24-05-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बाप तुम्हें देही-अभिमानी भव का पाठ पढ़ाते हैं, तुम्हारा पुरूषार्थ है देह-अभिमान को छोड़ना''

प्रश्नः-

देह-अभिमानी बनने से कौन-सी पहली बीमारी उत्पन्न होती है?

उत्तर:-

नाम-रूप की। यह बीमारी ही विकारी बना देती है इसलिए बाप कहते हैं आत्म-अभिमानी रहने की प्रैक्टिस करो। इस शरीर से तुम्हारा लगाव नहीं होना चाहिए। देह के लगाव को छोड़ एक बाप को याद करो तो पावन बन जायेंगे। बाप तुम्हें जीवनबन्ध से जीवनमुक्त बनने की युक्ति बताते हैं। यही पढ़ाई है।


  1. ओम् शान्ति।
    1. रूहानी बाप कह रहे हैं कि आत्म-अभिमानी अथवा देही-अभिमानी होकर बैठना है।
      1. किसको याद करना है?
        1. बाप को।
        2. सिवाए बाप के और कोई को याद नहीं करना है।
        3. जब बाप से बेहद का वर्सा मिलता है तो उनको याद करना है।
        4. बेहद का बाप आकर समझाते हैं देही-अभिमानी भव, आत्म-अभिमानी भव
          1. देह-अभिमान को छोड़ते जाओ।
          2. आधाकल्प तुम देह-अभिमानी होकर रहे हो, फिर आधाकल्प देही-अभिमानी होकर रहना है।
          3. सतयुग-त्रेता में तुम आत्म-अभिमानी थे।
          4. वहाँ मालूम रहता है कि हम आत्मा हैं, अब यह शरीर बूढ़ा हुआ, इसको अब छोड़ते हैं।
          5. यह चेन्ज करना है (सर्प का मिसाल)।
          6. तुम भी पुराना शरीर छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करते हो इसलिए तुमको अभी आत्म-अभिमानी बनना है।
            1. कौन बनाते हैं?
              1. बाप।
            2. जो सदैव आत्म-अभिमानी है।
            3. वह कभी देह-अभिमानी बनते नहीं।
            4. भल एक बार आते हैं तो भी देह-अभिमानी नहीं बनते क्योंकि यह शरीर तो पराया लोन पर लिया हुआ है।
            5. इस शरीर से उनका लगाव नहीं रहता।
            6. लोन लेने वाले का लगाव नहीं रहता।
            7. जानते हैं यह तो शरीर छोड़ना है।
  2. बाप समझाते हैं मैं ही आकर तुम बच्चों को पावन बनाता हूँ।
    1. तुम सतोप्रधान थे सो फिर तमोप्रधान बने हो।
    2. अब फिर पावन बनने के लिए तुमको अपने साथ योग सिखलाता हूँ।
      1. योग अक्षर न कह याद अक्षर कहना ठीक है।
      2. याद सिखलाता हूँ।
      3. बच्चे बाप को याद करते हैं।
      4. अभी तुमको भी बाप को याद करना है।
      5. आत्मा ही याद करती है।
  3. जब रावण राज्य शुरू होता है तो तुम बच्चे देह-अभिमानी बन पड़ते हो।
    1. फिर बाप आकर आत्म-अभिमानी बनाते हैं।
    2. देह-अभिमानी बनने से नाम-रूप में फँस पड़ते हो।
      1. विकारी बन जाते हो।
      2. नहीं तो तुम सब निर्विकारी थे।
      3. फिर पुनर्जन्म लेते-लेते विकारी बन जाते हो।
  4. ज्ञान किसको, भक्ति किसको कहा जाता है - यह तो बाप ने ही समझाया है।
    1. भक्ति शुरू होती है द्वापर से।
    2. जबकि पांच विकार रूपी रावण की स्थापना होती है।
