प्रश्नः-
किस एक बात पर पूरा ध्यान हो तो बुद्धि के कपाट खुल जायेंगे?
उत्तर:-
पढ़ाई पर। भगवान् पढ़ाते हैं इसलिये कभी भी पढ़ाई मिस नहीं होनी चाहिए। जहाँ तक जीना है, वहाँ तक अमृत पीना है। पढ़ाई में अटेन्शन देना है, अबसेन्ट नहीं होना है। यहाँ-वहाँ से भी ढूँढकर मुरली जरूर पढ़नी है। मुरली में रोज़ नई-नई प्वाइंट्स निकलती रहती हैं, जिससे तुम्हारे कपाट ही खुल जायेंगे।
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- ओम् शान्ति।
- शिव भगवानुवाच सालिग्रामों प्रति।
- यह तो सारे कल्प में एक ही बार होता है, यह भी तुम जानते हो और कोई भी जान न सके।
- मनुष्य इस रचयिता और रचना के आदि, मध्य, अन्त को बिल्कुल ही नहीं जानते।
- तुम बच्चे जानते हो कि स्थापना में विघ्न तो पड़ने ही हैं, इसको कहा जाता है ज्ञान यज्ञ।
- बाप समझाते हैं इस पुरानी दुनिया में तुम जो कुछ देखते हो वह सब स्वाहा हो जाना है।
- फिर उसमें ममत्व नहीं रखना चाहिए।
- बाप आकर पढ़ाते हैं नई दुनिया के लिए।
- यह है पुरूषोत्तम संगमयुग।
- यह है विशश और वाइसलेस का संगम, जबकि चेंज होनी है।
- नई दुनिया को कहा जाता है वाइसलेस वर्ल्ड।
- आदि सनातन देवी-देवता धर्म ही था।
- यह तो बच्चे जानते हैं प्वाइंट्स समझने की हैं।
- बाप रात-दिन कहते रहते हैं - बच्चे, तुमको गुह्य ते गुह्य बातें सुनाता हूँ।
- जहाँ तक बाप है पढ़ाई चलनी ही है।
- फिर पढ़ाई भी बन्द हो जायेगी।
- इन बातों को तुम्हारे सिवाए कोई भी नहीं जानते।
- तुम्हारे में भी नम्बरवार हैं जो फिर बापदादा ही जानते हैं।
- कितने गिरते हैं, कितनी तकल़ीफ होती है।
- ऐसे नहीं सदैव सभी पवित्र रह सकते हैं।
- पवित्र नहीं रहते तो फिर सजायें खानी पड़ती हैं।
- माला के दाने ही पास विद् ऑनर्स होते हैं।
- फिर प्रजा भी बनती है।
- यह बहुत समझने की बातें है।
- तुम कोई को भी समझाओ तो वह समझ थोड़ेही सकते हैं।
- टाइम लगता है।
- सो भी जितना बाप समझा सकते हैं, उतना तुम नहीं।
- रिपोर्टस आदि जो आती हैं, उनको बाप ही जानते हैं - फलाना विकार में गिरा, यह हुआ.......।
- नाम तो नहीं बता सकते।
- नाम बतायें तो फिर उनसे कोई बात करना भी पसन्द नहीं करेंगे।
- सब ऩफरत की दृष्टि से देखेंगे, दिल से उतर जायेंगे।
- सारी की कमाई चट हो जाती है।
- यह तो जिसने धक्का खाया वह जाने या बाप जाने।
- यह बड़ी गुप्त बातें हैं।
- तुम कहते हो फलाना मिला, उनको बहुत अच्छा समझाया, वह सेवा में मदद कर सकते हैं।
- परन्तु वह भी जब सम्मुख हो ना।
- समझो गवर्नर को तुम अच्छी तरह समझाते हो परन्तु वह थोड़ेही किसको समझा सकेंगे।
- कोई को समझायेंगे तो मानेंगे नहीं।
- जिसको समझने का होगा वही समझेगा।
- दूसरे को थोड़ेही समझा सकेंगे।
- तुम बच्चे समझाते हो कि यह तो कांटों का जंगल है, इसको हम मंगल बनाते हैं।
- मंगलम् भगवान् विष्णु कहते हैं ना।
- यह श्लोक आदि सब भक्ति मार्ग के हैं।
- मंगल तब होता है जब विष्णु का राज्य होता है।
- विष्णु अवतरण भी दिखाते हैं।
- बाबा ने सब कुछ देखा हुआ है।
- अनुभवी है ना।
- सभी धर्म वालों को अच्छी तरह जानते हैं।
- बाप जिस तन में आयेंगे तो उसकी पर्सनैलिटी भी चाहिये ना।
- तब कहते हैं बहुत जन्मों के अन्त में, जबकि यहाँ का बड़ा अनुभवी होता है, तब मैं इनमें प्रवेश करता हूँ।
