27-05-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - याद में रहकर भोजन बनाओ तो खाने वाले का हृदय शुद्ध हो जायेगा, तुम ब्राह्मणों का भोजन बहुत ही शुद्ध होना चाहिए''

प्रश्नः-

सतयुग में तुम्हारे दर पर कभी भी काल नहीं आता है - क्यों?

उत्तर:-

क्योंकि संगम पर तुम बच्चों ने बाप द्वारा जीते जी मरना सीखा है। जो अभी जीते जी मरते हैं उनके दर पर कभी काल नहीं आ सकता है। तुम यहाँ आये हो मरना सीखने। सतयुग है अमरलोक, वहाँ काल किसी को खाता नहीं। रावण राज्य है मृत्युलोक, इसलिए यहाँ सभी की अकाले मृत्यु होती रहती है।


  1. ओम् शान्ति।
  2. मीठे-मीठे बच्चे प्रदर्शनी देखकर आते हैं तो बुद्धि में वही याद रहनी चाहिए।
    1. हम कैसे शूद्र थे, अब ब्राह्मण बने हैं फिर देवता सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी बनेंगे।
      1. यह संगमयुगी मॉडल प्रदर्शनी में रखना है।
      2. कलियुग और सतयुग के बीच में अब यह है संगमयुग।
      3. तो संगमयुगी मॉडल बीच में हो, उसमें 15-20 सफेद पोश वाले बिठाना चाहिए तपस्या में।
      4. जैसे सूर्यवंशी दिखाते हैं तो चन्द्रवंशी भी दिखाना पड़े।
        1. ऐसा बनाना है जो मनुष्य समझ जाएं कि यही तपस्या कर ऐसा बनते हैं।
        2. जैसे तुम्हारे शुरू के चित्र भी हैं।
        3. साधारण तपस्या के और भविष्य राजाई पद के।
        4. वैसे यह भी बनाना पड़े।
        5. तो तुम समझा सकेंगे यह वह बनते हैं।
      5. दिखलाना भी एक्यूरेट है।
      6. हम ब्रह्माकुमार-कुमारियां राजयोग सीखकर यह बनते हैं।
      7. तो संगमयुग भी जरूर दिखाना पड़े।
      8. तुम बच्चे देखकर आते हो तो सारा दिन वह नॉलेज बुद्धि में रहनी चाहिए, तब ही ज्ञान सागर के बच्चे तुम मास्टर ज्ञान सागर कहला सकते हो।
        1. अगर ज्ञान ही बुद्धि में न रहे तो ज्ञान सागर थोड़ेही कहेंगे।
        2. सारा दिन बुद्धि इसमें ही लगी रहे तो फिर बन्धन भी टूटते जायें।
  3. हम अभी ब्राह्मण हैं, फिर देवता बनते हैं।
    1. अगर अच्छी रीति पुरूषार्थ नहीं करेंगे तो क्षत्रिय कुल में चले जायेंगे।
      1. बैकुण्ठ देख भी नहीं सकेंगे।
      2. मुख्य तो है ही बैकुण्ठ।
      3. वन्डर ऑफ वर्ल्ड सतयुग को कहा जाता है, इसलिए पुरूषार्थ करना है।
  4. तुम्हारे दोनों चित्र होने चाहिए।
    1. वह रंगीन ड्रेस वा गहनों आदि से सजाया हुआ और वह तपस्या का।
    1. तो वह समझेंगे यही सूक्ष्मवतन में बैठे हैं।
    2. ड्रेस तो बदल सकते हैं।
    3. फीचर्स तो बदल नहीं सकेंगे।
    4. वह हुआ अपवित्र प्रवृत्ति मार्ग, वह पवित्र प्रवृत्ति मार्ग, जिससे समझें कि यह स्थापना कर रहे हैं।
    5. यही फिर वह बनते हैं।
      1. जो मेहनत करेगा वही पायेगा।
    6. ब्राह्मण बनने वाले तो बहुत हैं ना।
    7. इस समय तुम थोड़े हो।
    8. दिन-प्रतिदिन वृद्धि को पाते रहेंगे।
