Point No.05

नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप क्योंकि ब्रह्मा बाप ने भी स्वयं को पुरूषार्थ करके ऐसा बनाया जो अनुभवी बच्चों ने देखा, कोई भी तरफ यह वातावरण नहीं था, कोई हिसाब किताब का, अचानक अशरीरी बनने का अभ्यास अशरीरी बनाकर उड़ गये।

  • कोई ने समझा कि ब्रह्मा बाप जाने वाले हैं!
  • लेकिन नष्टोमोहा, बच्चों के हाथ में हाथ होते कहाँ आकर्षण रही?
  • फरिश्ता बन गये।
  • बच्चों को फरिश्ते बनाने का तिलक दे गये।
  • इसका कारण बहुत समय अशरीरीपन का अभ्यास रहा।
  • कई अनुभवी बच्चे जो साथ रहे हैं उन्होंने अनुभव किया, कर्म करते करते ऐसे अशरीरी बन जाते।
  • तो यह जो कर्मयोग में अन्तर पड़ जाता है, इसका कारण कर्म करते यह स्मृति में इमर्ज नहीं होता, मैं आत्मा हूँ, यह तो सब जानते ही हैं लेकिन मैं आत्मा, कौन सी आत्मा हूँ?
  • मैं करावनहार आत्मा हूँ और यह कर्मेन्द्रियां करनहार हैं, यह करावनहार का स्वमान कर्म करते स्मृति स्वरूप में रहे, चाहे कर्मेन्द्रियों से कर्म कराना है लेकिन मैं करावनहार हूँ, मालिक हूँ, इस सीट पर अगर सेट है तो कोई भी कर्मेन्द्रिय आर्डर में रहेगी।
  • बिना सीट पर सेट होते कोई किसका नहीं मानता।
  • तो करावनहार आत्मा हूँ, यह कर्मेन्द्रियां करनहार हैं, करावनहार नहीं है।
  • जैसे ब्रह्मा बाप का अनुभव सुना कि ब्रह्मा बाप ने शुरू में यह अभ्यास किया जो रोज़ समाप्ति के समय इन कर्मेन्द्रियों की राज दरबार लगाते थे।
  • पुराने बच्चों ने वह डायरी देखी होगी तो रोज दरबार लगाते थे और करावनहार मालिक बन हर कर्मेन्द्रियों का समाचार लेते थे, देते थे।
  • इतना अटेन्शन शुरू में ही ब्रह्मा बाप ने भी किया तो आपको भी करावनहार मालिक समझ, क्योंकि आत्मा राजा है यह कर्मेन्द्रियां साथी हैं।
  • तो यह चेक करना चाहिए कि आज के दिन विशेष मन-बुद्धि संस्कार, स्वभाव कहो संस्कार कहो इन्हों का क्या हाल रहा?
  • और फौरन चेक करने से कर्मेन्द्रियों को अटेन्शन रहता है कि हमारा राजा हमारा हालचाल लेगा, तो आत्मा राजा करनहार कर्मेन्द्रियों से करावनहार बन चेक करो।
  • नहीं तो देखा गया है कई बच्चे कहते हैं कि हम कर्मेन्द्रियों को आर्डर करते हैं लेकिन फिर हो जाता है।
  • पुरूषार्थ करते हैं लेकिन कोई-कोई संस्कार या स्वभाव आर्डर में नहीं रहते।
  • उसका कारण इसी अपने स्वमान की सीट पर सेट नहीं रहते।
  • बिना सीट पर बैठने के आर्डर कितना भी करो तो आर्डर मानने वाले मानते नहीं हैं।
  • तो कर्म करते अपने करावनहार मालिकपन की सीट पर सेट रहो।
  • कई बच्चे यह भी बापदादा से रूहरिहान करते कि बाबा आपने हमें सर्व शक्तिवान बनाया, शक्तिवान भी नहीं सर्वशक्तिवान का वरदान हर एक बच्चे को ब्राह्मण जन्म लेते हुए दिया है, याद है अपने जन्म का वरदान!
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