यह शक्तियां भी आपको बाप के प्रापर्टी में मिली हैं।
- तो मालिक बनके आर्डर करो।
- मालिक बनके आर्डर नहीं करते हो, शक्ति खो जाती है ना तो उसी स्थिति में रहते हुए आर्डर करते हो, तो मालिक ही नहीं है आर्डर क्यों मानें!
- तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं?
- पता है ना!
- बाप अभी यही चाहते हैं कि मेरा एक-एक बच्चा कर्म करते हुए भी राजा बच्चा बन, स्वराज्य अधिकारी बन स्वराज्य की सीट को नहीं छोड़े।
- तो राजा सारा दिन राजा ही होता है ना!
- कि कभी राजा होता है कभी नहीं।
- तख्त पर बैठना या नहीं बैठना वह अलग बात है लेकिन घर में भी रहते मैं राजा हूँ, यह तो नहीं भूलता।
- तो कर्मयोगी और अमृतवेले के यथार्थ योग शक्तिशाली स्थिति उसमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
- डबल काम है लेकिन आप कौन हो?
- आप तो विश्व के परिवर्तक हो, विश्व कल्याणकारी हो।
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