      1. भारत में ही राम राज्य और रावण राज्य कहा जाता है।
      2. परन्तु यह नहीं जानते कि कितना समय राम राज्य और कितना समय रावण राज्य चलता है।
  5. इस समय सभी तमोप्रधान, पत्थरबुद्धि हैं।
    1. पैदा ही भ्रष्टाचार से होते हैं इसलिए इसको विशष वर्ल्ड कहा जाता है।
    2. नई दुनिया और पुरानी दुनिया में रात-दिन का फ़र्क है।
      1. नई दुनिया में सिर्फ भारत ही था।
      2. भारत जैसा पवित्र खण्ड कोई बन न सके।
      3. फिर भारत जैसा अपवित्र भी कोई नहीं बनता।
      4. जो पवित्र, वही फिर अपवित्र बनता है फिर पवित्र बनता है।
      5. तुम जानते हो देवी-देवतायें पवित्र थे।
      6. फिर पुनर्जन्म लेते-लेते अपवित्र बन गये हैं।
  6. सबसे जास्ती जन्म भी यही लेते हैं।
    1. बाप समझाते हैं मैं बहुत जन्मों के अन्त के जन्म के भी अन्त में आता हूँ।
    2. यह पहला नम्बर ही 84 जन्म पूरे कर वानप्रस्थ में आता है तब मैं प्रवेश करता हूँ।
    3. त्रिमूर्ति ब्रह्मा-विष्णु-शंकर भी हैं, परन्तु किसको मालूम नहीं है क्योंकि तमोप्रधान हैं ना।
      1. किसकी बायोग्राफी का किसी मनुष्य मात्र को पता नहीं है।
      2. पूजा करते हैं परन्तु सब है अन्धश्रद्धा।
  7. भक्ति को कहा जाता है ब्राह्मणों की रात और सतयुग-त्रेता है ब्राह्मणों का दिन।
    1. अब ब्रह्मा प्रजापिता है तो जरूर बच्चे भी होंगे ना।
    2. यह भी समझाया है ब्राह्मणों का कुल होता है, डिनायस्टी नहीं।
    3. ब्राह्मण हैं चोटी।
    4. चोटी भी देखने में आती है।
    5. फिर ऊंच ते ऊंच पढ़ाने वाला है परमपिता परमात्मा शिव।
      1. उनका नाम एक ही है परन्तु भक्तिमार्ग में अथाह नाम लगा दिये हैं।
      2. भक्ति मार्ग में चहचटा (भभका) बहुत हो जाता है।
      3. कितने चित्र, कितने मन्दिर, यज्ञ, तप, दान, पुण्य आदि करते हैं।
      4. कहते हैं भक्ति से फिर भगवान् मिलता है।
        1. किसको मिलता है?
        2. जो पहले-पहले आते हैं, वही पहले-पहले भक्ति शुरू करते हैं।
        3. जो ब्राह्मण सो देवता बनते हैं वही यथा राजा-रानी तथा प्रजा.... सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी, अहिंसा परमो देवी-देवता धर्म था।
  8. भारत में एक आदि सनातन देवी-देवता धर्म था तब अथाह धन था। बाप याद दिलाते हैं - पहले-पहले तुम देवी-देवता धर्म वाले ही 84 जन्म लेते हो।
    1. सब नहीं लेते।
    2. हैं सिर्फ 84 जन्म, वह फिर कह देते 84 लाख जन्म।
    3. कल्प की आयु भी लाखों वर्ष कह दी है।
  9. बाप कहते हैं यह है 5 हज़ार वर्ष का ड्रामा।
    1. तो यह हुआ ज्ञान।
    2. ज्ञान सागर एक ही शिवबाबा गाया जाता है।
      1. वह हैं हद के बाप, यह है बेहद का बाबा।
      2. हद के बाबाओं के होते हुए भी बेहद के बाप को याद करते हैं, जबकि दु:खी होते हैं।
      3. पुनर्जन्म लेते-लेते दुनिया पुरानी तमोप्रधान बन जाती है तब फिर बाप आते हैं।
      4. सेकण्ड में जीवनमुक्ति मिलती है।
