
 
             
           
           
       
      -  बाबा ने इस कर्मक्षेत्र (ड्रामा) के बारे में...
 
        मूलवतन और सूक्ष्मवतन में कोई ड्रामा नहीं है।
        
          -  ड्रामा इस स्थूलवतन का है, जिसको ही मनुष्य सृष्टि कहा जाता है।
 
          -  मूलवतन और सूक्ष्मवतन में कोई 84 जन्मों का चक्र नहीं है।
            
              -  चक्र मनुष्य सृष्टि में दिखाया जाता है। 
 
               
           
          - मनुष्य सृष्टि क्या चीज़ है, मनुष्य किसका बना हुआ है?
            
              -  मनुष्य में एक तो आत्मा है, दूसरा शरीर है।
 
              -  5 तत्वों का पुतला बनता है। 
 
              - उसमें आत्मा प्रवेश कर पार्ट बजाती है।
 
               
           
          -  तो दूर के वासी तो सब हैं। 
            
              - परन्तु तुम निश्चय करते हो। 
 
              - मनुष्यों में निश्चय नहीं है।
 
              -  बाप ने समझाया है मुझे दूरदेश का रहने वाला कहते हो परन्तु तुम सब आत्माओं का निवास स्थान एक है।
                
                  -  उस नाटक में जो पार्ट बजाते हैं उसमें तो हर एक का अपना-अपना घर होता है ना।
 
                  -  वहाँ से आकर पार्ट बजाते हैं। 
                    
                      - यहाँ तुम बच्चे समझते हो हम सब एक ही बाप के बच्चे हैं, एक ही घर परमधाम में रहने वाले हैं। 
 
                      - वह है ब्रह्म महतत्व, यह है आकाश तत्व। 
 
                      - यहाँ पार्ट बजाते हैं, रात-दिन होता है इसलिए सूर्य-चांद भी हैं।
                        
                          -  मूलवतन में तो दिन-रात नहीं होता है।
 
                          -  यह सूर्य-चांद कोई देवता नहीं हैं।
 
                          -  यह तो माण्डवे को रोशन करने वाली बत्तियां हैं।
 
                          -  दिन में सूर्य रोशनी देता है, रात में चांद की रोशनी होती है।
 
                         
                       
                       
                   
                   
               
               
           
           
       
      -  बाबा ने मुक्तिधाम के बारे में ... 
 
        अभी सब मनुष्य चाहते हैं मुक्तिधाम में जायें।
        
          -  जानते हैं भगवान् ऊपर में रहता है।
            
              -  भगवान् को भी याद करेंगे - हे परमपिता परमात्मा, तो बुद्धि ऊपर चली जायेगी। 
                
                  - आत्मा समझती है परन्तु अज्ञान छाया हुआ है।
 
                  -  यह भी जानते हैं हम यहाँ के रहने वाले नहीं हैं।
 
                  -  हमारा बाप वह है।
                    
                      -  मुख से ओ गॉड फादर कहते भी हैं।
 
                      -  फिर कह देते हैं सब फादर हैं, 
 
                     
                   
                   
               
               
           
           
       
      - बाबा ने सर्वव्यापी के बारे में स्पष्ट किया...
 
         गॉड सर्वव्यापी है।
        
          -  बच्चों को समझाया है सब तो फादर हैं नहीं। 
 
          - सब आत्मायें आपस में ब्रदर्स हैं। 
            
              - यह न जानने कारण लड़ते-झगड़ते रहते हैं।
 
              -  तुम आत्मायें ब्रदर्स हो, एक बाप की सन्तान बने हो।
 
             
           
           
       
      - बाबा ने आत्माओं के परमात्मा बाप और उनके प्राप्त होने वाले वर्से में निश्चयबुद्धि होने के बारे में स्पष्ट किया 
 निश्चयबुद्धि भी नम्बरवार हैं। 
        
          - लौकिक सम्बन्ध में निश्चय रहता ही है कि बाप से वर्सा पाना है।
            
              -  यहाँ बाप से माया घड़ी-घड़ी मुंह फेर देती है।
                
                  -  सर्वशक्तिमान बाप के बनते हो तो माया भी सर्वशक्तिमान होकर लड़ती है।
 
                 
               
               
           
           
       
      - शास्त्रों में कौरव-पाण्डवों कि दिखाये युद्ध के बारे में स्पष्ट किया पांच विकारों पर जीत पाने की युद्ध है।
        
          -  युद्ध तो मशहूर है।            
            
              - बाकी शास्त्रों में जो कौरव-पाण्डव दिखाये हैं वह बात है नहीं। 
 
              - यह रावण के साथ युद्ध बड़ी भारी है। 
 
             
           
           
       
      - बाबा ने भगवान के द्वारा सिखाये गये योग के बारे में स्पष्ट किया... 
 
