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20-11-2019 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

“मीठे बच्चे - यदि शिवबाबा का कदर है तो उनकी श्रीमत पर चलते रहो,

श्रीमत पर चलना माना बाप का कदर करना''

प्रश्नः-

बच्चे बाप से भी बड़े जादूगर हैं - कैसे?

उत्तर:-

ऊंचे से ऊंचे बाप को अपना बच्चा बना देना,

तन-मन-धन से बाप को वारिस बनाकर वारी जाना - यह बच्चों की जादूगरी है।

जो अभी भगवान को वारिस बनाते हैं वह 21 जन्मों के लिए वर्से के अधिकारी बन जाते हैं।

प्रश्नः-

ट्रिब्युनल किन बच्चों के लिए बैठती है?

उत्तर:-

जो दान की हुई चीज़ को वापस लेने का संकल्प करते, माया के वश हो डिससर्विस करते हैं उन्हों के लिए ट्रिब्युनल बैठती है।

ओम् शान्ति।

रूहानी विचित्र बाप बैठ विचित्र बच्चों को समझाते हैं अर्थात् दूरदेश का रहने वाला जिसको परमपिता परमात्मा कहा जाता है।

बहुत-बहुत दूरदेश से आकर इस शरीर द्वारा तुमको पढ़ाते हैं।

अब जो पढ़ते हैं वह पढ़ाने वाले के साथ योग तो ऑटोमेटिकली रखते हैं।

कहना नहीं पड़ता है कि हे बच्चों, टीचर से योग रखो वा उनको याद करो।

नहीं, यहाँ बाप कहते हैं-हे रूहानी बच्चों, यह तुम्हारा बाप भी है, टीचर भी है, गुरू भी है, इनके साथ योग रखो अर्थात् बाप को याद करो।

यह है विचित्र बाबा।

तुम घड़ी-घड़ी इनको भूल जाते हो इसलिए कहना पड़ता है।

पढ़ाने वाले को याद करने से तुम्हारे पाप भस्म हो जायेंगे।

यह लॉ नहीं कहता जो टीचर कहे मेरे को देखो, इसमें तो बड़ा फायदा है।

बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो।

इस याद के बल से ही तुम्हारे पाप कटने हैं, इसको कहा जाता है याद की यात्रा।

अब रूहानी विचित्र बाप बच्चों को देखते हैं।

बच्चे भी अपने को आत्मा समझ विचित्र बाप को ही याद करते हैं।

तुम तो घड़ी-घड़ी शरीर में आते हो।

मैं तो सारा कल्प शरीर में आता नहीं हूँ सिर्फ इस संगमयुग पर ही बहुत दूरदेश से आता हूँ - तुम बच्चों को पढ़ाने।

यह अच्छी रीति याद करना है।

बाबा हमारा बाप, टीचर और सतगुरू है।

विचित्र है।

उनको अपना शरीर नहीं है, फिर आते कैसे हैं?

कहते हैं मुझे प्रकृति का, मुख का आधार लेना पड़ता है।

मैं तो विचित्र हूँ।

तुम सभी चित्र वाले हो।

मुझे रथ तो जरूर चाहिए ना।

घोड़े गाड़ी में तो नहीं आयेंगे ना।

बाप कहते हैं मैं इस तन में प्रवेश करता हूँ, जो नम्बरवन है वही फिर नम्बर लास्ट बनते हैं।