        1. किससे?
        2. बेहद के बाप से।
        3. तो जरूर जीवनबन्ध में हैं।
        4. पतित हैं फिर पावन बनना है।
        5. यह तो सेकण्ड की बात है।
  10. ज्ञान एक सेकण्ड का है क्योंकि पढ़ाई तो तुम बहुत पढ़ते हो।
    1. वह सब मनुष्य, मनुष्य को पढ़ाते हैं।
    2. पढ़ती तो आत्मा ही है।
      1. परन्तु देह-अभिमान के कारण अपने को आत्मा भूलकर कह देते हैं हम फलाना मिनिस्टर हैं, यह हैं।
      2. वास्तव में हैं आत्मा।
      3. आत्मा मिस्टर-मिसेज़ के तन से पार्ट बजाती है, यह भूल जाते हैं।
      4. नहीं तो आत्मा ही शरीर से पार्ट बजाती है।
      5. कोई क्या बनते, कोई क्या बनते हैं।
  11. बाप समझाते हैं अभी यह पुरानी दुनिया बदल नई बनती है।
    1. वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी जरूर रिपीट होती है।
    2. नई दुनिया है सतोप्रधान।
      1. घर भी पहले नया होता है तो कहेंगे सतोप्रधान फिर पुराना जड़जड़ीभूत तमोप्रधान होता है।
  12. इस बेहद के नाटक वा सृष्टि चक्र की नॉलेज को समझना है क्योंकि यह पढ़ाई है।
    1. भक्ति नहीं है।
    2. भक्ति को पढ़ाई नहीं कहा जाता है क्योंकि भक्ति में एम ऑब्जेक्ट कुछ भी होती नहीं।
    3. जन्म-जन्मान्तर वेद-शास्त्र आदि पढ़ते रहो।
    4. यहाँ तो दुनिया को बदलना है, सतयुग-त्रेता में भक्ति नहीं।
    5. भक्ति शुरू होती है द्वापर से।
    6. तो यह बाप रूहानी बच्चों को बैठ समझाते हैं।
    7. इसको कहा जाता है रूहानी नॉलेज अथवा रूहानी ज्ञान।
    8. रूहानी नॉलेज कौन सिखलायेगा?
      1. सुप्रीम रूह यानी परमपिता ही सिखलायेगा।
      2. वह तो सभी का है ना।
      3. लौकिक बाप को कभी परमपिता नहीं कहेंगे।
  13. पारलौकिक को परमपिता कहा जाता है।
    1. वह है परमधाम में रहने वाले।
    2. बाप को याद भी ऐसे करते हैं - हे गॉड, हे ईश्वर।
    3. वास्तव में उनका नाम है एक।
      1. परन्तु भक्ति में अनेक नाम दे दिये हैं।
        1. भक्ति का फैलाव बहुत है।
        2. वह सब है मनुष्य मत।
      2. अब मनुष्यों को चाहिए ईश्वरीय मत
        1. ईश्वरीय मत, श्रीमत।
  14. श्री श्री 108 की तो माला बनती है ना।
    1. यह प्रवृत्ति मार्ग की माला बनती है।
    2. फिर पुनर्जन्म लेते-लेते सीढ़ी उतरते इनसालवेन्ट बन जाते हो।
      1. बुद्धि इनसालवेन्ट बन जाती है तो मनुष्य देवाला मारते हैं।
      2. जो 100 परसेन्ट सालवेन्ट थे वो इस समय इनसालवेन्ट हैं।
      3. बुद्धि को ताला लगा हुआ है।
        1. वह लॉक किसने लगाया?
        2. गॉडरेज का ताला लग जाता है।
  15. भारत जितना नम्बरवन में था उतना और कोई खण्ड नहीं।
    1. भारत की बहुत महिमा है।
    2. भारत सब धर्म वालों का बहुत बड़े ते बड़ा तीर्थ है।
      1. परन्तु ड्रामा अनुसार गीता को खण्डन कर दिया है।
      2. भारत और सारी दुनिया की भूल है।