        हम चाहते हैं कि बाप की याद में रहकर हम सम्पूर्ण बनें, आत्मा प्योर बनें।
        
          -  और तो कोई भी रास्ता है नहीं सिवाए योग के।
            
              -  और जो भी योग सीखते हैं वह कोई प्योरिटी के लिए नहीं है।
 
              -  वह तो सब स्थूल योग हैं, अल्प-काल के लिए और यह रूहानी योग है एवर प्योर होने के लिए। 
 
              - पवित्रता के सागर के साथ हम योग लगाने से पवित्र बनते हैं।
 
              -  बाप कहते हैं इस योग अग्नि से तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप भस्म होते हैं। 
 
             
           
           
       
      - बाबा ने वर्तमान दुनिया और नई दुनिया के बारे में बताया... 
 बुद्धि भी कहती है यह पतित दुनिया है। 
        
          - कोई से भी पूछो - यह सतयुग है या कलियुग?
            
              -  तो इसको सतयुग कोई भी नहीं कहेंगे। 
 
              - सतयुग तो नई दुनिया थी।
                
                  -  उसको गोल्डन एज, इसको आइरन एज कहा जाता है। 
 
                  - पुरानी दुनिया को कलियुग और नई दुनिया को सतयुग कहा जाता है।
 
                  -  ऐसे कह नहीं सकते कि अभी सतयुग भी है तो कलियुग भी है।
 
                  -  नहीं, नर्कवासी माना ही नर्कवासी।
 
                  -  पुरानी दुनिया को पतित, नई दुनिया को पावन दुनिया कहेंगे।
 
                  -  मनुष्यों के लिए ही समझाया जाता है, जानवर थोड़ेही कहेंगे पतित-पावन आओ।
 
                  -  कोई से भी पूछो तो कहेंगे यह नर्क है। 
 
                  - भारत ही नई दुनिया स्वर्ग था, भारत ही पुरानी दुनिया नर्क है। 
                    
                      - भारत पर ही जोर देते रहो। 
 
                      - दूसरे सब तो बीच में आते हैं। 
                        
                          - उससे हमारा तैलुक नहीं। 
 
                          - हमारा धर्म ही अलग है, जो अब प्राय: लोप हो गया है। 
 
                         
                       
                       
                   
                   
               
               
           
           
       
      - बाबा ने आत्माओं के परमात्मा बाप और उनके प्राप्त होने वाले वर्से में निश्चयबुद्धि होने के बारे में स्पष्ट किया... 
  अभी तुम निश्चयबुद्धि बने हो। 
        
          - जानते हो हम एक बाप के बच्चे हैं। 
            
              - बाप से हमको स्वराज्य मिलता है।
 
              -  पहले तो यह पक्का निश्चय चाहिए।
 
              -  ज्ञान सुनते हैं, वह तो ठीक है।
 
              -  प्रजा बन जाती है। 
 
              - बाकी हम बेहद बाप के बच्चे हैं - यह निश्चय हो जाए, समझें हमने भक्ति की है भगवान् से मिलने के लिये। 
 
              - अभी भक्ति पूरी होती है।
 
              -  अब भगवान् स्वयं आकर मिला है। 
 
              - उनसे सूर्यवंशी स्वराज्य पद मिलता है।
 
              -  हम इतना ऊंच पद पाते हैं। 
 
              - जैसे साहूकार लोग बच्चे को गोद में लेते हैं ना।
 
              -  वह तो एक बच्चा लेते हैं। 
 
              - यहाँ तो बेहद के बाप को अनेक बच्चे चाहिए। 
 
              - कहते हैं जो मेरा बच्चा बनेगा उनको स्वर्ग का वर्सा मिलेगा। 
 
              - जो मेरा नहीं बनते तो वर्सा ले न सकें।
                
                  -  श्रीमत पर ही नहीं चलते। 
 
                 
               
              - जिनको निश्चय हो जाता है वह तो कहते बाबा आप फिर से आये हो, बस, हम तो आपका हाथ नहीं छोड़ेंगे। 
 
             
           
           
       
      - बाबा ने परमात्मा के द्वारा पढ़ाई जाने वाली पढ़ाई में निश्चय के बारे में बताया...
 