- वह भी साधारण, पर्सनैलिटी का यह मतलब नहीं कि राजा रजवाड़ा हो।
- नहीं, इनको तो बहुत अनुभव है।
- इनके रथ में आता हूँ बहुत जन्मों के अन्त में।
- तुमको समझाना पड़े यह राजधानी स्थापन होती है।
- माला बनती है।
- यह राजधानी कैसे स्थापन हो रही है, कोई राजा-रानी, कोई क्या बनते हैं।
- यह सब बातें एक ही दिन में तो कोई समझ नहीं सकता।
- बेहद का बाप ही बेहद का वर्सा देते हैं।
- भगवान् आकर समझाते हैं सो भी मुश्किल थोड़े पवित्र बनते हैं।
- यह भी समझने में टाइम चाहिए।
- कितनी सजायें खाते हैं।
- सजायें खाकर भी प्रजा बनते हैं।
- बाप समझाते हैं - बच्चे, तुम्हें बहुत-बहुत मीठा भी बनना है।
- कोई को दु:ख नहीं देना है।
- बाप आते ही हैं सबको सुख का रास्ता बताने, दु:ख से छुड़ाने।
- तो फिर खुद किसको कैसे दु:ख देंगे।
- यह सब बातें तुम बच्चे ही जानते हो।
- बाहर वाले बड़ा मुश्किल समझते हैं।
- जो भी सम्बन्धी आदि हैं, उन सबसे ममत्व तोड़ देना है।
- घर में रहना है परन्तु निमित्त मात्र।
- यह तो बुद्धि में है कि यह सारी दुनिया खत्म हो जानी है।
- परन्तु यह ख्यालात भी किसको रहता नहीं।
- जो अनन्य बच्चे हैं वह समझते हैं, वह भी अभी सीखने का पुरूषार्थ करते रहते हैं।
- बहुत फेल भी हो पड़ते हैं।
- माया की चकरी बहुत चलती है।
- वह भी बड़ी बलवान है।
- परन्तु यह बातें और कोई को थोड़ेही समझा सकते।
- तुम्हारे पास आते हैं, समझना चाहते हैं - यहाँ क्या होता है, इतनी रिपोर्टस आदि क्यों आती है?
- अब इन लोगों की तो बदली होती रहती है तो फिर एक-एक को बैठ समझाना पड़े।
- फिर कहते यह तो बड़ी अच्छी संस्था है।
- राजधानी के स्थापना की बातें बड़ी गुह्य गोपनीय हैं।
- बेहद का बाप बच्चों को मिला है तो कितना हर्षित होना चाहिए।
- हम विश्व के मालिक देवता बनते हैं तो हमारे में दैवी गुण भी जरूर चाहिए।
- एम ऑब्जेक्ट तो सामने खड़ी है।
- यह है नई दुनिया के मालिक।
- यह तुम ही समझते हो।
- हम पढ़ते हैं, बेहद का बाप जो नॉलेजफुल है वह हमको पढ़ाते हैं, अमरपुरी अथवा हेविन में ले जाने के लिए हमको यह नॉलेज मिलती है।
- आयेंगे वही, जिन्होंने कल्प-कल्प राज्य लिया है।
- कल्प पहले मुआफिक हम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
- यह माला बन रही है, नम्बरवार।
- जैसे स्कूल में भी जो अच्छा पढ़ते हैं उनको स्कॉलरशिप मिलती है ना।
- वह हैं हद की बातें, तुमको मिलती हैं बेहद की बातें।
- जो तुम बाप के मददगार बनते हो, वही ऊंच पद पाते हो।
- वास्तव में तो मदद अपने को ही करनी है।
- पवित्र बनना है, सतोप्रधान थे फिर से बनना है जरूर।
- बाप को याद करना है।
- उठते, बैठते, चलते बाप को याद कर सकते हो।
- जो बाप हमको विश्व का मालिक बनाते हैं, उनको बहुत रूचि से याद करना है।
- परन्तु माया छोड़ती नहीं है।
- अनेक प्रकार की किस्म-किस्म की रिपोर्टस लिखते हैं - बाबा, हमको माया के विकल्प बहुत आते हैं।
- बाप कहते हैं युद्ध का मैदान है ना।
- 5 विकारों पर जीत पानी है।
- बाप को याद करने से तुम भी समझते हो हम सतोप्रधान बनते हैं।
- बाप आकर समझाते हैं, भक्ति मार्ग वाले कोई भी जानते नहीं।
- यह तो पढ़ाई है।
- बाप कहते हैं तुम पावन कैसे बनेंगे!