    9. सारा सृष्टि चक्र कैसे फिरता है, बुद्धि में है - हम तपस्या कर रहे हैं फिर यह बनेंगे।
    10. इसको ही कहा जाता है स्वदर्शन चक्रधारी हो बैठना क्योंकि बुद्धि में तो सारी नॉलेज है।
    11. हम क्या थे, अब फिर क्या बनते हैं।
  5. स्टूडेन्ट टीचर को तो जरूर याद करेंगे।
    1. तुमको भी बाप को याद करना है।
    2. याद की यात्रा से ही पाप कटते हैं।
    3. आत्मा पवित्र हो जाती है तो फिर शरीर भी पवित्र मिलता है।
  6. जो शूद्र से ब्राह्मण बनते हैं वही फिर देवता बनते हैं।
    1. इसका जितना बड़ा मॉडल हो, अच्छा है क्योंकि लिखना भी पड़ता है - संगमयुगी पुरूषोत्तम बनने वाले ब्राह्मण।
    2. अभी तुमको बाप बैठ पढ़ाते हैं।
    3. ऊपर में शिवबाबा का भी चित्र है, जो तुमको पढ़ाते हैं।
    4. तुम यह बनते हो।
    5. यह ब्रह्मा भी तुम्हारे साथ है।
    6. वह भी सफेद पोशधारी स्टूडेन्ट है।
  7. मनुष्य तो राम-राज्य को भी नहीं मानते हैं, गायन भी है राम राजा, राम प्रजा।
    1. सतयुग में तो धर्म का राज्य है ही।
    2. बाकी त्रेता में क्षत्रियों की ग्लानि कर दी है।
    3. सूर्यवंशी की ग्लानि नहीं की है।
    4. तो यह भी लिखना पड़े।
    5. राम राजा, राम प्रजा.... धर्म का उपकार है।
    6. वह भी सेमी स्वर्ग है, क्योंकि 14 कला है ना।
    7. वहाँ ऐसी ग्लानि की बातें होती नहीं।
  8. उनको क्लीयर कर दो हम क्या बन रहे हैं।
    1. हम ही अपने लिए स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं।
    2. विश्व में शान्ति का एक स्वराज्य जो सब मांगते हैं, वह हम स्थापन कर रहे हैं।
    3. बाबा प्रदर्शनी आदि देखते हैं तो ख्यालात चलते रहते हैं।
    4. तुम बच्चे घर जायेंगे तो फिर यह सब बातें भूल जायेंगे।
    5. परन्तु यह सब बुद्धि में याद रहना चाहिए।
    6. ऐसे नहीं, प्रदर्शनी से बाहर निकले और खेल खलास।
  9. अच्छे-अच्छे बच्चे जो पुरूषार्थी हैं, उनकी बुद्धि में टपकना चाहिए।
    1. बाबा को टपकता रहता है ना।
    2. बुद्धि में सारा ज्ञान रहेगा तो बाबा की याद भी रहेगी।
    3. उन्नति को पाते रहेंगे।
    4. अगर सतोप्रधान नहीं बनेंगे तो फिर सतयुग में नहीं जायेंगे इसलिए अपने को याद की यात्रा में पक्का रखना है।
  10. तुम राजयोगी हो।
    1. तुमको बड़ी जटायें हैं।
    2. महिमा सारी तुम माताओं की है।
    3. जटायें भी नैचुरल हैं।
    4. राजयोगी और योगिन यह सच्चा-सच्चा तपस्या का रूप दिखाते हैं।
    5. यह सब समझने की बातें हैं।
    6. बाप कहते हैं देह के सब धर्म छोड़ अपने को आत्मा निश्चय करो।
    7. बाकी सब देह के सम्बन्ध आदि भूल जाओ।
    8. एक बाप को याद करो।
    9. वह तुमको बहुत मालदार बनाते हैं।
  11. जीते जी मर जाओ।
    1. बाप आकर जीते जी मरना सिखलाते हैं।
    2. बाप कहते हैं मैं कालों का काल हूँ, तुमको ऐसा मरना सिखलाता हूँ जो कभी तुम्हारे दर पर काल न आ सके।
