बच्चे सिर्फ याद की यात्रा में ही नहीं बैठे हैं।
बच्चों को यह फ़खुर है कि हम श्रीमत पर अपना परिस्तान स्थापन कर रहे हैं।
इतना उमंग, खुशी रहनी चाहिए।
किचड़पट्टी आदि की सब वाह्यात बातें निकल जानी चाहिए।
बेहद के बाप को देखते ही हुल्लास में आना चाहिए।
जितना-जितना तुम याद की यात्रा में रहेंगे उतना इप्रूवमेंट आती जायेगी।
बाप कहते हैं बच्चों के लिए रूहानी युनिवर्सिटी होनी चाहिए।
तुम्हारी है ही वर्ल्ड स्प्रीचुअल युनिवर्सिटी।
तो वह युनिवर्सिटी कहाँ है?
युनिवर्सिटी खास स्थापन की जाती है।
उसके साथ बड़ी रॉयल हॉस्टल चाहिए।
तुम्हारे कितने रॉयल ख्यालात होने चाहिए।
बाप को तो रात-दिन यही ख्यालात रहते हैं-कैसे बच्चों को पढ़ाकर ऊंच इम्तहान में पास करायें?
जिससे फिर यह विश्व के मालिक बनने वाले हैं।
असुल में तुम्हारी आत्मा शुद्ध सतोप्रधान थी तो शरीर भी कितना सतोप्रधान सुन्दर था।
राजाई भी कितनी ऊंच थी।
तुम्हारा हद के संसार की किचड़पट्टी की बातों में टाइम बहुत वेस्ट होता है।
तुम स्टूडेन्ट के अन्दर किचड़पट्टी के ख्यालात नहीं होने चाहिए।
कमेटियाँ आदि तो बहुत अच्छी-अच्छी बनाते हैं।
परन्तु योगबल है नहीं।
गपोड़ा बहुत मारते हैं-हम यह करेंगे, यह करेंगे।
माया भी कहती है हम इनको नाक-कान से पकड़ेंगे।
बाप के साथ लव ही नहीं है।
कहा जाता है ना - नर चाहत कुछ और..... तो माया भी कुछ करने नहीं देती है।
माया बहुत ठगने वाली है, कान ही काट लेती है।
बाप कितना बच्चों को ऊंच बनाते हैं, डायरेक्शन देते हैं - यह-यह करो।
बाबा बड़ी रॉयल-रॉयल बच्चियाँ भेज देते हैं।
कोई-कोई कहते हैं बाबा हम ट्रेनिंग लिए जावें?
तो बाबा कहते हैं बच्चे, पहले तुम अपनी कमियों को तो निकालो।
अपने को देखो हमारे में कितने अवगुण हैं?
अच्छे-अच्छे महारथियों को भी माया एकदम लून-पानी कर देती है।
ऐसे खारे बच्चे हैं जो बाप को कभी याद भी नहीं करते हैं।
ज्ञान का “ग'' भी नहीं जानते। बाहर का शो बहुत है।
इसमें तो बड़ा अन्तर्मुख रहना चाहिए, परन्तु कइयों की तो ऐसी चलन होती है जैसे अनपढ़ जट लोग होते हैं, थोड़े-से पैसे हैं तो उसका नशा चढ़ जाता है।
यह नहीं समझते कि अरे, हम तो कंगाल हैं।
माया समझने नहीं देती है।
माया बड़ी जबरदस्त है।
बाबा थोड़ी महिमा करते हैं तो उसमें बड़ा खुश हो जाते हैं।
बाबा को रात-दिन यही ख्यालात चलती हैं कि युनिवर्सिटी बड़ी फर्स्टक्लास होनी चाहिए, जहाँ बच्चे अच्छी रीति पढ़ें।
तुम जानते हो हम स्वर्ग में जाते हैं तो खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए ना।
यहाँ बाबा किस्म-किस्म का डोज़ देते हैं, नशा चढ़ाते हैं।
कोई देवाला निकाला हुआ हो, उनको शराब पिला दो तो समझेंगे हम बादशाह हैं।
फिर नशा पूरा होने से वैसे का वैसा बन जाते हैं।
अब यह तो है रूहानी नशा।
तुम जानते हो बेहद का बाप टीचर बन हमको पढ़ाते हैं और डायरेक्शन देते हैं-ऐसे-ऐसे करो।
