जरा सोचिए सर्वशक्तिवान शिव बाबा हमें अपना वारिस बनाने आए हैं । अपने से पूछे क्या सच में मैं उनका वारिस बनना चाहता हूं ? अगर बनना चाहते हैं तो उनकी श्रीमत को दिल से फॉलो करें फिर देखिए क्या होता है कमाल... “...अब रूह को ही देखना है। जिस्म को बहुत देख-देखकर थक गए हो। इसलिए अब रूह को ही देखना है। जिस्म को देखने से क्या मिला? दुखी ही बने। अब रूह-रूह को देखता है तो रहत मिलती है।...”
जरा सोचिए सर्वशक्तिवान शिव बाबा हमें अपना वारिस बनाने आए हैं । अपने से पूछे क्या सच में मैं उनका वारिस बनना चाहता हूं ? अगर बनना चाहते हैं तो उनकी श्रीमत को दिल से फॉलो करें फिर देखिए क्या होता है कमाल...
“...अब रूह को ही देखना है।
जिस्म को बहुत देख-देखकर थक गए हो। इसलिए अब रूह को ही देखना है। जिस्म को देखने से क्या मिला? दुखी ही बने। अब रूह-रूह को देखता है तो रहत मिलती है।...”
जिस्म को बहुत देख-देखकर थक गए हो।
इसलिए अब रूह को ही देखना है।
जिस्म को देखने से क्या मिला?
दुखी ही बने।
अब रूह-रूह को देखता है तो रहत मिलती है।...”
Ref:-
1970/ 25.01.1970 “यादगार कायम करने की विधि”
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