         बाप बच्चों को समझाते हैं, बच्चे फिर दूसरों को समझाते हैं कि हम पारलौकिक बाप के बच्चे बने हैं।
        
          -  उनकी श्रीमत पर हम चलते हैं, हमको परमपिता परमात्मा पढ़ाते हैं। 
 
          - इतने सब बी.के. बने हैं तो जरूर निश्चय है, तो हम भी क्यों न बनें।
 
          -  लिख करके भेज दें कि हम आपके बने हैं। 
 
          - बाप कहेंगे हम कोई दूर थोड़ेही हैं। 
            
              - हम तो यहाँ बैठे हैं, हाज़िर हैं।
 
              -  यहाँ प्रैक्टिकल में बैठे हैं। 
 
             
           
           
       
      - बाबा ने सर्वव्यापी के बारे में स्पष्ट किया... 
 
        जैसे प्रेजीडेन्ट के लिए कहेंगे कि इस सृष्टि पर हाज़िर है तो इसका मतलब यह नहीं है कि प्रेजीडेन्ट सर्वव्यापी है।
        
          -  ऐसा परमपिता परमात्मा, जिसको सुख कर्ता दु:ख हर्ता कहा जाता है वह सर्वव्यापी नहीं हो सकता।
 
          -  उनकी हाज़िरी में मनुष्य इतने दु:खी कैसे हो सकते? 
            
              - जबकि बाप की गैरहाज़िरी (स्वर्ग) में भी कोई दु:खी नहीं रहता। 
 
             
           
           
       
      - बाबा ने बताया कि बाबा हम बच्चों के लिए अभी दुनिया को स्वर्ग बनाते हैं...
 
         बाप ने बच्चों के लिए घोंसला बनाया है। 
        
          - जैसे चिड़िया बच्चों के लिए घोंसला बनाती है, तो बाप भी तुम्हारे लिए तुम्हारे द्वारा ही आखेरा (घोंसला) बनवाते हैं।
 
          -  तुम्हारे ही रहने के लिए स्वर्ग का आखेरा बन रहा है। 
            
              - बाप कहते हैं तुम मेरी मत पर चलेंगे तो स्वर्ग मे राज्य करेंगे।
 
              - अगर पूरा निश्चय हो तो एकदम पकड़ लेवें।
 
             
           
           
       
      - बाबा ने उन सन्यासियों और हम बेहद के सन्यासियों के बारे में अन्तर बताया...
 
          ऐसे भी नहीं कि यहाँ बैठ जाना है।
        
          -  घरबार तो छोड़ना नहीं है।(बाबा ने सन्यासियों को याद किया)
              -  वह तो घरबार छोड़ते हैं।
 
              -  गुरू को भगवान् समझते हैं। 
 
              - वह कोई जीते जी मरते नहीं हैं।
                
                  -  तुमको तो जीते जी मरकर फिर सतयुग में जीना है। 
 
                 
               
               
           
           
       
      - बाबा ने आत्माओं के परमात्मा बाप और उनके प्राप्त होने वाले वर्से में निश्चयबुद्धि होने के बारे में स्पष्ट किया... 
 तुम बाप से बेहद का वर्सा लेते हो। 
        
          - जब निश्चय हुआ कि बेहद का बाप पढ़ाते हैं 21 जन्मों का वर्सा देते हैं तो उनकी श्रीमत पर चलना पड़े। 
            
              - बच्चा बना तो बाप डायरेक्शन देंगे। 
 
              - पहले तो एक हफ्ता भट्ठी में बैठो।
 
               
             
          -  तुमको रोज़ नॉलेज मिलती रहेगी।
 
          
            -  सब तो एक जैसे नहीं समझते हैं, हर एक अपने पुरूषार्थ और तकदीर अनुसार पाते हैं।
 
            -  पुरूषार्थ और तकदीर के ऊपर ही होता है। 
 
            - पता लग जाता है कि तकदीर में क्या है?
 
            -  क्या पद पायेंगे?
 
             
          - बाप का बनकर फिर गृहस्थ व्यवहार में भी रहना है। 
            
              - अच्छा, गृहस्थ व्यवहार नहीं है तो जाकर अन्धों की लाठी बनो।
 
              -  सत्य नारायण की कथा सुनाने जरूर जाना है। (Baba ko Prem Didi yaad aai)               
 
              - अब देखो, प्रेम बच्ची सेवा पर गई है।
 
              -  जिन्होंने निमंत्रण दिया उन्होंने आजयान की, बहुतों से मुलाकत कराई, प्रभावित हुए। 
 
              - परन्तु बाबा कहे - निश्चयबुद्धि एक भी नहीं हैं कि इन्हों को बेहद का बाप पढ़ाता है, जिससे 21 जन्मों का वर्सा मिलता है।
 
              -  प्रभावित होते हैं परन्तु ऐसे थोड़ेही निश्चय हुआ कि बरोबर ज्ञान का सागर बाप पढ़ा रहे हैं। 
 
              - हाँ, सिर्फ कहेंगे बहुत अच्छा है।
 
              -  जैसे ही बाहर गये फिर ख़लास। 
 
              - कोई बिरला ही पुरूषार्थ करेंगे। 
 
             
           
           
       
      - बाबा ने बच्चों के निश्चय और संशय की स्थिति के बारे में बताया...
 