    3. वहाँ तो रावण राज्य ही नहीं।
    4. सतयुग में कभी काल खाता नहीं, उनको अमरपुरी कहा जाता है।
    5. बाबा तुमको अमरपुरी का मालिक बनाते हैं।
    6. यह है मृत्युलोक।
    7. वह है अमरपुरी।
  12. यह है राजयोग।
    1. तुम लिख दो प्राचीन भारत का राजयोग फिर से सिखाया जाता है।
    2. जो प्रदर्शनी आदि देखते हैं उन्हों को ख्याल करना चाहिए इसमें और क्या करें, जिससे मनुष्य एक्यूरेट समझें।
    3. इनमें प्रैक्टिकल बहुत अच्छी समझानी है।
    4. यथा राजा रानी तथा प्रजा तो इसमें आ ही जाते हैं।
    5. बाप कितना क्लीयर कर समझाते हैं, अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
      1. मूल जोर रखना चाहिए इस पर।
      2. विश्व में पवित्रता, सुख, शान्ति कैसे स्थापन हो रही है, आकर समझो।
    6. तुम अपने लिए ही करते हो।
    7. जितनी मेहनत करते हो उतना पद मिलता है।
    8. वह भी नम्बरवार।
    9. यह भी दिखाओ नम्बरवार कैसे-कैसे बनते हैं।
      1. प्रजा भी दिखाओ, तो साहूकार प्रजा, सेकण्ड ग्रेड, थर्ड ग्रेड प्रजा भी दिखाओ।
      2. ऐसा एक्यूरेट बनाओ जो अच्छी रीति समझा सको।
      3. मेहनत तो करनी ही है।
      4. समय बाकी थोड़ा है।
      5. ज्ञान है ही तुम्हारे लिए।
      6. तुम प्रदर्शनी में ऐसा समझाओ जो मनुष्य समझें हमको एक बाप को ही याद करना है तब ही हम यह बन सकेंगे।
      7. नहीं तो फिर भक्ति मार्ग में आ जायेंगे।
  13. तुम महारथी बच्चे हो तो तुम्हारी बुद्धि चलती है।
    1. मेल्स भी अच्छे-अच्छे हैं।
    2. नम्बरवन तो है जगदीश, जो मैगजीन बनाते हैं।
    3. बृजमोहन को भी लिखने का अच्छा शौक है।
    4. शायद तीसरा भी कोई निकल आये।
  14. हर एक बात तुम क्लीयर करते जायेंगे दिन-प्रतिदिन।
    1. बाप ज्ञान का सागर है, उस परम आत्मा में ज्ञान तो भरा हुआ है ना।
    2. जैसे गीत सुनते हो।
      1. सारा रिकॉर्ड भरा हुआ है।
      2. यह भी ऐसे है।
      3. बाप के पास जो माल है वह मिलता रहेगा - ड्रामा अनुसार।
      4. यह बच्चों की बुद्धि में चलना चाहिए।
  15. भल कुछ काम काज करो, हाथ से भोजन बनाओ, बुद्धि शिवबाबा के पास हो।
    1. ब्रह्मा भोजन भी पवित्र चाहिए।
    2. ब्रह्मा भोजन सो ब्राह्मणों का भोजन।
    3. ब्राह्मण जितना योग में रह बनाते हैं, उतनी उस भोजन में ताकत आती है।
    4. गायन है कि देवतायें भी ब्रह्मा भोजन की बहुत महिमा करते हैं, जिससे हृदय शुद्ध होता है तो ब्राह्मण भी ऐसे होने चाहिए।
      1. अभी नहीं हैं।
      2. अभी अगर ऐसे बन जाएं तो तुम्हारी बहुत वृद्धि हो जाए।
      3. परन्तु ड्रामा अनुसार धीरे-धीरे वृद्धि को पाना है।
    5. ऐसा भी ब्राह्मण निकलेगा जो कहेगा हम बाबा की याद में रह भोजन बनाते हैं।
      1. बाबा चैलेन्ज देते हैं ना।
      2. ऐसा ब्राह्मण हो जो योग में रह भोजन बनाये।