जो सतोप्रधान थे वही तमोप्रधान बनते हैं।

तो उन्हों को ही फिर सतोप्रधान बनाने के लिए बाप पढ़ाते हैं।

समझाते हैं इस रावणराज्य में 5 विकारों पर जीत पाकर जगतजीत तुम बच्चों को बनना है।

बच्चों यह याद रखना है कि हमको विचित्र बाप पढ़ाते हैं।

बाप को याद नहीं करेंगे तो पाप भस्म कैसे होंगे।

यह बातें भी सिर्फ अभी संगमयुग पर ही सुनते हो।

एक बार जो कुछ होता है फिर कल्प बाद वही रिपीट होगा।

कितनी अच्छी समझानी है, इसमें बहुत विशाल बुद्धि चाहिए।

यह कोई साधू-सन्त आदि का सतसंग नहीं है।

उनको बाप भी कहते हो तो बच्चा भी कहते हो।

तुम जानते हो यह हमारा बाप भी है, बच्चा भी है।

हम सब कुछ इस बच्चे को वर्सा देकर और बाप से 21 जन्मों के लिए वर्सा लेते हैं।

किचड़-पट्टी सब देकर बाप से हम विश्व की बादशाही लेते हैं।

कहते हैं बाबा हमने भक्तिमार्ग में कहा था कि जब आप आयेंगे तो हम आप पर तन-मन-धन सहित वारी जायेंगे।

लौकिक बाप भी बच्चों पर वारी जाते हैं ना।

तो यहाँ तुमको यह कैसा विचित्र बाप मिला है, उनको याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म हों और अपने घर चले जायेंगे।

कितनी लम्बी मुसाफिरी है।

बाप आते देखो कहाँ हैं!

पुराने रावण राज्य में।

कहते हैं मेरी तकदीर में पावन शरीर मिलना है नहीं।

पतितों को पावन बनाने कैसे आऊं।

हमको पतित दुनिया में ही आकर सबको पावन बनाना पड़ता है।

तो ऐसे टीचर का कदर भी रखना चाहिए ना।

बहुत हैं जो कदर जानते ही नहीं।

यह भी ड्रामा में होना ही है।

राजधानी में तो सब चाहिए ना-नम्बरवार।

तो सब प्रकार के यहाँ ही बनते हैं।

कम दर्जा पाने वाले का यह हाल होगा।

न पढ़ेंगे, न बाप की याद में रहेंगे।

यह बहुत ही विचित्र बाप है ना, इनकी चलन भी अलौकिक है।

इनका पार्ट और कोई को मिल न सके।

यह बाप आकर तुमको कितनी ऊंच पढ़ाई पढ़ाते हैं, तो उसका कदर भी रखना चाहिए।

उनकी श्रीमत पर चलना चाहिए।

परन्तु माया घड़ी-घड़ी भुला देती है।

माया इतनी जबरदस्त है जो अच्छे-अच्छे बच्चों को गिरा देती है।

बाप कितना धनवान बनाते हैं परन्तु माया एकदम माथा मूड़ लेती है।

माया से बचना है तो बाप को जरूर याद करना पड़े।

बहुत अच्छे बच्चे हैं जो बाप का बनकर फिर माया के बन जाते हैं, बात मत पूछो, पक्के ट्रेटर बन जाते हैं।

माया एकदम नाक से पकड़ लेती है।

अक्षर भी है ना-गज को ग्राह ने खाया।

परन्तु उसका अर्थ कोई नहीं समझते हैं।

बाप हर बात अच्छी रीति समझाते हैं।

कई बच्चे समझते भी हैं परन्तु नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।

कोई को तो ज़रा भी धारणा नहीं होती।

बहुत ऊंची पढ़ाई है ना।

तो उनकी धारणा कर नहीं सकते।

बाप कहेंगे इनकी तकदीर में राज्य-भाग्य नहीं है।

कोई अक के फूल हैं, कोई खूशबूदार फूल है।

वैराइटी बगीचा है ना।

ऐसे भी तो चाहिए ना।

राजधानी में तुमको नौकर-चाकर भी मिलेंगे।

नहीं तो नौकर-चाकर कैसे मिलेंगे।

राजाई यहाँ ही बनती है।

नौकर, चाकर, चण्डाल आदि सब मिलेंगे।

यह राजधानी स्थापन हो रही है।

वन्डर है।

बाप तुमको इतना ऊंच बनाते हैं तो ऐसे बाप को याद करते प्रेम के आंसू बहने चाहिए।

तुम माला के दाने बनते हो ना।

कहते हैं बाबा आप कितने विचित्र हो।

कैसे आकर हम पतितों को आप पावन बनाने के लिए पढ़ाते हो।

भक्ति मार्ग में भल शिव की पूजा करते हैं परन्तु समझते थोड़ेही हैं कि यह पतित-पावन है फिर भी पुकारते रहते हैं-हे पतित-पावन आओ, आकर हमको गुल-गुल देवी-देवता बनाओ।