      3. भारत में ही गीता को खण्डन किया है, जिस गीता के ज्ञान से बाप नई दुनिया बनाते हैं और सर्व की सद्गति करते हैं।
      4. भारत सबसे ऊंच और बहुत धनवान खण्ड था जो अभी फिर से बन रहा है।
  16. यह उल्टा झाड़ है, इनका बीज ऊपर में है।
    1. उसको वृक्षपति कहा जाता है।
    2. बृहस्पति की दशा बैठती है ना।
    3. बाप समझाते हैं मैं वृक्षपति आता हूँ तो भारत पर बृहस्पति की दशा बैठती है।
      1. ऊंच बन जाते हैं।
      2. फिर रावण आया है तो राहू की दशा बैठ जाती है।
        1. भारत का क्या हाल हो जाता है।
  17. वहाँ तो तुम्हारी आयु भी बड़ी रहती है क्योंकि पवित्र हो।
    1. आधाकल्प तुम 21 जन्म लेते हो। बाकी आधाकल्प में भोगी बनने से आयु भी छोटी हो जाती है तो फिर तुम 63 जन्म लेते हो।
    2. अभी बाप समझाते हैं सतोप्रधान बनना है इसलिए मामेकम् याद करो।
    3. सब धर्म वाले इस समय तमोप्रधान हैं।
    4. तुम सभी को यह ज्ञान दे सकते हो।
    5. आत्माओं का बाप तो एक ही है।
    6. सब ब्रदर्स हैं क्योंकि हम आत्मायें एक बाप के बच्चे हैं।
    7. भल कहते भी हैं हिन्दू-मुसलमान भाई-भाई हैं परन्तु अर्थ नहीं जानते हैं।
    8. आत्मा कहती राइट है।
    9. सब ब्रदर्स का बाप एक है।
    10. वर्सा देना ही है बड़े बाबा को।
    11. वह आते भी भारत में हैं।
      1. शिव जयन्ती मनाते हैं परन्तु वह कब आया था - यह किसको भी पता नहीं है।
  18. तुम्हारी युद्ध है 5 विकारों से।
    1. काम तो तुम्हारा नम्बरवन दुश्मन है।
    2. रावण को जलाते हैं।
      1. परन्तु वह है कौन?
      2. क्यों जलाते हैं?
        1. कुछ नहीं जानते।
  19. द्वापर से लेकर तुम नीचे उतरते इस समय पतित बन गये हो।
    1. एक तरफ शिव बाबा को याद कर पूजते हैं, दूसरी तरफ फिर कहते हैं कि वह सर्वव्यापी है।
    2. जिसने तुमको विश्व का मालिक बनाया उनको तुम माया के चक्र में आकर गाली देते हो।
    3. बाप कहते हैं - मीठे बच्चों, तुम मुझे अनगिनत जन्मों में ले गये हो।
    4. मुझे कण-कण में कह दिया है।
      1. यह भी ड्रामा बना हुआ है।
    5. बेहद के बाप की ग्लानि करते कितनी पाप आत्मायें बन गये हैं।
      1. रावण राज्य है ना।
  20. यह भी तुम जानते हो - इस समय सब भक्तियाँ हैं।
    1. सबकी सद्गति करने वाला कौन है?
    2. सचखण्ड स्थापन करने वाला सबका बाबा है।
      1. रावण को बाबा नहीं कहा जाता है।
  21. 5 विकार हरेक में हैं।
    1. विकार से पैदा होते हैं इसलिए भ्रष्टाचारी कहा जाता है।
    2. देवताओं को कहा जाता है सम्पूर्ण निर्विकारी।
      1. अभी हैं सम्पूर्ण विकारी।
      2. देवतायें जो पूज्य हैं, वही फिर पुजारी बनते हैं।
  22. वह कह देते हैं आत्मा सो परमात्मा।
    1. बाप कहते हैं यह भूल है।
    2. पहले-पहले तो अपने को आत्मा निश्चय करना है।
  23. हम आत्मा इस समय ब्राह्मण कुल के हैं, फिर देवता कुल में जाते हैं।
    1. यह ब्राह्मण कुल है सर्वोत्तम कुल।
