Point No.03

अमृतवेला बहुत अच्छी रीति से अनुभव करते हैं।

  • अशरीरीपन का भी अनुभव करते हैं लेकिन जब कर्मयोगी बनने का समय आता है तो दोनों काम योगी का भी और कर्म का भी, दो काम इकठ्ठा करने में फर्क पड़ जाता है।
  • पुरूषार्थ करते हैं कि कर्म और योग का बैलेन्स हो लेकिन जैसे अमृतवेले शक्तिशाली अवस्था का अनुभव करते हैं, वैसे कर्म में फर्क पड़ जाता है, मेहनत करनी पड़ती है और बापदादा ने सभी बच्चों को कह दिया है कि विश्व का विनाश अचानक होना है, अगर सारा दिन अटेन्शन के बजाए, किसी भी धारणा की कमी होने के कारण कर्मयोगी की स्टेज में फर्क आता है तो विश्व के विनाश की डेट तो बापदादा अनाउन्स नहीं करेंगे लेकिन अपना जीवन काल समाप्त कब होना है, यह मालूम है?
  • कोई को मालूम है कि मेरा मृत्यु फलानी डेट पर होना है, है मालूम?
  • वह हाथ उठाओ।
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