- तुम पावन थे, फिर बनना है।
- देवता पावन हैं ना।
- बच्चे जानते हैं हम स्टूडेन्ट पढ़ रहे हैं।
- भविष्य में फिर सूर्यवंशी राज्य में आयेंगे।
- उसके लिए पुरूषार्थ भी अच्छी रीति करना है।
- सारा मार्क्स के ऊपर मदार है।
- युद्ध के मैदान में फेल होने से चन्द्रवंशी में चले जाते हैं।
- उन्होंने फिर युद्ध का नाम सुन तीर-कमान आदि दे दिये हैं।
- क्या वहाँ बाहुबल की लड़ाई थी, जो तीर-कमान आदि चलाये!
- ऐसी कोई बात है नहीं।
- आगे बाणों की लड़ाई चलती थी।
- इस समय तक भी निशानियाँ हैं।
- कोई-कोई चलाने में बड़े होशियार होते हैं।
- अब इस ज्ञान में लड़ाई आदि की कोई बात नहीं है।
- तुम जानते हो शिवबाबा ही ज्ञान का सागर है, जिनसे हम यह पद पाते हैं।
- अब बाप कहते हैं देह सहित देह के सभी सम्बन्धों से ममत्व तोड़ना है।
- यह सब पुराना है।
- नई दुनिया गोल्डन एजड भारत था।
- कितना नाम मशहूर था।
- प्राचीन योग कब और किसने सिखाया?
- यह किसको पता नहीं।
- जब तक खुद न आकर समझायें।
- यह है नई चीज़।
- कल्प-कल्प जो होता आया है, वही फिर रिपीट होगा।
- उसमें फर्क नहीं पड़ सकता है।
- बाप कहते हैं अब यह अन्तिम जन्म पवित्र रहने से फिर 21 जन्म तुमको कभी अपवित्र नहीं होना है।
- बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं फिर भी सब एकरस थोड़ेही पढ़ते हैं।
- रात-दिन का फ़र्क है।
- आते हैं पढ़ने लिए फिर थोड़ा पढ़कर गुम हो जाते हैं।
- जो अच्छी रीति समझते हैं वह अपना अनुभव भी सुनाते हैं - कैसे हम आये, फिर कैसे हमने पवित्रता की प्रतिज्ञा की।
- बाप कहते हैं पवित्रता की प्रतिज्ञा कर फिर एक बार भी पतित बना तो की कमाई चट हो जायेगी।
- फिर वह अन्दर में खाता रहेगा।
- किसको भी कह नहीं सकेंगे कि बाप को याद करो।
- मूल बात तो विकार के लिए ही पूछते हैं।
- तुम बच्चों को यह पढ़ाई रेग्युलर पढ़नी है।
- बाप कहते हैं हम तुमको नई-नई बातें सुनाता हूँ।
- तुम हो स्टूडेन्ट, तुमको भगवान् पढ़ाते हैं!