बच्चों के फ़रमान को बाप मानते हैं और जब आते हैं तो कहते हैं-बच्चे, पवित्र बनो।

इस पर ही हंगामें होते हैं।

बाप वन्डरफुल है ना।

बच्चों को कहते हैं मुझे याद करो तो पाप कटें।

बाप जानते हैं हम आत्माओं से बात करते हैं।

सब कुछ आत्मा ही करती है, विकर्म आत्मा ही करती है।

आत्मा ही शरीर द्वारा भोगती है।

तुम्हारे लिए तो ट्रिब्युनल बैठेगी।

खास उन बच्चों के लिए जो सर्विस लायक बनकर फिर ट्रेटर बन जाते हैं।

यह तो बाप ही जानते हैं, कैसे माया हप कर लेती है।

बाबा हमने हार खा ली, काला मुँह कर लिया...... अब क्षमा करो।

अब गिरा और माया का बना फिर क्षमा काहे की।

उनको तो फिर बहुत-बहुत मेहनत करनी पड़े।

बहुत हैं जो माया से हार जाते हैं।

बाप कहते हैं-यहाँ बाप पास दान देकर जाओ फिर वापस नहीं लेना।

नहीं तो खलास हो जायेगा। हरिश्चन्द्र का मिसाल है ना।

दान देकर फिर बहुत खबरदार रहना है।

फिर ले लिया तो सौगुणा दण्ड पड़ जाता है।

फिर बहुत हल्का पद पा लेंगे।

बच्चे जानते हैं यह राजधानी स्थापन हो रही है।

और जो धर्म स्थापन करते हैं, उन्हों की पहले राजाई नहीं चलती।

राजाई तो तब हो जब 50-60 करोड़ हों, तब लश्कर बनें।

शुरू में तो आते ही हैं एक-दो, फिर वृद्धि को पाते हैं।

तुम जानते हो क्राइस्ट भी कोई वेष में आयेंगे।

बेगर रूप में पहला नम्बर वाला फिर जरूर लास्ट नम्बर में होगा।

क्रिश्चियन लोग झट कहेंगे बरोबर क्राइस्ट इस समय बेगर रूप में है।

समझते हैं पुनर्जन्म तो लेना ही है।

तमोप्रधान तो जरूर हरेक को बनना है।

इस समय सारी दुनिया तमोप्रधान जड़-जड़ीभूत है।

इस पुरानी दुनिया का विनाश जरूर होना है।

क्रिश्चियन लोग भी कहेंगे क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले हेविन था फिर जरूर अब होगा।