कोई-कोई समय में किसको मिथ्या अहंकार भी आ जाता है।
माया है ना।
ऐसी-ऐसी बातें बनाते हैं जो बात मत पूछो। बाबा समझते हैं यह चल नहीं सकेंगे।
अन्दर की बड़ी सफाई चाहिए।
आत्मा बहुत अच्छी चाहिए।
तुम्हारी लव मैरेज हुई है ना।
लव मैरेज में कितना प्यार होता है, यह तो पतियों का पति है।
सो भी कितनों की लव मैरेज होती है।
एक की थोड़ेही होती है।
सब कहते हैं हमारी तो शिवबाबा के साथ सगाई हो गई।
हम तो स्वर्ग में जाकर बैठेंगे।
खुशी की बात है ना।
अन्दर में आना चाहिए ना बाबा हमको कितना श्रृंगार करते हैं।
शिवबाबा श्रृंगार करते हैं इन द्वारा।
तुम्हारी बुद्धि में है कि हम बाप को याद करते-करते सतोप्रधान बन जायेंगे।
इस नॉलेज को और कोई जानता ही नहीं।
इसमें बड़ा नशा रहता है।
अभी अजुन इतना नशा चढ़ता नहीं है।
होना है जरूर।
गायन भी है अतीन्द्रिय सुख गोप-गोपियों से पूछो।
अभी तुम्हारी आत्मायें कितनी छी-छी हैं।
जैसे बहुत छी-छी किचड़े में बैठी हैं।
उन्हों को बाप आकर चेंज करते हैं, रिज्युवनेट करते हैं।
मनुष्य ग्लान्स चेंज कराते हैं तो कितनी खुशी होती है।
तुमको तो अब बाप मिला तो बेड़ा ही पार है।
समझते हो हम बेहद के बाप के बने हैं तो अपने को कितना जल्दी सुधारना चाहिए।
रात-दिन यही खुशी, यही चिन्तन रहे-तुमको मार्शल देखो कौन मिला हुआ है!
रात-दिन इसी ख्यालात में रहना होता है।
जो-जो अच्छी रीति समझते हैं, पहचानते हैं, वह तो जैसे उड़ने लग पड़ते हैं।
तुम बच्चे अभी संगम पर हो।
बाकी वह सभी तो गंद में पड़े हैं।
जैसे किचड़े के किनारे झोपड़ियाँ लगाकर गंद में बैठे रहते हैं ना।
कितनी झुग्गियाँ बनी हुई रहती हैं।
यह फिर है बेहद की बात।
अभी उनसे निकलने की शिवबाबा तुमको बहुत सहज युक्ति बतलाते हैं।
मीठे-मीठे बच्चों तुम जानते हो ना इस समय तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों ही पतित हैं।
अभी तुम निकल आये हो।
जो-जो निकलकर आये हैं उनमें ज्ञान की पराकाष्ठा है ना।
तुमको बाप मिला तो फिर क्या!
यह नशा जब चढ़े तब तुम किसको समझा सको।
बाप आया हुआ है।
बाप हमारी आत्मा को पवित्र बना देते हैं।
आत्मा पवित्र बनने से फिर शरीर भी फर्स्ट-क्लास मिलता है।
अभी तुम्हारी आत्मा कहाँ बैठी है?
इस झुग्गी (शरीर) में बैठी हुई है।
तमोप्रधान दुनिया है ना।
किचड़े के किनारे पर आकर बैठे हैं ना।
विचार करो हम कहाँ से निकले हैं।
बाप ने गन्दे नाले से निकाला है।
अब हमारी आत्मा स्वच्छ बन जायेगी।
रहने वाले भी फर्स्टक्लास महल बनायेंगे।
हमारी आत्मा को बाप श्रृंगार कर स्वर्ग में ले जा रहे हैं।
अन्दर में ऐसे-ऐसे ख्यालात बच्चों को आने चाहिए।
बाप कितना नशा चढ़ाते हैं।
तुम इतना ऊंच थे फिर गिरते-गिरते आकर नीचे पड़े हो।
शिवालय में थे तो आत्मा कितनी शुद्ध थी।
तो फिर आपस में मिलकर जल्दी-जल्दी शिवालय में जाने का उपाय करना चाहिए।
बाबा को तो वन्डर लगता है - बच्चों को वह दिमाग नहीं!