      3. भोजन पवित्र होना चाहिए।
      4. भोजन पर बहुत मदार है।
      5. बाहर में बच्चों को नहीं मिलता है इसलिए यहाँ आते हैं।
      6. बच्चे तो भोजन से भी रिफ्रेश होते हैं।
      7. योग वाले फिर ज्ञानी भी होते हैं इसलिए उन्हों को सर्विस पर भी भेज देते हैं।
      8. बहुत हो जायेंगे तो फिर यहाँ भी ऐसे ब्राह्मणों को रख देंगे।
      9. नहीं तो महारथियों में से भोजन पर भी होने चाहिए, जो योगयुक्त खाना बनें।
      10. देवतायें भी समझते हैं हम भी ब्रह्मा भोजन खाकर देवता बने हैं।
      11. तो रुचि से तुम्हारे साथ मिलने के लिए आते हैं।
      12. कैसे तुमसे मिलते हैं, यह भी ड्रामा में युक्ति है।
      13. सूक्ष्मवतन में वह और यह मिलते हैं।
      14. यह भी वन्डरफुल साक्षात्कार है।
      15. वन्डरफुल नॉलेज है ना।
  16. तो साक्षात्कार भी वन्डरफुल है - अर्थ सहित।
    1. भक्ति मार्ग में साक्षात्कार तो बहुत मेहनत से होते हैं।
    2. नौधा भक्ति करते हैं, सिर्फ दीदार के लिए।
    3. समझते हैं दीदार होगा तो हम मुक्त हो जायेंगे।
  17. उनको यह थोड़ेही पता है कि यह इस पढ़ाई से ऐसे बने हैं।
    1. यह सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी इस पढ़ाई से बने हैं।
    2. बाकी जो इतने अनेक चित्र बनाये हैं, ऐसे तो कुछ भी है नहीं, यह सब भक्ति मार्ग का विस्तार है।
    3. बड़ी भारी कारोबार है।
    4. अब ज्ञान और भक्ति का राज़ तुम समझ सकते हो।
    5. यह बाप ही बैठ समझाते हैं, वह है स्प्रीचुअल फादर।
    6. वही ज्ञान का सागर है।
  18. कल्प-कल्प पुरानी दुनिया को नई दुनिया बनाना, राजयोग सिखाना बाप का ही काम है।
    1. परन्तु सिर्फ गीता में नाम बदली कर दिया है।
    2. बाप समझाते हैं यह भी कल्प-कल्प का खेल है।
    3. हम घर से यहाँ आते हैं पार्ट बजाने।
  19. झाड़ की तरफ भी बुद्धि चलनी चाहिए - कैसे किसको समझाया जाए।
    1. हमको कहते हैं क्या हम स्वर्ग में नहीं आयेंगे।
    2. बोलो, तुम्हारा धर्म स्थापक तो स्वर्ग में आता ही नहीं।
    3. वह जब स्वर्ग में आये तब तुम भी आओ।
    4. हर एक धर्म का अपने-अपने समय पर पार्ट है।
    5. यह वैरायटी धर्मों का नाटक बना हुआ है।
    6. बना-बनाया खेल है।
    7. इसमें कुछ भी कहने की दरकार ही नहीं रहती है।
    8. मुख्य धर्म दिखाये गये हैं।
    9. यह तो बच्चे जानते हैं।
  20. यह चित्र आदि भी कोई नये नहीं हैं।
    1. कल्प-कल्प ऐसे हूबहू चलते आयेंगे।
    2. विघ्न भी अनेक प्रकार के पड़ते हैं।
    3. मारपीट आदि के भी विघ्न पड़ते हैं ना।
  21. बच्चों को कितना युक्ति से समझाया जाता है।
    1. बोलो, भगवानुवाच है ना - काम महाशत्रु है।
    2. अभी तो यह कलियुगी दुनिया विनाश होनी है।
    3. देवता धर्म स्थापन हो रहा है इसलिए बाप कहते हैं - बच्चे तुम पवित्र बनो।
    4. काम को जीतो।