- भगवान् के तुम स्टूडेन्ट हो।
- ऐसी ऊंच ते ऊंच पढ़ाई को तो एक दिन भी मिस नहीं करना चाहिए।
- एक दिन भी मुरली न सुनी तो फिर अबसेन्ट पड़ जाती है।
- अच्छे-अच्छे महारथी भी मुरली मिस कर देते हैं।
- वह समझते हैं हम तो सब कुछ जानते हैं, मुरली नहीं पढ़ी तो क्या हुआ!
- अरे, अबसेन्ट पड़ जायेगी, नापास हो जायेंगे।
- बाप खुद कहते हैं रोज़ ऐसी अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स सुनाता हूँ जो समय पर समझाने में बहुत काम आयेंगी।
- नहीं सुनेंगे तो फिर कैसे काम में लायेंगे।
- जब तक जीना है अमृत पीना है, शिक्षा को धारण करना है।
- अबसेन्ट तो कभी भी नहीं होना चाहिए।
- यहाँ-वहाँ से ढूँढकर, कोई से लेकर भी मुरली पढ़नी चाहिए।
- अपना घमण्ड नहीं होना चाहिए।
- अरे, भगवान् बाप पढ़ाते हैं, उसमें तो एक दिन भी मिस नहीं होना चाहिए।
- ऐसी-ऐसी प्वाइंट्स निकलती हैं जो तुम्हारा वा किसी का भी कपाट खुल सकता है।
- आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है, कैसे पार्ट चलता है, इसे समझने में टाइम चाहिए।
- पिछाड़ी में सिर्फ यही याद रहेगा कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
- परन्तु अभी समझाना पड़ता है।
- पिछाड़ी की यही अवस्था है, बाप को याद करते-करते चले जाना है।
- याद से ही तुम पवित्र बनते हो।
- कितना बने हो सो तो तुम समझ सकते हो।
- इमप्योर को बल जरूर कम मिलेगा।
- मुख्य 8 रत्न ही हैं जो पास विद् ऑनर हो जाते हैं।
- वह कुछ भी सजा नहीं खाते हैं।
- यह बड़ी महीन बातें हैं।
- कितनी ऊंची पढ़ाई है।
- स्वप्न में भी नहीं होगा कि हम देवता बन सकते हैं।
- बाप को याद करने से ही तुम पद्मापद्म भाग्यशाली बनते हो।
- इसके सामने तो वह धन्धा आदि कुछ भी काम का नहीं है।
- कोई भी चीज़ काम आने वाली नहीं है।
- फिर भी करना तो पड़ता ही है।
- यह कभी भी ख्याल नहीं आना चाहिए कि हम शिवबाबा को देते हैं।
- अरे, तुम तो पद्मापद्मपति बनते हो।
- देने का ख्याल आया तो ताकत कम हो जाती है।
- मनुष्य ईश्वर अर्थ दान-पुण्य करते हैं, लेने के लिए।
- वह देना थोड़ेही हुआ।
- भगवान् तो दाता है ना।
- दूसरे जन्म में कितना देते हैं।
- यह भी ड्रामा में नूँध है।
- भक्ति मार्ग में है अल्पकाल का सुख, तुम बेहद के बाप से बेहद सुख का वर्सा पाते हो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
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धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जब तक जीना है, अमृत पीना है, शिक्षाओं को धारण करना है। भगवान् पढ़ाते हैं, इसलिए एक दिन भी मुरली मिस नहीं करनी है।
2) पद्मों की कमाई जमा करने के लिए निमित्त मात्र घर में रहते, काम-काज करते एक बाप की याद में रहना है।

( All Blessings of 2021-22)
प्रसन्नता की रूहानी पर्सनैलिटी द्वारा सर्व को अधिकारी बनाने वाले गायन और पूजन योग्य भव
जो सर्व की सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट लेते हैं वह सदा प्रसन्न रहते हैं, और इसी प्रसन्नता की रूहानी पर्सनैलिटी के कारण नामीग्रामी अर्थात् गायन और पूजन योग्य बन जाते हैं। आप शुभचिंतक, प्रसन्नचित रहने वाली आत्माओं द्वारा जो सर्व को खुशी की, सहारे की, हिम्मत के पंखों की, उमंग-उत्साह की प्राप्ति होती है - यह प्राप्ति किसको अधिकारी बना देती है, कोई भक्त बन जाते हैं।

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