Point No.08

यह शक्तियां भी आपको बाप के प्रापर्टी में मिली हैं।

  • तो मालिक बनके आर्डर करो।
  • मालिक बनके आर्डर नहीं करते हो, शक्ति खो जाती है ना तो उसी स्थिति में रहते हुए आर्डर करते हो, तो मालिक ही नहीं है आर्डर क्यों मानें!
  • तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं?
  • पता है ना!
  • बाप अभी यही चाहते हैं कि मेरा एक-एक बच्चा कर्म करते हुए भी राजा बच्चा बन, स्वराज्य अधिकारी बन स्वराज्य की सीट को नहीं छोड़े।
  • तो राजा सारा दिन राजा ही होता है ना!
  • कि कभी राजा होता है कभी नहीं।
  • तख्त पर बैठना या नहीं बैठना वह अलग बात है लेकिन घर में भी रहते मैं राजा हूँ, यह तो नहीं भूलता।
  • तो कर्मयोगी और अमृतवेले के यथार्थ योग शक्तिशाली स्थिति उसमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
  • डबल काम है लेकिन आप कौन हो?
  • आप तो विश्व के परिवर्तक हो, विश्व कल्याणकारी हो।
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