      1. ब्राह्मणों की डिनायस्टी नहीं है।
      2. चोटी है ब्राह्मणों की।
      3. तुम ब्राह्मण हो ना।
      4. सबसे ऊपर में है शिवबाबा।
      5. भारत में विराट रूप बनाते हैं।
        1. परन्तु उसमें न ब्राह्मणों की चोटी है, न चोटियों (ब्राह्मणों) का बाप है।
        2. अर्थ कुछ नहीं समझते।
  24. त्रिमूर्ति का अर्थ भी नहीं समझते।
    1. नहीं तो भारत का कोट ऑफ आर्मस त्रिमूर्ति शिव का होना चाहिए।
    2. अभी तो यह कांटों का जंगल है।
    3. तो जंगली जानवरों का कोट ऑफ आर्मस बना दिया है।
    4. उसमें फिर लिखा है सत्य मेव जयते।
    5. सतयुग में तो दिखाते हैं शेर-बकरी इकट्ठे जल पीते हैं।
    6. सत्य मेव जयते माना विजय।
    7. सब क्षीरखण्ड हो रहते हैं।
      1. लून-पानी नहीं होते हैं।
      2. रावण राज्य में लून-पानी, राम राज्य में क्षीरखण्ड हो जाते हैं।
      3. इनको कहा ही जाता है कांटों का जंगल।
      4. एक-दो को पहला नम्बर कांटा विकार का लगाते हैं।
      5. बाप कहते हैं काम महाशत्रु है।
      6. यह आदि, मध्य, अन्त दु:ख देने वाला है।
      7. नाम ही है रावण राज्य।
      8. बाप कहते हैं इन 5 विकारों पर जीत पाकर जगतजीत बनो।
      9. यह अन्तिम जन्म निर्विकारी बनो।
      10. तुम तमोप्रधान पतित बने हो, फिर सतोप्रधान पावन बनो।
        1. गंगा कोई पतित-पावनी नहीं है।
        2. शरीर का मैल तो घर में भी पानी से उतार सकते हो।
        3. आत्मा तो साफ नहीं हो सकती।
  25. भक्ति मार्ग में कितने ढेर के ढेर गुरू लोग हैं।
    1. सतगुरू तो एक ही है सद्गति करने वाला।
    2. सुप्रीम बाप भी है, सुप्रीम टीचर भी है, सुप्रीम सतगुरू भी है।
    3. वही तुमको सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त का नॉलेज सुनाते हैं। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) सतोप्रधान बनने के लिए सिवाए बाप के और किसी को भी याद नहीं करना है। देही-अभिमानी बनने की प्रैक्टिस करनी है।

2) सबसे क्षीरखण्ड होकर रहना है। इस अन्तिम जन्म में विकारों पर विजय प्राप्त कर जगतजीत बनना है।

( All Blessings of 2021-22)

बाप की छत्रछाया में सदा मौज का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव

जहाँ बाप की छत्रछाया है वहाँ सदा माया से सेफ हैं। छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती। मेहनत से स्वत: दूर हो जायेंगे, मौज में रहेंगे क्योंकि मेहनत मौज का अनुभव करने नहीं देती। छत्रछाया में रहने वाली ऐसी विशेष आत्मायें ऊंची पढ़ाई पढ़ते हुए भी मौज में रहती हैं, क्योंकि उन्हें निश्चय है कि हम कल्प-कल्प के विजयी हैं, पास हुए पड़े हैं। तो सदा मौज में रहो और दूसरों को मौज में रहने का सन्देश देते रहो। यही सेवा है।

    (All Slogans of 2021-22)

    जो ड्रामा के राज़ को नहीं जानता है वही नाराज़ होता है।

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