28-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें एक बाप से ही सुनना है और सुन करके दूसरों को सुनाना है'' प्रश्नः- बाप ने तुम बच्चों को कौन-सी समझ दी है, जो दूसरों को सुनानी है? उत्तर:- बाबा ने तुम्हें समझ दी कि तुम आत्मायें सब भाई-भाई हो। तुम्हें एक बाप की याद में रहना है। यही बात तुम सभी को सुनाओ क्योंकि तुम्हें सारे विश्व के भाईयों का कल्याण करना है। तुम ही इस सेवा के निमित्त हो। |
आज की मुरली शुरू करने से पहले हम मुरली के हाईलाइटस देख लेते हैं कि बाबा ने मुरली में क्या करने के लिए कहा है और क्या नहीं करने के लिए कहा है। आज की मुरली के अनुसार क्या करना है और क्या नहीं करना है? नम्बर एक: एक बाप को याद करना: हमें अपने आपको आत्मा समझते हुए सिर्फ एक शिवबाबा को याद करना है क्योंकि वही पतित-पावन और सद्गति दाता है। नम्बर दो: ज्ञान को धारण करना और सुनाना: बाबा से जो ज्ञान मिला है, उसे अपनी बुद्धि में रखना है और दूसरों को सुनाना है। सेवा के निमित्त बनकर विश्व कल्याण करना है। नम्बर तीन: दैवीगुणों को धारण करना: श्रीकृष्ण और देवी-देवताओं के गुणों को अपनाकर अपने जीवन को पवित्र और श्रेष्ठ बनाना है। नम्बर चार: पुरानी दुनिया से वैराग्य: इस पुरानी दुनिया से दिल नहीं लगानी है। यहाँ के भौतिक आकर्षणों से दूर रहकर नई दुनिया (सुखधाम) की तैयारी करनी है। नम्बर पाँच: हिसाब-किताब चुक्तू करना: अपने पुराने कर्मों का हिसाब-किताब यहाँ ही चुक्तू करना है और आने वाले आधाकल्प के लिए सुख जमा करना है। नम्बर सिक्स: आत्मा का परिचय समझना और देना: हमें यह समझना है कि हम आत्मा हैं, परमात्मा की संतान हैं। यह ज्ञान और भावना सभी को देना है। नम्बर सात: सर्व आत्माओं के प्रति बेहद की दृष्टि रखना: अपनी दृष्टि और वृत्ति को बेहद (असीम) का बनाना है, जिससे हम सभी के लिए कल्याणकारी और प्रिय बन सकें। क्या नहीं करना है: नम्बर एक: माया के प्रभाव में नहीं आना: माया से खबरदार रहना है। विकारों (काम, क्रोध, लोभ आदि) में गिरने से बचना है, क्योंकि माया हमें भटकाने की कोशिश करेगी। नम्बर दो: देह और देह के संबंधों में फंसना: हमें देहाभिमान और देह के रिश्तों से न्यारा (अलग) रहना है। सिर्फ आत्मा और परमात्मा के संबंध को समझना और निभाना है। नम्बर तीन: पुरानी दुनिया से मोह नहीं करना: इस पुरानी, पतित दुनिया से मोह करना या इसे अपना मानना गलत है। बुद्धि को सिर्फ शिवबाबा और नई दुनिया में लगाना है। नम्बर चार: शास्त्रों की कथाओं में उलझना: शास्त्रों की काल्पनिक बातों को छोड़कर सिर्फ बाप से मिले सच्चे ज्ञान पर ध्यान देना है। नम्बर पाँच: भक्ति मार्ग की बेसमझाई से दूर रहना: भक्ति मार्ग की गलत प्रथाओं, जैसे मूर्तिपूजा, बाहरी कर्मकांड, और शराब जैसी गंदी आदतों से बचना है। नम्बर सिक्स: दूसरों से सुनने में सावधानी रखना: बाप के अलावा किसी और की बातों में नहीं आना है। जो ज्ञान बाप से मिला है, उसे ही धारण और प्रचार करना है। मूल सार: करना है: आत्मा को याद करना। दैवीगुण धारण करना। सेवा द्वारा विश्व कल्याण करना। माया से युद्ध कर विजय प्राप्त करना। मूल सार: नहीं करना है: विकारों में गिरना नहीं । पुरानी दुनिया और भौतिक सुखों से मोह रखना नहीं । भक्ति मार्ग की बेसमझाई अपनाना नहीं । स्लोगन: “जब आपकी सूरत से बाप की सीरत दिखाई देगी, तब समाप्ति होगी।” इसका अर्थ है, अपने जीवन में बाप समान गुण और कार्य लाकर दुनिया को प्रेरणा देनी है। ओमशान्ति अब विधिवत पूरी मुरली सुनते हैं। |
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धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) यहाँ ही सब हिसाब-किताब चुक्तू कर आधाकल्प के लिए सुख जमा करना है। इस पुरानी दुनिया से अब दिल नहीं लगानी है। इन आंखों से जो कुछ दिखाई देता है, उसे भूल जाना है। 2) माया बड़ी जबरदस्त है, उससे खबरदार रहना है। पढ़ाई में गैलप कर आगे जाना है। एक बाप से ही सुनना और उनसे ही सुना हुआ दूसरों को सुनाना है। बेहद की दृष्टि, वृत्ति और स्थिति द्वारा सर्व के प्रिय बनने वाले डबल लाइट फरिश्ता भव फरिश्ते सभी को बहुत प्यारे लगते हैं क्योंकि फरिश्ता सर्व का होता है, एक दो का नहीं। बेहद की दृष्टि, वृत्ति और बेहद की स्थिति वाला फरिश्ता सर्व आत्माओं के प्रति परमात्म सन्देश वाहक है। फरिश्ता अर्थात् डबल लाइट, सर्व का रिश्ता एक बाप से जुटाने वाला, देह और देह के संबंध से न्यारा, स्वयं को और सर्व को अपने चलन और चेहरे द्वारा बाप समान बनाने वाला, सर्व के प्रति कल्याणकारी। ऐसे फरिश्ते ही सबके प्यारे हैं। जब आपकी सूरत से बाप की सीरत दिखाई देगी तब समाप्ति होगी। |