         भल आपस में सतसंग करेंगे परन्तु जो करेंगे वह भी निश्चयबुद्धि नहीं। 
        
          - हाफ कास्ट कहा जाता है।
 
          -  निश्चय और संशय। 
            
              - अभी कहेंगे बाप पढ़ाते हैं, अभी कहेंगे कि यह कैसे हो सकता है?
 
              -  हाँ, पवित्र बनना अच्छा है परन्तु पवित्रता में रहना बड़ा मुश्किल है।
 
              -  पहले तो निश्चय चाहिए। 
                
                  - गदगद होकर लिखे।
 
                  -  जैसे बांधेली गोपिकायें पत्र लिखती हैं वैसे छुटेले कभी लिखते थोड़ेही हैं।
 
                  -  बाबा लिख देते हैं कि एक को भी निश्चयबुद्धि नहीं बनाया है।
 
                  -  हाँ, साधारण प्रजा बनाई, वारिस नहीं बनाया। 
 
                  - एक भी निश्चयबुद्धि नहीं बना है।
                    
                      -  निश्चयबुद्धि ही वारिस बनते हैं। 
 
                      - कोई भल निश्चयबुद्धि हैं परन्तु ज्ञान नहीं उठाते हैं तो उसी घराने के अन्दर जाकर दास-दासी बनते हैं। 
 
                      - आगे जाकर एक्यूरेट साक्षात्कार होगा।
 
                      -  पता भी पड़ेगा कि हम दास-दासी कौन-से नम्बर में बनेंगे?
 
                      -  फिर बहुत पछतायेंगे।
                        
                          -  हम तो श्रीमत पर चले नहीं तब यह हाल हुआ।
 
                          -  फिर भी हर हालत में कहेंगे ड्रामा। 
 
                          - इनका ड्रामा में ऐसे ही कल्प-कल्पान्तर का पार्ट है।
 
                          -  साक्षात्कार होना ही है। 
 
                          - पिछाड़ी में रिजल्ट निकलनी है।
 
                          -  फिर कहेंगे भावी। 
 
                          - हमारी तकदीर में यह था, तुम्हारी पढ़ाई की रिजल्ट आयेगी।
 
                           
                         
                       
                     
                   
                 
               
           
           
       
      -  बाबा ने बताया कि ये बड़ा भारी स्कूल है स्पष्ट किया...
 
        यह तो बड़ा भारी स्कूल है।
        
          -  पढ़ाने वाला एक ही है, एक ही पढ़ाई है, एक ही इम्तहान है।
 
          -  टीचर जानते हैं यह स्टूडेण्ट कैसा है, सब गैलप करते रहते हैं। 
 
          - आगे चलकर बहुत कुछ पता लग जायेगा। 
 
          - घड़ी-घड़ी तुम ध्यान में चले जायेंगे। 
            
              - जैसे शुरू में जाते थे। 
 
              - आप भी समझते रहते हो, बाप भी समझाते रहते हैं।
                
                  -  तुम ग़फलत करते हो, श्रीमत पर नहीं चलते हो।
 
                  -  ऐसे चलते-चलते आदत पड़ जाती है। 
 
                  - भल तुम पूछो - शिवबाबा हम आपकी श्रीमत पर चलते हैं?
                    
                      -  बाबा बता देंगे तुम नहीं चलते हो तब तुम्हारी तकदीर ऐसे दिखाई पड़ती है। 
 
                      - समझा जाता है अभी दशा खराब है, आगे चलकर खुल भी जाए।
                        
                          - कोई काम के हल्के नशे में गिरते हैं। 
 
                         
                       
                       
                   
                   
               
               
           
           
       
      - बाबा ने भ्रष्टाचारी भारत और श्रेष्ठाचारी भारत के बारे में बताया...
  भारत पावन था, श्रेष्ठाचारी था जो अब भ्रष्टाचारी है।
        
