29-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यदि शिवबाबा का कदर है तो उनकी श्रीमत पर चलते रहो, श्रीमत पर चलना माना बाप का कदर करना'' प्रश्नः- बच्चे बाप से भी बड़े जादूगर हैं - कैसे? उत्तर:- ऊंचे से ऊंचे बाप को अपना बच्चा बना देना, तन-मन-धन से बाप को वारिस बनाकर वारी जाना - यह बच्चों की जादूगरी है। जो अभी भगवान को वारिस बनाते हैं वह 21 जन्मों के लिए वर्से के अधिकारी बन जाते हैं। प्रश्नः- ट्रिब्युनल किन बच्चों के लिए बैठती है? उत्तर:- जो दान की हुई चीज़ को वापस लेने का संकल्प करते, माया के वश हो डिससर्विस करते हैं उन्हों के लिए ट्रिब्युनल बैठती है। |
आज की मुरली शुरू करने से पहले हम मुरली के हाईलाइटस देख लेते हैं कि बाबा ने मुरली में क्या करने के लिए कहा है और क्या नहीं करने के लिए कहा है। ओमशान्ति। क्या करना है: एक. शिवबाबा की श्रीमत पर चलना - श्रीमत पर चलना मतलब बाप का कदर करना। दो. बाप को याद करना - याद की यात्रा से पाप भस्म होते हैं। बाप को याद करने से ही आत्मा पवित्र बनेगी और विकार से छुटकारा मिलेगा। तीन. दान देकर खबरदार रहना - जो दान दिया है उसे वापस नहीं लेना। दान देने के बाद दृढ़ता बनाए रखना है। चार. सेवा लायक बनना - हमेशा बापदादा के काम में लगे रहना और सेवा के लिए तत्पर रहना। पांच. पवित्रता का पालन करना - पवित्र बनकर ही पवित्र दुनिया के मालिक बन सकते हैं, इसलिए पवित्रता का संकल्प दृढ़ करना है। छह. मालामाल बनना - अविनाशी ज्ञान रत्नों से बुद्धि रूपी झोली भरकर अपने आप को मालामाल बनाना है। सात. अपने स्वमान की स्मृति को याद रखना - अपने स्वमान की स्मृति से परमात्मा की डायरेक्ट लाइट का कनेक्शन आन करना है। क्या नहीं करना है: एक. माया के वश होकर डिससर्विस नहीं करनी है - सर्विस लायक बनकर फिर कभी माया के वश होकर बाप का साथ छोड़कर डिससर्विस नहीं करनी है। दो. दान दी हुई चीज़ वापस नहीं लेनी है - दान देने के बाद कभी भी दान की हुई चीज़ को वापस लेने का संकल्प नहीं करना चाहिए। तीन. अहंकार नहीं दिखाना - किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं दिखाना है, बाप को कदर करते हुए विनम्रता बनाए रखना है। चार. विकार में नहीं जाना - विकारों से खुद को दूर रखना है, गंदगी में नहीं जाना है और पवित्रता का पालन करना है। पांच. ट्रेटर नहीं बनना - बाप का बनकर फिर माया का बनना यानी ट्रेटर बनना, यह नहीं करना है। आज की मुरली में हमें मुख्यतः बाप की श्रीमत पर चलते हुए पवित्रता का संकल्प बनाए रखना, बाप को याद करने की यात्रा में रहना और सेवा लायक बनने की प्रेरणा दी गई है। माया से बचने के लिए बाप की याद और उनकी दी गई श्रीमत पर दृढ़ रहना ही मुख्य साधन है। ओमशान्ति अब विधिवत पूरी मुरली सुनते हैं।
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29-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यदि शिवबाबा का कदर है तो उनकी श्रीमत पर चलते रहो, श्रीमत पर चलना माना बाप का कदर करना'' प्रश्नः- बच्चे बाप से भी बड़े जादूगर हैं - कैसे? उत्तर:- ऊंचे से ऊंचे बाप को अपना बच्चा बना देना, तन-मन-धन से बाप को वारिस बनाकर वारी जाना - यह बच्चों की जादूगरी है। जो अभी भगवान को वारिस बनाते हैं वह 21 जन्मों के लिए वर्से के अधिकारी बन जाते हैं। प्रश्नः- ट्रिब्युनल किन बच्चों के लिए बैठती है? उत्तर:- जो दान की हुई चीज़ को वापस लेने का संकल्प करते, माया के वश हो डिससर्विस करते हैं उन्हों के लिए ट्रिब्युनल बैठती है। |
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धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अविनाशी ज्ञान रत्नों से बुद्धि रूपी झोली भरकर मालामाल बनना है। किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं दिखाना है। 2) सर्विस लायक बनकर फिर कभी ट्रेटर बन डिससर्विस नहीं करनी है। दान देने के बाद बहुत-बहुत खबरदार रहना है, दान दी हुई चीज़ वापस लेने का संकल्प भी न आये। डायरेक्ट परमात्म लाइट के कनेक्शन द्वारा अंधकार को भगाने वाले लाइट हाउस भव आप बच्चों के पास डायरेक्ट परमात्म लाइट का कनेक्शन है। सिर्फ स्वमान की स्मृति का स्विच डायरेक्ट लाइन से आन करो तो लाइट आ जायेगी और कितना भी गहरा सूर्य की रोशनी को भी छिपाने वाला काला बादल हो, वह भी भाग जायेगा। इससे स्वयं तो लाइट में रहेंगे ही लेकिन औरों के लिए भी लाइट हाउस बन जायेंगे। स्व पुरुषार्थ में तीव्र बनो तो आपके वायब्रेशन से दूसरों की माया सहज भाग जायेगी। |