जरा सोचिए सर्वशक्तिवान शिव बाबा हमें अपना वारिस बनाने आए हैं । अपने से पूछे क्या सच में मैं उनका वारिस बनना चाहता हूं ? अगर बनना चाहते हैं तो उनकी श्रीमत को दिल से फॉलो करें फिर देखिए क्या होता है कमाल...

 


“...अब रूह को ही देखना है।

जिस्म को बहुत देख-देखकर थक गए हो।

इसलिए अब रूह को ही देखना है।

जिस्म को देखने से क्या मिला? 

दुखी ही बने।

अब रूह-रूह को देखता है तो रहत मिलती है।...”

 

Ref:-

1970/ 25.01.1970
“यादगार कायम करने की विधि”

 

 

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