          -  उन श्रेष्ठ देवताओं की महिमा तो है ना। 
 
          - बाप कहते हैं यह है ही आसुरी सम्प्रदाय, मैं आया हूँ दैवी सम्प्रदाय स्थापन करने।
 
          -  यह देवी-देवता धर्म है ऊंच ते ऊंच।
 
          -  बाप ही पतित-पावन है। 
            
              - परन्तु मनुष्य कुछ भी समझते नहीं हैं।
 
              -  जो भी धर्म स्थापन करने आते हैं - पवित्र जरूर बनते हैं। 
                
                  - हर एक बात में अच्छे और बुरे होते हैं।
 
                  -  कम तकदीर और अच्छी तकदीर वाले हैं। 
 
                 
               
               
           
           
       
      - बाबा ने रावण के राज्य और राम की सेना के बारे में बताया...
  अब यह रावण राज्य ख़त्म होना है।
        
          -  इस रावण की नगरी को आग लगनी है।
 
          -  तुम राम की सेना बैठे हो। 
 
         
       
      - बाबा ने हमारा धर्म और घराने के लिए समझानी दी...
  जो इस धर्म के होंगे वह समझते जायेंगे। 
        
          - नम्बरवार समझते हैं। 
 
          - कोई को एक ही तीर जनक मुआफिक लगने से सरेन्डर हो जाते हैं।
 
          -  वह कोई भी बहाना नहीं करेंगे।
            
              -  बहाना इसमें चल न सके। 
 
              - परन्तु माया के तूफान भी बहुत आते हैं। 
 
              - अपने घराने को ही भुला देते हैं कि हम ईश्वरीय सन्तान हैं।
 
              -  तो बच्चों को बहुत मीठा बनना है। 
 
               
           
           
       
      - बाबा ने काम महाशत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए कहा...
  काम का जरा भी नशा नहीं चाहिए। 
        
          - काम बड़ा ही महाशत्रु है। 
 
          - यही सबसे बड़ी भारी परीक्षा है।
 
          -  बाबा कहते - बच्चे, इकट्ठे रह पवित्र बनकर दिखाओ।
 
          -  बाप बच्चों की अवस्था को जानते हैं।
 
         
       
      - बाबा ने कहा कि बच्चे अपना समाचार बाबा के पास लिखकर भेजें ...
 
        निश्चयबुद्धि वाले बाप को अपना समाचार देंगे कि बाबा मैं आपको याद करता हूँ, यह आपकी सेवा करता हूँ।
        
          -  सर्विस का समाचार लिखें तब विश्वास रखूँ।
 
          -  सर्विस का सबूत दिखाये तब बाबा समझे इसमें उम्मीद अच्छी दिखाई पड़ती है और फिर यह भी समझना चाहिए कि बाबा अकेला है, हम बच्चे बहुत हैं।
 
          -  ऐसे नहीं, बाबा को रोज़-रोज़ रेसपान्स देना पड़ेगा।
 
          -  नहीं, बाप है ही गरीब निवाज़। 
 
          - दान गरीब को दिया जाता है।
 
         
       
      - बाबा ने भारत के ऊतार और चढ़ाव के बारे में बताया...
  यह भारत खण्ड गरीब है। 
        
          - भारत ही साहूकार से गरीब हुआ है। 
            
              - यह किसको भी पता नहीं पड़ता है। 
 
              - यह भारत ही अविनाशी खण्ड है, जहाँ भगवान् अवतार लेते हैं।
 
              -  भारत सोने की चिड़िया था अर्थात् सर्व सुखों का भण्डार था।
                
                  -  जिस सुखधाम में जाने के लिए हम सब पुरूषार्थ कर रहे हैं। अच्छा!
 
                 
               
               
           
           
       
       
      
      
    
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        मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
        
        
 
     
   
    
          
       
     
     
  
  
     
  
  
    1) कोई भी बहाना न कर बाप की श्रीमत पर चलते रहना है। सर्विस का सबूत देना है।
    
    2)  हम ईश्वरीय सन्तान हैं, हमारा ऊंच ते ऊंच घराना है, यह भूलना नहीं है। निश्चयबुद्धि बनना और बनाना है।
  
      
       
   श्रेष्ठ स्वमान की सीट पर रह सर्व को सम्मान देने वाले सर्व के माननीय भव 
    सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान में स्थित रहकर, निर्मान बन सबको सम्मान देते चलो तो यह देना ही लेना बन जायेगा। सम्मान देना अर्थात् उस आत्मा को उमंग-उल्हास में लाकर आगे करना। सदा स्वमान में रहने से सर्व प्राप्तियां स्वत: हो जायेंगी। स्वमान के कारण विश्व सम्मान देगी और सर्व द्वारा श्रेष्ठ मान मिलने के पात्र, माननीय बन जायेंगे। 
          
  
  
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