    5. इस पर ही झगड़ा होता है।
    6. तुम बड़ों-बड़ों को समझाते हो।
    7. गवर्नर का नाम सुन सब चले आयेंगे इसलिए युक्ति रची जाती है।
      1. हो सकता है उनमें से कोई अच्छी रीति समझ जाए।
      2. बड़ों का नाम सुन ढेर आ जायेंगे।
      3. हो सकता है कोई बड़ा भी आ जाए।
      4. है तो बहुत मुश्किल।
      5. बाबा कितना लिखते हैं - बच्चे जिससे उद्घाटन कराओ उनको पहले समझाओ जरूर कि ऐसे मनुष्य से देवता बन सकते हो।
      6. विश्व में शान्ति हो सकती है।
  22. स्वर्ग में ही विश्व में शान्ति और सुख था।
    1. ऐसे-ऐसे भाषण करो और अखबार में पड़े तो फिर तुम्हारे पास इतने ढेर आने लग जायेंगे जो तुमको नींद भी करने नहीं देंगे।
    2. नींद फिटानी पड़े।
  23. सर्विस से, योग से बल भी आता है क्योंकि तुम्हारी कमाई होती है।
    1. कमाई करने वाले को कभी उबासी नहीं आती है।
    2. झुटका नहीं आयेगा।
    3. कमाई से पेट भर गया फिर नींद नहीं आती।
    4. जैसे रेग्युलर हो जाते हैं।
    5. तुम भी बहुत भारी कमाई करते हो।
    6. उबासी देवाला निकालने वाले खाते हैं।
    7. जो अच्छी रीति समझते हैं, याद में रहते हैं उनको उबासी नहीं आयेगी।
      1. अगर मित्र-सम्बन्धी आदि याद आते हैं तो उबासी आती रहेगी।
      2. यह निशानियां हैं।
      3. स्वर्ग में तुमको उबासी आदि कभी आयेगी ही नहीं।
  24. बाप का वर्सा पा लिया तो वहाँ सोना, उठना, बैठना कायदेसिर चलता है।
    1. एक्यूरेट, आत्मा लीवर बन जाती है।
    2. अभी सलेन्डर बनी है, उनको लीवर बनाना है।
    3. (लीवर, सलेन्डर यह घड़ियों के नाम हैं) ऐसा कोई बना सकते हैं, कोई नहीं बना सकते हैं। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) बन्धनमुक्त बनने वा अपनी उन्नति करने के लिए बुद्धि ज्ञान से सदा भरपूर रखनी है। मास्टर ज्ञान सागर बन, स्वदर्शन चक्रधारी होकर याद में बैठना है।

2) नींद को जीतने वाला बन याद और सेवा का बल जमा करना है। कमाई में कभी सुस्ती नहीं करनी है। झुटका नहीं खाना है।

( All Blessings of 2021-22)

विश्व में ईश्वरीय परिवार के स्नेह का बीज बोने वाले विश्व सेवाधारी भव

आप विश्व सेवाधारी बच्चे विश्व में ईश्वरीय परिवार के स्नेह का बीज बो रहे हो। चाहे कोई नास्तिक हो या आस्तिक.....सबको अलौकिक वा ईश्वरीय स्नेह की, नि:स्वार्थ स्नेह की अनुभूति कराना ही बीज बोना है। यह बीज सहयोगी बनने का वृक्ष स्वत: ही पैदा करता है और समय पर सहजयोगी बनने का फल दिखाई देता है। सिर्फ कोई फल जल्दी निकलता है और कोई फल समय पर निकलता है।

    (All Slogans of 2021-22)

    भाग्यविधाता बाप को जानना, पहचानना और उनके डायरेक्ट बच्चे बन जाना यह सबसे बड़ा भाग्य है।

How many countries watching the Channel of BK Naresh Bhai?

Click to Know Brahma Kumaris Centre Near You

BK Naresh Bhai's present residence cum workplace