परन्तु यह बातें समझावे कौन।

बाप कहते हैं अभी वह अवस्था बच्चों की कहाँ है।

घड़ी-घड़ी लिखते हैं हम योग में नहीं रह सकते।

बच्चों की एक्टिविटी से समझ जाते हैं।

बाबा को समाचार देने से भी डरते हैं।

बाप तो बच्चों को कितना प्यार करते हैं।

प्यार से नमस्ते करते हैं।

बच्चों में तो अहंकार रहता है।

अच्छे-अच्छे बच्चों को माया भुला देती है।

बाबा समझ सकते हैं, कहते हैं मै नॉलेजफुल हूँ।

जानी-जाननहार का मतलब यह नहीं कि मैं सबके अन्दर को जानता हूँ।

मै आया ही हूँ पढ़ाने ना कि रीड करने।

मैं किसको रीड नहीं करता हूँ, तो यह साकार भी रीड नहीं करता है।

इनको सब कुछ भूलना है।

रीड फिर क्या करेंगे।

तुम यहाँ आते ही हो पढ़ने।

भक्ति मार्ग ही अलग है।

यह भी गिरने का उपाय चाहिए ना।

इन बातों से ही तुम गिरते हो।

यह ड्रामा का खेल बना हुआ है।

भक्ति मार्ग के शास्त्र पढ़ते-पढ़ते तुम नीचे उतरते तमोप्रधान बनते हो।

अभी तुमको इस छी-छी दुनिया में बिल्कुल रहना नहीं है।

कलियुग से फिर सतयुग आना है।

अभी है यह संगमयुग।

यह सब बातें धारण करनी है।

बाप ही समझाते हैं बाकी तो सारी दुनिया की बुद्धि पर गॉडरेज का ताला लगा हुआ है।

तुम समझते हो यह दैवीगुण वाले थे वही फिर आसुरी गुण वाले बने हैं।

बाप समझाते हैं अब भक्ति मार्ग की बातें सब भूल जाओ।

अब मैं जो सुनाता हूँ, वह सुनो, हियर नो ईविल...... अब मुझ एक से सुनो।

अभी मैं तुमको तारने आया हूँ।

तुम हो ईश्वरीय सम्प्रदाय।

प्रजापिता ब्रह्मा के मुख कमल से तुम पैदा हुए हो ना, इतने सब एडाप्टेड बच्चे हैं।

उनको आदि देव कहा जाता है।

महावीर भी कहते हैं।

तुम बच्चे महावीर हो ना-जो योगबल से माया पर जीत पाते हो।

बाप को कहा जाता है ज्ञान का सागर।

ज्ञान सागर बाप तुमको अविनाशी ज्ञान रत्नों की थालियां भरकर देते हैं।

तुमको मालामाल बनाते हैं।

जो ज्ञान धारण करते हैं वह ऊंच पद पाते हैं, जो धारणा नहीं करते तो जरूर कम पद पायेंगे।

बाप से तुम कारून का खजाना पाते हो।

अल्लाह अवलदीन की भी कथा है ना।

तुम जानते हो वहाँ हमको कोई अप्राप्त वस्तु नहीं रहती।

21 जन्मों के लिए वर्सा बाप दे देते हैं।

बेहद का बाप बेहद का वर्सा देते हैं।

हद का वर्सा मिलते हुए भी बेहद के बाप को याद जरूर करते हैं-हे परमात्मा रहम करो, कृपा करो।

यह किसको पता थोड़ेही है वह क्या देने वाला है।

अभी तुम समझते हो बाबा तो हमको विश्व का मालिक बनाते हैं।

चित्रों में भी है ब्रह्मा द्वारा स्थापना, ब्रह्मा सामने बैठे हैं साधारण।

स्थापना करेंगे तो जरूर उनको ही बनायेंगे ना।

बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।

तुम पूरा समझा नहीं सकते हो।

भक्ति मार्ग में शंकर के आगे जाकर कहते हैं - भर दो झोली।

आत्मा बोलती है हम कंगाल हैं।

हमारी झोली भरो, हमको ऐसा बनाओ।

अभी तुम झोली भरने आये हो।

कहते हैं हम तो नर से नारायण बनना चाहते हैं।

यह पढ़ाई ही नर से नारायण बनने की है।

पुरानी दुनिया में आने की दिल किसकी होगी!