बाबा हमको कहाँ से निकालते हैं!
पाण्डव गवर्मेन्ट स्थापन करने वाला बाप है।
भारत जो हेविन था सो अब हेल है।
आत्मा की बात है।
आत्मा पर ही तरस पड़ता है।
एकदम तमोप्रधान दुनिया में आकर आत्मा बैठी है इसलिए बाप को याद करती है-बाबा, हमको वहाँ ले जाओ।
यहाँ बैठे भी तुमको यह ख्यालात चलाने चाहिए इसलिए बाबा कहते हैं बच्चों के लिए फर्स्टक्लास युनिवर्सिटी बनाओ।
कल्प-कल्प बनती है।
तुम्हारे ख्यालात बड़े आलीशान होने चाहिए।
अभी वह नशा नहीं चढ़ा हुआ है।
नशा हो तो पता नहीं क्या करके दिखायें।
बच्चे युनिवर्सिटी का अर्थ नहीं समझते हैं।
उस रॉयल्टी के नशे में नहीं रहते हैं।
माया दबाकर बैठी है।
बाबा समझाते हैं बच्चे अपना उल्टा नशा मत चढ़ाओ।
हरेक अपनी-अपनी क्वालिफिकेशन देखो।
हम कैसे पढ़ते हैं, क्या मदद करते हैं, सिर्फ बातों का पकौड़ा नहीं खाना है।
जो कहते हो वह करना है।
गपोड़े नहीं कि यह करेंगे, यह करेंगे।
आज कहते हैं यह करेंगे, कल मौत आया खत्म हो जायेंगे।
सतयुग में तो ऐसे नहीं कहेंगे।
वहाँ कभी अकाले मृत्यु होता नहीं।
काल आ नहीं सकता।
वह है ही सुखधाम।
सुखधाम में काल के आने का हुक्म नहीं।
रावण राज्य और रामराज्य के भी अर्थ को समझना है।
अभी तुम्हारी लड़ाई है ही रावण से।
देह-अभिमान भी कमाल करता है, जो बिल्कुल पतित बना देता है।
देही-अभिमानी होने से आत्मा शुद्ध बन जाती है।
तुम समझते हो ना वहाँ हमारे कैसे महल बनेंगे।
अभी तुम तो संगम पर आ गये हो।
नम्बरवार सुधर रहे हो, लायक बन रहे हो।
तुम्हारी आत्मा पतित होने के कारण शरीर भी पतित मिले हैं।
अभी मैं आया हूँ तुमको स्वर्गवासी बनाने।
याद के साथ दैवीगुण भी चाहिए।
मासी का घर थोड़ेही है।
समझते हैं कि बाबा आया है हमको नर से नारायण बनाने परन्तु माया का बड़ा गुप्त मुकाबला है।
तुम्हारी लड़ाई है ही गुप्त इसलिए तुमको अननोन-वारियर्स कहा गया है।
अननोन वारियर और कोई होता ही नहीं।
तुम्हारा ही नाम है वारियर्स।
और तो सबके नाम रजिस्टर में हैं ही।
तुम अननोन वारियर्स की निशानी उन्होंने पकड़ी है।
तुम कितने गुप्त हो, किसको पता नहीं।
तुम विश्व पर विजय पा रहे हो माया को वश करने के लिए।
तुम बाप को याद करते हो फिर भी माया भुला देती है।
कल्प-कल्प तुम अपना राज्य स्थापन कर लेते हो।
तो अननोन वारियर्स तुम हो जो सिर्फ बाप को याद करते हो।
इसमें हाथ-पांव कुछ नहीं चलाते हो।
याद के लिए युक्तियाँ भी बाबा बहुत बतलाते हैं।
चलते-फिरते तुम याद की यात्रा करो, पढ़ाई भी करो।
अभी तुम समझते हो हम क्या थे, क्या बन गये हैं।
अब फिर बाबा हमको क्या बनाते हैं।
कितना सहज युक्ति बतलाते हैं।
कहाँ भी रहते याद करो तो जंक उतर जाये।
कल्प-कल्प यह युक्ति देते रहते हैं।
अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो सतोप्रधान बनेंगे, और कोई भी बंधन नहीं।
बाथरूम में जाओ तो भी अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो आत्मा का मैल उतर जाये।
आत्मा को कोई तिलक नहीं लगाना होता है, यह सब तो भक्ति मार्ग की निशानी हैं।