परन्तु नई दुनिया में तो सब नहीं आयेंगे।

कोई 25 परसेन्ट पुरानी में आयेंगे।

कुछ कमी तो पड़ेगी ना।

थोड़ा भी किसको मैसेज देते रहेंगे तो तुम स्वर्ग के मालिक जरूर बनेंगे।

अभी नर्क के मालिक भी सब हैं ना।

राजा, रानी, प्रजा सब नर्क के मालिक हैं।

वहाँ थे डबल सिरताज।

अभी वह नहीं हैं।

आजकल तो धर्म आदि को कोई मानते नहीं।

देवी-देवता धर्म ही खत्म हो गया है।

गाया जाता है रिलीजन इज माइट, धर्म को न मानने कारण ताकत नहीं रही है।

बाप समझाते हैं-मीठे-मीठे बच्चों, तुम ही पूज्य से पुजारी बनते हो।

84 जन्म लेते हो ना।

हम सो ब्राह्मण, सो देवता फिर हम सो क्षत्रिय...... बुद्धि में यह सारा चक्र आता है ना।

यह 84 का चक्र हम लगाते ही रहते हैं अब फिर वापस घर जाना है।

पतित कोई जा न सके।

आत्मा ही पतित अथवा पावन बनती है।

सोने में खाद पड़ती है ना।

जेवर में नहीं पड़ती, यह है ज्ञान अग्नि जिससे सारी खाद निकल तुम पक्का सोना बन जायेंगे फिर जेवर भी तुमको अच्छा मिलेगा।

अभी आत्मा पतित है तो पावन के आगे नमन करते हैं।

करती तो सब कुछ आत्मा है ना।

अब बाप समझाते हैं-बच्चे, सिर्फ मामेकम् याद करो तो बेड़ा पार हो जाए।

पवित्र बन पवित्र दुनिया में चले जायेंगे।

अब जो जितना पुरूषार्थ करेंगे।

सबको यही परिचय देते रहो।

वह है हद का बाप, यह है बेहद का बाप।

संगम पर ही बाप आते हैं स्वर्ग का वर्सा देने।

तो ऐसे बाप को याद करना पड़े ना।

टीचर को कब स्टूडेन्ट भूलते हैं क्या!

परन्तु यहाँ माया भुलाती रहेगी।

बड़ा खबरदार रहना है।

युद्ध का मैदान है ना।

बाप कहते हैं अब विकार में मत जाओ, गन्दे नहीं बनो।

अब तो स्वर्ग में चलना है।

पवित्र बनकर ही पवित्र नई दुनिया के मालिक बनेंगे।

तुमको विश्व की बादशाही देता हूँ।

कम बात है क्या।

सिर्फ यह एक जन्म पवित्र बनो।

अब पवित्र नहीं बनेंगे तो नीचे गिर जायेंगे।

टैम्पटेशन बहुत है।

काम पर जीत पाने से तुम जगत के मालिक बनेंगे।

तुम साफ कह सकते हो परमपिता परमात्मा ही जगतगुरू है जो सारे जगत को सद्गति देते हैं।

अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) अविनाशी ज्ञान रत्नों से बुद्धि रूपी झोली भरकर मालामाल बनना है।

किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं दिखाना है।

2) सर्विस लायक बनकर फिर कभी ट्रेटर बन डिससर्विस नहीं करनी है।

दान देने के बाद बहुत-बहुत खबरदार रहना है, कभी वापस लेने का ख्याल न आये।

वरदान:-

ब्राह्मण जीवन में एकव्रता के पाठ द्वारा

रूहानी रॉयल्टी में रहने वाले

सम्पूर्ण पवित्र भव

इस ब्राह्मण जीवन में एकव्रता का पाठ पक्का कर प्युरिटी की रॉयल्टी को धारण कर लो तो सारे कल्प में यह रूहानी रॉयल्टी चलती रहेगी।

आपके रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की चमक परमधाम में सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ है।

आदिकाल देवता स्वरूप में भी यह पर्सनैलिटी विशेष रही है,

फिर मध्यकाल में भी आपके चित्रों की विधिपूर्वक पूजा होती है।

इस संगमयुग पर ब्राह्मण जीवन का आधार प्युरिटी की रॉयल्टी है इसलिए जब तक ब्राह्मण जीवन में जीना है तब तक सम्पूर्ण पवित्र रहना ही है।

स्लोगन:-

आप सहनशीलता के देव और देवी बनो तो गाली देने वाले भी गले लगायेंगे।