इस ज्ञान मार्ग में कोई दरकार नहीं है, पाई का खर्चा नहीं।
घर बैठे याद करते रहो।
कितना सहज है।
वह बाबा हमारा बाप भी है, टीचर और गुरू भी है।
पहले बाप की याद फिर टीचर की फिर गुरू की, कायदा ऐसे कहता है।
टीचर को तो जरूर याद करेंगे, उनसे पढ़ाई का वर्सा मिलता है फिर वानप्रस्थ अवस्था में गुरू मिलता है।
यह बाप तो सब होलसेल में दे देते हैं।
तुमको 21 जन्म के लिए राजाई होलसेल में दे देते हैं।
शादी में कन्या को दहेज गुप्त देते हैं ना।
शो करने की दरकार नहीं।
कहा जाता है गुप्त दान।
शिवबाबा भी गुप्त है ना, इसमें अहंकार की कोई बात नहीं।
कोई-कोई को अहंकार रहता है कि सब देखें।
यह है सब गुप्त।
बाप तुमको विश्व की बादशाही दहेज में देते हैं।
कितना गुप्त तुम्हारा श्रृंगार हो रहा है।
कितना बड़ा दहेज मिलता है।
बाप कैसे युक्ति से देते हैं, किसको पता नहीं पड़ता।
यहाँ तुम बेगर हो, दूसरे जन्म में गोल्डन स्पून इन माउथ होगा।
तुम गोल्डन दुनिया में जाते हो ना।
वहाँ सब कुछ सोने का होगा।
साहूकारों के महलों में अच्छी जड़ित होगी।
फ़र्क तो जरूर रहेगा।
यह भी अभी तुम समझते हो-माया सबको उल्टा लटका देती है।
अब बाप आया है तो बच्चों में कितना हौंसला होना चाहिए।
परन्तु माया भुला देती है-बाप का डायरेक्शन है या ब्रह्मा का?
भाई का है या बाप का?
इसी में बहुत मूँझते हैं।
बाप कहते हैं अच्छा वा बुरा हो-तुम बाप का डायरेक्शन ही समझो।
उन पर चलना पड़े।
इनकी कोई भूल भी हो जायेगी तो अभुल करा देंगे।
उनमें ताकत तो है ना।
तुम देखते हो यह कैसे चलते हैं, इनके सिर पर कौन बैठे हैं।
एकदम बाजू में बैठे हैं।
गुरू लोग बाजू में बिठाकर सिखलाते हैं ना।
तो भी मेहनत इनको करनी होती है।
तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने में पुरूषार्थ करना पड़ता है।
बाप कहते हैं मुझे याद कर भोजन बनाओ।
शिवबाबा की याद का भोजन और किसको मिल न सके।
अभी के भोजन का ही गायन है।
वह ब्राह्मण लोग भल स्तुति गाते हैं परन्तु अर्थ कुछ नहीं समझते।
जो महिमा करते हैं, समझते कुछ नहीं।
इतना समझा जाता है कि यह रिलीजस माइन्डेड हैं क्योंकि पुजारी हैं।
वहाँ तो रिलीजस माइन्डेड की बात ही नहीं, वहाँ भक्ति होती नहीं।
यह भी किसको पता नहीं है-भक्ति क्या चीज़ होती है।
कहते थे ज्ञान, भक्ति, वैराग्य।
कितने फर्स्ट क्लास अक्षर हैं।
ज्ञान दिन, भक्ति रात।
फिर रात से वैराग्य तो दिन में जाते हैं।
कितना क्लीयर है।
अभी तुम समझ गये हो तो तुमको धक्का नहीं खाना पड़ता है।
बाप कहते हैं मुझे याद करो, मैं तुमको विश्व का मालिक बनाता हूँ।
मैं तुम्हारा बेहद का बाप हूँ, सृष्टि का चक्र जानना भी कितना सहज है।
बीज और झाड को याद करो।
अभी कलियुग का अन्त है फिर सतयुग आना है।
अभी तुम संगमयुग पर गुल-गुल बनते हो।
आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी तो फिर रहने का भी सतोप्रधान महल मिलेगा।
दुनिया ही नई बन जाती है।
तो बच्चों को कितनी खुशी रहनी चाहिए।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।